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अंतर्राष्ट्रीय नियम

यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एवं उत्तरी आयरलैंड बनाम अल्बानिया (!949)

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 12-Sep-2024

परिचय:

यह मामला कोर्फू चैनल मामले के रूप में भी जाना जाता है, यह अंतर्राष्ट्रीय विधि में एक ऐतिहासिक विवाद है, जो वर्ष 1946 में अल्बानियाई जल में ब्रिटिश युद्धपोतों को क्षति पहुँचाने वाले खदान विस्फोटों से उत्पन्न हुआ था।

  • इस घटना के बाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा तीन महत्त्वपूर्ण निर्णय दिये गए।

तथ्य:

  • वर्ष 1946 में, अल्बानियाई जलक्षेत्र में कोर्फू चैनल से गुज़रते समय ब्रिटिश युद्धपोत बारूदी सुरंगों के विस्फोट से क्षतिग्रस्त हो गए थे।
  • यूनाइटेड किंगडम ने अल्बानिया पर बारूदी सुरंगें बिछाने या किसी तीसरे पक्ष को ऐसा करने की अनुमति देने का आरोप लगाया।
  • यह मामला प्रारंभ में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष लाया गया, जिसने इसे अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में भेजने की अनुशंसा की।
  • ब्रिटेन ने 22 मई 1947 को ICJ में एक आवेदन दायर किया।
  • अल्बानिया ने ब्रिटेन पर अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए एक प्रति-दावा प्रस्तुत किया।

शामिल मुद्दे:

  • क्या ICJ के पास इस मामले के विचारण की अधिकारिता है?
  • क्या अल्बानियाई जलक्षेत्र में ब्रिटेन का माइन स्वीपिंग अभियान विधिक था?

टिप्पणी:

  • क्षेत्राधिकार एवं स्वीकार्यता (25 मार्च 1948 निर्णय):
    • 2 जुलाई 1947 को अल्बानिया के संचार ने न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की स्वैच्छिक स्वीकृति का गठन किया।
    • अधिकार क्षेत्र के लिये सहमति विशिष्ट औपचारिक आवश्यकताओं के अधीन नहीं है।
    • विवाद्यक तथ्य (9 अप्रैल 1949 का निर्णय):
    • विस्फोटों एवं उससे होने वाले क्षति के लिये अल्बानिया को अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत उत्तरदायी ठहराया गया।
    • न्यायालय को इस तथ्य का कोई साक्ष्य नहीं मिला कि अल्बानिया ने स्वयं ही बारूदी सुरंगें बिछाई थीं या ऐसा करने के लिये यूगोस्लाविया के साथ संलिप्तता थी।
    • परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर, अल्बानिया की सूचना के बिना बारूदी सुरंगें नहीं बिछाई जा सकती थीं।
    • न्यायालय ने उन मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य की वैधता को मान्यता दी, जहाँ राज्य के अपनी सीमाओं के अंतर्गत विशेष नियंत्रण के कारण प्रत्यक्ष प्रमाण असंभव है।
    • कोर्फू चैनल के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम के मार्ग को अंतर्राष्ट्रीय जलडमरूमध्य के माध्यम से निर्बाध मार्ग का अभ्यास माना गया।
    • "स्वयं सहायता" की धारणा को यूनाइटेड किंगडम के हस्तक्षेप के औचित्य के रूप में स्वीकार नहीं किया गया।
  • क्षतिपूर्ति (15 दिसंबर 1949 का निर्णय):
    • अल्बानिया को ब्रिटेन के लिये 844,000 पाउंड की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया गया।

निष्कर्ष:

न्यायालय ने ब्रिटेन के माइन स्वीपिंग अभियान को अल्बानियाई संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए खारिज कर दिया।