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सांविधानिक विधि

किशोर मधुकर पिंगलीकर बनाम ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (2019)

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 21-Oct-2024

परिचय

भारत के उच्चतम न्यायालय ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के उस निर्णय को यथावत रखा जिसमें कहा गया था कि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत 'राज्य' नहीं है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना एवं बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यह निर्धारित करने के लिये कि कोई संगठन 'राज्य' के रूप में योग्य है या नहीं, उसके कार्यों, गतिविधियों एवं सरकारी नियंत्रण की सीमा का समग्र मूल्यांकन आवश्यक है। यह निर्णय अनुच्छेद 12 के अंतर्गत 'राज्य' का दर्जा निर्धारित करने के मानदंडों को स्पष्ट करता है।

तथ्य

  • बॉम्बे उच्च न्यायालय ने ARAI के विरुद्ध दायर एक रिट याचिका पर विचार करने से मना कर दिया था।
  • ARAI का मुख्य उद्देश्य एवं कार्य मोटर वाहनों से संबंधित है, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सरकारी कार्यों से संबद्ध नहीं हैं।
  •  ARAI की गतिविधियों से मुख्य रूप से इसके सदस्यों को लाभ होता है, जिसमें मोटर वाहनों या संबद्ध उत्पादों के निर्माण में लगी विभिन्न कंपनियाँ शामिल हैं।
  • केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 126 के अनुसार निर्माताओं एवं आयातकों को मोटर वाहन अधिनियम एवं नियमों के अनुपालन के प्रमाणन के लिये ARAI जैसे निर्दिष्ट संघों को वाहन प्रोटोटाइप प्रस्तुत करना आवश्यक है।

शामिल मुद्दे

  • क्या ARAI को संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत 'राज्य' माना जा सकता है।
  • जिस सीमा तक यह सार्वजनिक कार्य या कर्त्तव्य निर्वहन करता है, वह संगठन को 'राज्य' के रूप में वर्गीकृत किये जाने के योग्य बनाता है।
  • किसी संगठन की 'राज्य' के रूप में स्थिति निर्धारित करने में सरकारी नियंत्रण की प्रासंगिकता क्या है।

टिप्पणी

  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी निकाय को अनुच्छेद 12 की परिधि में लाने के लिये सार्वजनिक कर्त्तव्य या कार्य के कुछ तत्त्वों की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है।
  • 'राज्य' का दर्जा निर्धारित करते समय प्राथमिक कार्यों सहित कार्यों एवं गतिविधियों का समग्र एवं समग्र दृष्टिकोण ध्यान में रखा जाना चाहिये।
  • न्यायालय ने कहा कि ARAI पर सरकार का कार्यात्मक एवं प्रशासनिक प्रभुत्व या नियंत्रण नहीं है।
  •  एसोसिएशन के ज्ञापन से संकेत मिलता है कि ARAI की परिषद को महत्त्वपूर्ण स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता प्राप्त है।
  •  ARAI पर सरकारी पर्यवेक्षण सीमित है तथा कुछ विशेष पहलुओं तक ही सीमित है, जो गहन एवं व्यापक नियंत्रण नहीं है।
  • न्यायालय ने कहा कि ARAI को सौंपा गया एक कार्य, जो प्राथमिक नहीं है तथा इसकी गतिविधियों का एक छोटा भाग है, इसकी स्थिति निर्धारित करने में निर्णायक नहीं होगा।
  • किसी निकाय को 'राज्य' के रूप में निर्धारित करना सिद्धांतों के एक कठोर मानकों पर आधारित नहीं है, बल्कि सरकारी नियंत्रण स्थापित करने वाले संचयी तथ्यों पर आधारित है।
  • न्यायालय ने अपने तर्क का समर्थन करने के लिये प्रदीप कुमार बिस्वास बनाम इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (2002) में सात न्यायाधीशों की पीठ के निर्णय का उदाहरण दिया।

निष्कर्ष

उच्चतम न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि ARAI सरकार की एजेंसी या साधन नहीं है तथा इस पर सरकार का गहरा एवं व्यापक नियंत्रण नहीं है। न्यायालय ने इस बात पर बल दिया कि अनुच्छेद 12 के अंतर्गत 'राज्य' माने जाने के लिये, किसी संगठन को वित्तीय, कार्यात्मक एवं प्रशासनिक रूप से सरकार के अधीन या उसके नियंत्रण में होना चाहिये। केवल विनियामक नियंत्रण या कुछ सार्वजनिक कार्यों की उपस्थिति स्वचालित रूप से किसी संगठन को 'राज्य' नहीं बनाती है। न्यायालय का निर्णय अलग-अलग कार्यों या सीमित सरकारी नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय किसी संगठन के कार्यों, गतिविधियों एवं सरकारी भागीदारी की प्रकृति के व्यापक मूल्यांकन के महत्त्वा को रेखांकित करता है।