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सिविल कानून
बैतुल्ला इस्माइल शेख एवं अन्य बनाम खतीजा इस्माइल पनहालकर एवं अन्य 2024 INSC 71
«03-Jul-2024
परिचय:
यह मामला अधिभारी एवं मकान मालिक के मध्य बेहतर संबंध स्थापित करने के लिये महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम की धारा 15 एवं 16 की प्रयोज्यता और व्याख्या के इर्द-गिर्द घूमता है।
तथ्य:
- इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय के निर्णय से व्यथित याचिकाकर्त्ता ने अपील दायर की है।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय ने किराये का भुगतान न करने, अनाधिकृत निर्माण एवं महाराष्ट्र गिरस्थ नगर परिषद से विध्वंस नोटिस जैसे विभिन्न आधारों पर अधिभारी को बेदखल करने की याचिकाकर्त्ता की याचिका को खारिज कर दिया।
- उच्च न्यायालय ने अपना आदेश देते हुए पाया कि अहिभारी, विधि का सख्ती से पालन नहीं कर रहा था तथा अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय को खारिज कर दिया।
- इसके बाद याचिकाकर्त्ता ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की।
शामिल मुद्दे:
- क्या न्यायालय अधिभारी की बेदखली के मामलों में डिक्री देने से मना कर सकता है, जहाँ बेदखली से अधिभारी की सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कठिनाई हो सकती है?
टिप्पणी:
- उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न मामले के विधियों का हवाला देते हुए तथा महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम, 1999 (MRC) की धारा 15 एवं धारा 16 के प्रावधानों का हवाला देते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय के निष्कर्षों की पुष्टि की।
- यह कहा गया कि मकान मालिक द्वारा MRC अधिनियम, 1999 के प्रावधानों का कोई अनुपालन नहीं किया गया।
- यह कहा गया कि ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं मिला जिससे यह सिद्ध हो सके कि अधिभारियों ने भुगतान में चूक की है।
- यह भी कहा गया कि ध्वस्तीकरण के आदेश उस भाग के लिये नहीं थे जिसमें अधिभारी रहते थे, इसलिये बेदखली की कोई आवश्यकता नहीं थी।
- यह भी देखा गया कि मकान मालिक की अनुमति के बिना किरायेदारों द्वारा भवन में कोई निर्माण नहीं किया गया था।
निष्कर्ष:
यह कहा गया कि ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं मिला जिससे यह सिद्ध हो सके कि किरायेदारों ने भुगतान में चूक की है। यह भी कहा गया कि ध्वस्तीकरण के आदेश उस भाग के लिये नहीं थे जिसमें अधिभारी रहते थे, इसलिये बेदखली की कोई आवश्यकता नहीं थी। यह भी देखा गया कि मकान मालिक की अनुमति के बिना अधिभारियों द्वारा भवन में कोई निर्माण नहीं किया गया था।