Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है










होम / भारतीय संविधान

सांविधानिक विधि

मंत्री परिषद

    «    »
 10-May-2024

परिचय:  

कार्यकारी शाखा के निर्णय लेने वाले निकाय के रूप में कार्य करते हुए, मंत्रिपरिषद भारत सरकार का प्रमुख कार्यकारी अंग है। इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं तथा इसमें प्रत्येक कार्यकारी, सरकारी मंत्रालय के प्रमुख शामिल होते हैं।

मंत्रालयों की परिषद एवं उसकी श्रेणियाँ:

  • मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियाँ होती हैं, अर्थात् कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री एवं उप मंत्री।
    • कैबिनेट मंत्री: ये केंद्र सरकार के गृह, रक्षा, वित्त, विदेश आदि जैसे महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रमुख होते हैं। मंत्रिमंडल केंद्र सरकार की मुख्य नीति निर्धारण संस्था है।
    • राज्य मंत्री: इन्हें या तो मंत्रालयों/विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है या कैबिनेट मंत्रियों से जोड़ा जा सकता है।
    • उप मंत्री: वे कैबिनेट मंत्रियों या राज्य मंत्रियों से जुड़े होते हैं तथा उनके प्रशासनिक, राजनीतिक एवं संसदीय कर्त्तव्यों में उनकी सहायता करते हैं।
  • भारत के संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 74 मंत्रिपरिषद की स्थिति से संबंधित है।
  • COI का अनुच्छेद 75 मंत्रिपरिषद की नियुक्ति, कार्यकाल, उत्तरदायित्व, योग्यता, शपथ और वेतन एवं भत्ते से संबंधित है।
  • प्रत्येक मंत्री को किसी भी सदन, किसी भी सदन की संयुक्त बैठक और संसद की किसी भी समिति की कार्यवाही में बोलने तथा भाग लेने का अधिकार होगा, जिसका उसे सदस्य नामित किया जा सकता है। लेकिन वह वोट देने के अधिकारी नहीं होंगे।

COI का अनुच्छेद 74:

यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिये मंत्रिपरिषद से संबंधित है। यह प्रकट करता है कि-

(1) राष्ट्रपति को सहायता एवं सलाह देने के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद होगी जो अपने कार्यों के माध्यम से ऐसी सलाह के अनुसार कार्य करेगा।

बशर्ते कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद से ऐसी सलाह पर आम तौर पर या अन्यथा पुनर्विचार करने की अपेक्षा कर सकता है तथा राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के बाद दी गई सलाह के अनुसार कार्य करेगा।

(2) यह प्रश्न कि क्या मंत्रियों द्वारा राष्ट्रपति को कोई सलाह दी गई थी और यदि हाँ तो क्या, कि जाँच किसी भी न्यायालय में नहीं की जाएगी।

COI का अनुच्छेद 75:

यह अनुच्छेद मंत्रियों के संबंध में प्रासंगिक प्रावधानों से संबंधित है। यह प्रकट करता है कि-

(1) प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

(1A) मंत्रिपरिषद में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या, लोक सभा के सदस्यों की कुल संख्या के पंद्रह प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

(1B) किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित संसद के किसी भी सदन का सदस्य, जो दसवीं अनुसूची के पैराग्राफ 2 के अंतर्गत उस सदन का सदस्य होने के लिये अयोग्य है, खंड (1) के अंतर्गत एक अवधि के लिये मंत्री के रूप में नियुक्त होने के लिये भी अयोग्य होगा। उसकी अयोग्यता की तिथि से प्रारंभ होने वाली अवधि, उस तिथि तक, जिस दिन ऐसे सदस्य के रूप में उसके कार्यालय का कार्यकाल समाप्त होगा या जहाँ वह ऐसी अवधि की समाप्ति से पहले संसद के किसी भी सदन के लिये कोई चुनाव लड़ता है या निर्वाचित, जो भी पहले हो, उस तिथि तक, जिस दिन उसे घोषित किया जाता है।

(2) मंत्री राष्ट्रपति की इच्छा तक पद पर बने रहेंगे।

(3) मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगी।

(4) किसी मंत्री के कार्यालय में प्रवेश करने से पहले, राष्ट्रपति उसे तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य के लिये  निर्धारित प्रपत्रों के अनुसार पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाएगा।

(5) कोई मंत्री जो लगातार छः महीने की किसी भी अवधि के लिये संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मंत्री नहीं रहेगा

(6) मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते ऐसे होंगे, जो संसद समय-समय पर विधि द्वारा निर्धारित कर सकती है तथा जब तक संसद ऐसा निर्धारित नहीं करती, तब तक वे दूसरी अनुसूची में निर्दिष्ट अनुसार होंगे।

मंत्रिपरिषद का निर्णय:

COI की धारा 78 के अनुसार, यह प्रधानमंत्री का कर्त्तव्य होगा:

(a) संघ के मामलों के प्रशासन एवं विधि के प्रस्तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों के विषय में राष्ट्रपति को सूचित करना।

(b) संघ के मामलों के प्रशासन एवं विधि के प्रस्तावों से संबंधित ऐसी सूचना प्रस्तुत करने के लिये जिसे राष्ट्रपति मांग सकते हैं।

(c) यदि राष्ट्रपति को आवश्यकता हो, तो किसी भी मामले को मंत्रिपरिषद के विचारार्थ प्रस्तुत करना होगा, जिस पर मंत्री द्वारा निर्णय लिया गया है, लेकिन जिस पर परिषद द्वारा विचार नहीं किया गया है।

मंत्रियों का उत्तरदायित्व:

  • सामूहिक उत्तरदायित्व:
    • अनुच्छेद 75 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। इससे तात्पर्य यह है कि सभी मंत्री अपने सभी भूल-चूक के लिये लोकसभा के प्रति संयुक्त उत्तरदायित्व रखते हैं।
  • व्यक्तिगत उत्तरदायित्व:
    • अनुच्छेद 75 में व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का सिद्धांत भी निहित है। इसमें कहा गया है कि मंत्री राष्ट्रपति की इच्छा तक पद पर बने रहते हैं, जिससे तात्पर्य है कि राष्ट्रपति किसी मंत्री को उस समय भी पदच्युत कर सकते हैं, जब मंत्रिपरिषद को लोकसभा का विश्वास प्राप्त हो।
    • हालाँकि राष्ट्रपति किसी मंत्री को प्रधानमंत्री की सलाह पर ही पदच्युत करते हैं।