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वाणिज्यिक विधि

कांडला एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन बनाम मेसर्स OCI कॉर्पोरेशन (2018)

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 04-Mar-2025

परिचय

  • यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम की धारा 13 (1) और माध्यस्थम एवं सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 50 के अंतर्गत अपील के अधिकार के बीच परस्पर संबंध के विषय में चर्चा करता है। 
  • यह निर्णय न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की एकल न्यायाधीश पीठ द्वारा दिया गया।

तथ्य   

  • 28 अप्रैल, 2014 को, अनाज और चारा व्यापार संघ (GAFTA) द्वारा एक माध्यस्थम पंचाट पारित किया गया था, जिसमें अपीलकर्त्ताओं (विक्रेताओं) को प्रतिवादियों (खरीदारों) को 846,750 अमेरिकी डॉलर और 4% चक्रवृद्धि ब्याज का भुगतान करने का आदेश दिया गया था। 
  • 16 अप्रैल, 2015 को, अपीलीय अधिकरण ने पंचाट को संशोधित करके 815,000 अमेरिकी डॉलर और 4% चक्रवृद्धि ब्याज कर दिया। 
  • अपीलकर्त्ताओं ने इस पंचाट को यूके में कई अपीलों (क्वींस बेंच, वाणिज्यिक न्यायालय, अपीलीय न्यायालय) के माध्यम से चुनौती दी, लेकिन सभी अपीलें खारिज कर दी गईं। 
  • इस बीच, 29 जून, 2015 को, प्रतिवादियों ने विदेशी पंचाट को लागू करने के लिये माध्यस्थम एवं सुलह अधिनियम, 1996 (A & C अधिनियम) की धारा 48 के अंतर्गत भारत के गांधीधाम-कच्छ के जिला न्यायालय में एक निष्पादन याचिका दायर की। 
  • निष्पादन याचिका को गुजरात उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • 8 अगस्त, 2017 को गुजरात उच्च न्यायालय ने अपीलकर्त्ताओं की आपत्तियों को खारिज कर दिया और विदेशी पंचाट के निष्पादन की अनुमति दी।
  • अपीलकर्त्ताओं ने वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम के अंतर्गत इस निर्णय के विरुद्ध अपील दायर की, जिसे 28 सितंबर, 2017 को उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।
  • उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि A & C अधिनियम की धारा 50 केवल तभी अपील की अनुमति देती है जब विदेशी पंचाटों को लागू करने की याचिका खारिज कर दी जाती है, तब नहीं जब उन्हें अनुमति दी जाती है।
  • अब इस मामले में एक विधिक प्रश्न शामिल है कि क्या वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम अपील का एक अतिरिक्त अधिकार प्रदान करता है जो मध्यस्थता अधिनियम के अंतर्गत उपलब्ध नहीं है। 

शामिल मुद्दे  

  • क्या A & C अधिनियम की धारा 50 के अंतर्गत स्वीकार्य न होने वाली अपील फिर भी वाणिज्यिक न्यायालयों, वाणिज्यिक प्रभाग और उच्च न्यायालयों के वाणिज्यिक अपीलीय प्रभाग अधिनियम, 2015 (CCA) की धारा 13 (1) के अंतर्गत स्वीकार्य है?

टिप्पणी 

  • इस मामले में न्यायालय ने सबसे पहले मुख्य प्रावधान से जुड़े परंतुक के निर्वचन के लिये नियम निर्धारित किये:
    • इस मामले में परंतुक के रूप में अपवाद बनाया गया है। 
    • परंतुक का प्राथमिक उद्देश्य अपवाद प्रदान करके मुख्य भाग की व्यापकता को स्पष्ट करना है। 
    • निर्वचन का यह एक प्रमुख नियम है कि किसी विधि के किसी विशेष प्रावधान का परंतुक केवल उस क्षेत्र को शामिल करता है जो मुख्य प्रावधान द्वारा शामिल किया जाता है। 
    • परंतुक उस मुख्य प्रावधान के लिये अपवाद बनाता है जिसके लिये इसे परंतुक के रूप में अधिनियमित किया गया है, किसी अन्य के लिये नहीं।
  • CCA की धारा 13 के प्रावधान में कहा गया है कि उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपील की जा सकती है, जिन्हें सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश XLIII तथा A & C अधिनियम की धारा 37 के अंतर्गत विशेष रूप से सूचीबद्ध किया गया है। 
  • इस प्रकार, CPC के आदेश XLIII में उल्लिखित नहीं किये गए आदेश अपील योग्य नहीं हैं तथा केवल A & C अधिनियम की धारा 37 में उल्लिखित अपील ही उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक अपीलीय प्रभाग में की जा सकती हैं। 
  • A & C अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत मध्यस्थता के लिये पक्षों को संदर्भित करने वाला आदेश धारा 37 (1) (a) के अंतर्गत अपील योग्य नहीं है तथा इसलिये यह CCA की धारा 13 (1) के अंतर्गत भी अपील योग्य नहीं है। 
  • A & C अधिनियम की धारा 16 (2) तथा (3) में संदर्भित दलील को खारिज करने वाली अपील के संबंध में भी यही स्थिति है। 
  • न्यायालय ने आगे स्पष्ट किया कि विदेशी पंचाटों के प्रवर्तन के सभी मध्यस्थता मामलों में केवल धारा 50 ही अपील का प्रावधान करती है।
  • इसलिये, धारा 50 को ठीक से पढ़ने पर इसका तात्पर्य यह होगा कि यदि उक्त प्रावधान के अंतर्गत कोई अपील की जाती है, तो CCA की धारा 13(1) ही लागू होगी, क्योंकि यह फोरम निर्धारित करती है जो ऐसी अपील पर सुनवाई करेगी और निर्णय करेगी। 
  • इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने माना कि अधिनियम के उद्देश्य पर भी विचार किया जाना चाहिये। 
  • CCA की धारा 13(1) का कोई भी ऐसा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिये जिससे और विलंब हो। इसलिये, न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया। 

निष्कर्ष 

  • यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिसमें कहा गया है कि विदेशी पंचाटों के प्रवर्तन से संबंधित सभी मामलों में A & C अधिनियम की धारा 50 ही अपील का प्रावधान करती है। 
  • CCA की धारा 13 (1) केवल फोरम निर्धारित करती है जिसमें अपील की सुनवाई की जाएगी।