Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है










होम / भारतीय संविधान

सांविधानिक विधि

विशाखा एवं अन्य बनाम राजस्थान राज्य (1997)

    «    »
 01-Aug-2024

परिचय:

इस मामले में कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के किसी भी कृत्य के विरुद्ध दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।

तथ्य:

  • इस मामले में, राजस्थान में बाल विवाह रोकने के लिये काम करने वाली कार्यकर्त्ता भंवरी देवी एक नवजात बालिका का विवाह रोकने गई थी।
  • नवजात बच्ची रामकरण गुज्जर की बेटी थी, जिसने भंवरी देवी के साथ उसके पति के सामने अपने दोस्तों के साथ मिलकर क्रूरतापूर्वक बलात्संग किया था।
  • पुलिस ने भी भंवरी देवी के साथ सहयोग नहीं किया तथा शिकायत दर्ज करते समय उन्हें परेशान किया।
  • ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को निर्दोष पाते हुए दोषमुक्त कर दिया।
  • जब उच्च न्यायालय में अपील की गई तो न्यायालय ने माना कि मामला बदला लेने के उद्देश्य से सामूहिक बलात्संग का है।
  • इस मामले के कारण गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्त्ताओं द्वारा उच्चतम न्यायालय में विभिन्न जनहित याचिकाएँ दायर की गईं।

शामिल मुद्दे:

  • क्या कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की समस्या को रोकने के लिये दिशा-निर्देशों का अधिनियमन आवश्यक है?

 टिप्पणियाँ:

  • इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के अनुसार प्रत्येक व्यापार, वृत्ति एवं व्यवसाय, कार्य करने के लिये सुरक्षित होना चाहिये।
  • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि महिलाओं को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचने का मौलिक अधिकार है।
  • उच्चतम न्यायालय ने यौन उत्पीड़न की परिभाषा भी स्पष्ट की है।
  • उच्चतम न्यायालय का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के लिये कार्यस्थल पर लैंगिक समानता का वातावरण बनाना तथा उन्हें सुरक्षित कार्य अनुभव प्रदान करना था।

निष्कर्ष:

  • उच्चतम न्यायालय ने महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से बचाने के लिये कई महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किये हैं। न्यायालय ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों के क्रियान्वयन के लिये उचित उपायों को अपनाने का भी सुझाव दिया है।
  • उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में दोषियों पर दण्डित करने के लिये दिशा-निर्देश भी जारी किये।