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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल न्यायाधीश परीक्षा

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 17-Aug-2023

परिचय

उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिसिवल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा कराई जाती है।

परीक्षा योजना

प्रतियोगिता परीक्षा में क्रमश: तीन चरण होंगे यथा-

  • प्रारंभिक परीक्षा वस्तुनिष्ठ एवं बहुविकल्पीय प्रकार की।
  • मुख्य परीक्षा (परंपरागत प्रकार की अर्थात् लिखित परीक्षा) एवं
  • मौखिक परीक्षा (व्यक्तित्व परीक्षा)।

प्रारंभिक परीक्षा का पाठ्यक्रम

प्रश्न पत्र-प्रथम          समय: 2 घंटे          अंक-150

इस प्रश्न-पत्र में निम्नलिखित क्षेत्र पर आधारित प्रश्न सम्मिलित हैं:

  • भारत का इतिहास और भारतीय संस्कृति,
  • भारत का भूगोल,
  • भारतीय राजनीति,
  • वर्तमान राष्ट्रीय मामले
  • दिव्यांगजन अधिकार अधिानियम, 2016,
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिानियम, 2007,
  • दहेज प्रतिषेध अधिानियम, 1961,
  • घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005,
  • महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013,
  • गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनिमय, 1994,
  • गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिानियम, 1971,
  • स्त्री अशिष्ठ रूपण (प्रतिषेध), 1986,
  • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिानियम, 2012 के मुख्य बातों के विशेष संदर्भों में दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता और महिलाओं एवं बालकों/बालिकाओं से संबंधित अपराधों सहित सामाजिक सुसंगति के विषय,
  • भारत और विश्व,
  • भारतीय अर्थशास्त्र,
  • अंतर्राष्ट्रीय मामले और संस्थाएँ तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संचार एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास

इन प्रश्न-पत्रों की प्रकृति और स्तर ऐसा होगा कि एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशिष्ट अधययन के उनके उत्तर दे सकने में सक्षम होगा।

प्रश्न पत्र-द्वितीय         समय: 2 घंटे         अंक-300

विधि

इस प्रश्न पत्र में भारत में तथा विश्व में विशेष रूप से विधिक क्षेत्र में हो रही प्रतिदिन की घटनाएँ, अधिनियम एवं विधियों पर आधारित प्रश्न सम्मिलित हो सकते हैं।

  • विधि शास्त्र
  • अंतर्राष्ट्रीय संगठन
  • वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय प्रकरण
  • भारतीय संविधान
  • संपत्ति अंतरण अधिनियम
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम
  • भारतीय दण्ड संहिता
  • सिविल प्रक्रिया संहिता
  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता
  • संविदा विधि

मुख्य परीक्षा (लिखित परीक्षा) का पाठ्यक्रम

प्रश्न पत्र : संख्या-1  -  सामान्य ज्ञान  (अंक-200)

‘‘सामान्य ज्ञान’’ का एक प्रश्न-पत्र होगा।

इस प्रश्न-पत्र में निम्नलिखित क्षेत्र पर आधारित प्रश्न सम्मिलित हैं:

  • भारत का इतिहास और भारतीय संस्कृति,
  • भारत का भूगोल,
  • भारतीय राजनीति,
  • वर्तमान राष्ट्रीय मामले
  • दिव्यांगजन अधिकार अधिानियम, 2016,
  • माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिानियम, 2007,
  • दहेज प्रतिषेध अधिानियम, 1961,
  • घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005,
  • महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013,
  • गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनिमय, 1994,
  • गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिानियम, 1971,
  • स्त्री अशिष्ठ रूपण (प्रतिषेध), 1986,
  • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिानियम, 2012 के मुख्य बातों के विशेष संदर्भों में दिव्यांगों तथा वरिष्ठ नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता और महिलाओं एवं बालकों/बालिकाओं से संबंधित अपराधों सहित सामाजिक सुसंगति के विषय,
  • भारत और विश्व,
  • भारतीय अर्थशास्त्र,
  • अंतर्राष्ट्रीय मामले और संस्थाएं तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संचार एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास

इन प्रश्न-पत्रों की प्रकृति और स्तर ऐसा होगा कि एक सुशिक्षित व्यक्ति बिना किसी विशिष्ट अधययन के उनके उत्तर दे सकने में सक्षम होगा।

प्रश्न पत्र: संख्या-2  -  अंग्रेज़ी भाषा    (अंक-100)

इसमें नीचे विनिर्दिष्ट प्रकार से 03 (तीन) प्रश्न समाविष्ट होंगे।

  • निबंध -  50 अंक
  • सारांश लेखन -  30 अंक
  • हिंदी गद्यांश का अंग्रेज़ी में अनुवाद - 20 अंक

प्रश्न पत्र: संख्या-3  -  हिंदी भाषा      (अंक-100)

इसमें नीचे विनिर्दिष्ट प्रकार से 03 (तीन) प्रश्न समाविष्ट होंगे।

निबंध                                         -  50 अंक

सारांश लेखन                              -  30 अंक

हिंदी गद्यांश का अंग्रेज़ी में अनुवाद -         20 अंक

प्रश्न पत्र: संख्या-4   -  विधि-1 (मौलिक विधि)   (अंक-200)

दिये गये प्रश्न निम्नलिखित द्वारा आच्छादित क्षेत्र तक ही सीमित होंगे-

  • संविदा विधि, 1872
  • साझेदारी विधि, 1932
  • सुविधा अधिकार और अपकृत्यों संबंधी विधि,
  • संपत्ति अंतरण विधि जिसमें विशेषकर उस पर लागू साम्य सिद्धांत सम्मिलित होंगे।
  • न्याय एवं विनिर्दिष्ट अनुतोष विधि के विशेष संदर्भ में साम्य सिद्धांत, हिंदू विधि, मुस्लिम विधि और संवैधानिक विधि।

50 अंकों के प्रश्न केवल संवैधानिक विधि के संबंध में होंगे।

प्रश्न पत्र: संख्या-5   -  विधि-2 (प्रक्रिया एवं साक्ष्य)  (अंक-200)

दिये गये प्रश्न निम्नलिखित द्वारा आच्छादित क्षेत्र तक ही सीमित होंगे-

  • साक्ष्य विधि, 1872
  • दंड प्रक्रिया-संहिता, 1973
  • अभिवचन के सिद्धांतों को सम्मिलित करते हुए सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908

दिये गये प्रश्न मुख्यतः व्यावहारिक मामलों से संबंधित होंगे, जैसे कि सामान्यत: आरोपों और वाद-बिंदुओं की विरचना, गवाहों के साक्ष्यों के साथ व्यवहार की विधियाँ, निर्णयों का लेखन और वादों का संचालन, किंतु उन्हीं तक सीमित नहीं होंगे।

प्रश्न पत्र: संख्या-6  -  विधि-3 (दंड, राजस्व और स्थानीय विधियाँ)   (अंक-200)

प्रश्न समुच्चय निम्नलिखित द्वारा आच्छादित क्षेत्र तक सीमित होंगे-

  • भारतीय दंड संहिता, 1860
  • उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006,
  • उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराये तथा बेदखली का विनियमन) अधिनियम, 1972,
  • उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021,
  • उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, उत्तर प्रदेश
  • पंचायत राज अधिानियम, उत्तर प्रदेश चकबंदी अधिानियम, उत्तर प्रदेश नगरीय (नियोजन और विकास) अधिनियम, 1973 और साथ ही साथ पूर्वोक्त अधिानियमों के अधाीन बनाई गयी नियमावलियाँ।

स्थानीय विधिायों के प्रश्नों के उत्तर अनिवार्य होंगे। दंड विधियों से संबंधित प्रश्न 50 अंकों के होंगे, जबकि राजस्व और स्थानीय विधियों से संबंधित प्रश्न 150 अंक के होंगे।

साक्षात्कार

  • साक्षात्कार 100 अंकों का होगा
  • उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में नियोजन के लिये अभ्यर्थी की उपयुक्तता का परीक्षण, उसकी क्षमता, चरित्र, व्यक्तित्व और शारीरिक सौष्ठव पर सम्यक, ध्यान देते हुए उसकी श्रेष्ठता के संदर्भ में किया जायेगा।

स्पष्टीकरण: अभ्यर्थी के लिये सामान्य ज्ञान और विधि प्रश्न पत्रें के उत्तर हिंदी या अंग्रेज़ी में देने का विकल्प होगा।

टिप्पणी:

  • साक्षात्कार में प्राप्त किये गये अंकों को लिखित प्रश्न पत्रें में प्राप्त किये गये अंकों में जोड़ा जायेगा और अभ्यर्थी का स्थान दोनों के कुल योग पर निर्भर करेगा।
  • किसी अभ्यर्थी को साक्षात्कार के लिये बुलाने से इंकार करने का अधिकार आयोग को है जिसने विधि प्रश्न पत्रों में इतने अंक प्राप्त न किये हों, जो उसके द्वारा ऐसे इंकार को न्यायोचित ठहरायें।