ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन 1986 AIR 180
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सांविधानिक विधि

ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे म्युनिसिपल कारपोरेशन 1986 AIR 180

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 05-Jul-2024

परिचय:

इस मामले में आजीविका एवं आश्रय के अधिकार को जीवन जीने के अधिकार का अभिन्न अंग माना गया।

तथ्य:

  • इस मामले में सौंदर्यीकरण अभियान के अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य एवं बॉम्बे नगर निगम ने फुटपाथ पर रहने वालों को हटाने का निर्णय किया।
  • याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि उन्हें उनके स्थानों से हटाने से उन्हें अधिक हानि होगी तथा यह उनके लिये कठिन होगा।
  • यह भी तर्क दिया गया कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 एवं अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है।
  • याचिकाकर्त्ता, एक पत्रकार द्वारा बेदखली के लिये दी गई नोटिस की वैधता को चुनौती देते हुए एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी।

शामिल मुद्दे:

  • क्या बेदखली के लिये दी गई नोटिस फुटपाथ निवासियों के COI के अनुच्छेद 19 एवं अनुच्छेद 21 के अंतर्गत गारंटीकृत मूल अधिकारों का उल्लंघन है?

टिप्पणी:

  • इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीने के अधिकार में आजीविका का अधिकार भी निहित है, जो आश्रय के अधिकार से संबंधित है।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि उन्हें जीने के लिये वैकल्पिक उपाय दिये बिना उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन होगा।

निष्कर्ष:

  • उच्चतम न्यायालय ने माना कि अनुच्छेद 21 गरिमापूर्ण तरीके से जीने के अधिकार की गारंटी देता है, न कि केवल पशुवत अस्तित्त्व की। यह कहा गया कि अनुच्छेद 21 गरिमापूर्ण तरीके से जीने के लिये आवश्यक अधिकारों का एक समूह है जैसे निजता, स्वास्थ्य, शिक्षा, आश्रय आदि का अधिकार।
  • इसलिये, यह माना गया कि फुटपाथ पर रहने वालों को रहने के लिये वैकल्पिक स्थान दिये बिना भारत के संविधान के अनुसार न्यायसंगत एवं उचित नहीं है।