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अंतर्राष्ट्रीय कानून

रेगिना बनाम विल्सन (1996)

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 25-Nov-2024

परिचय

यह प्रतिरक्षा के रूप में सहमति की वैधता से संबंधित एक ऐतिहासिक निर्णय है।

तथ्य  

  • वर्तमान में, वहाँ एक विवाहित युगल था।
  • इस मामले में अभियुक्त पति पर व्यक्ति विरुद्ध अपराध अधिनियम, 1861 के तहत मारपीट का आरोप लगाया गया था।
  • जिस कृत्य के लिए उन पर आरोप लगाया गया था वह वह कृत्य था जिसमें सहमति से किया गया सैडोमासोचिस्टिक (sadomasochistic) यौन कृत्य शामिल था।
  • इस मामले में पति ने अपनी पत्नी के नितंबों पर गर्म चाकू से अपने नाम के पहले अक्षर दाग दिये थे।
  • इसलिये, पति के विरुद्ध व्यक्ति विरुद्ध अपराध अधिनियम, 1861 की धारा 47 के तहत आरोप तय किया गया।
  • आरोप से बचने के लिये पति द्वारा यह तर्क दिया गया कि यह कृत्य सहमति से किया गया था तथा उनके घर की एकांतता में हुआ था।
  • इस प्रकार, यह मामला न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

शामिल मुद्दा

क्या वर्तमान तथ्यों के आधार पर सहमति का प्रतिरक्षा हमले के कृत्य के लिये वैध प्रतिरक्षा है?

टिप्पणी

  • न्यायालय ने आर बनाम ब्राउन (1993) मामले को इस आधार पर अलग किया कि उस मामले में परपीड़क गतिविधियों में अत्यधिक जोखिम और गंभीर चोट की संभावना शामिल थी, जिसके कारण व्यक्ति विरुद्ध अपराध अधिनियम, 1861 की धारा 47 के तहत दोषसिद्धि हुई।
  • विल्सन के कार्यों में किसी भी प्रकार की आक्रामक मंशा का अभाव था, जिससे तथ्यात्मक रूप से उनकी तुलना आर. बनाम ब्राउन (1993) से नहीं की जा सकती।
  • यह माना गया कि पति और पत्नी के बीच उनके घर की गोपनीयता में सहमति से की गई गतिविधियों को आपराधिक जाँच या दोषसिद्धि का विषय नहीं बनाया जाना चाहिये।
  • जब पक्षकारों के बीच सहमति से संबंध था, तो सहमति को व्यक्ति विरुद्ध अपराध अधिनियम, 1861 की धारा 47 के तहत वैध प्रतिरक्षा माना गया।
  • अपील स्वीकार कर ली गई और दोषसिद्धि रद्द कर दी गई।

निष्कर्ष

  • यह एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें न्यायालय ने पति-पत्नी के बीच निजी, सहमति से किये गए कार्यों में सहमति की वैधता को बरकरार रखा, तथा उन्हें अत्यधिक जोखिम वाले कार्यों से अलग रखा, तथा दोषसिद्धि को रद्द कर दिया।