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सिविल कानून
दस्तावेज़ों का प्रस्तुतीकरण, परिबद्धकरण एवं वापसी
« »29-Jan-2025
परिचय
- सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (सि.प्र.सं.) का आदेश XIII दस्तावेज़ों का पेश किया जाना, परिबद्ध किया जाना और लौटाएं जाने की प्रक्रिया निर्धारित करता है।
- दस्तावेज़ों का पेश किया जाना, परिबद्ध किया जाना और लौटाया जाना सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया तंत्र का प्रतिनिधित्व करते है जो पारदर्शिता, निष्पक्षता और प्रभावी न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित करते हैं।
- आदेश XIII विधिक कार्यवाही के दौरान दस्तावेज़ी साक्ष्य प्रस्तुत करने, परिबद्ध और प्रबंधन को नियंत्रित करने वाला एक व्यापक ढाँचा प्रदान करता है।
- यह नैसर्गिक न्याय, साक्ष्यिक अखंडता और प्रक्रियात्मक दक्षता के सिद्धांतों को संतुलित करने के लिये बनाया किया गया है।
विस्तार और उद्देश्य
- आदेश XIII के प्राथमिक उद्देश्य हैं:
- वाद के दौरान सुसंगत दस्तावेज पेश करने के लिये पक्षकारों के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करना।
- न्यायालय को महत्त्वपूर्ण साक्ष्यिक मूल्य के दस्तावेज़ों के परिबद्ध किये जाने या लौटाएं जाने के लिये तंत्र प्रदान करना।
- साक्ष्यिक उद्देश्य पूर्ण होने के पश्चात् दस्तावेज़ों का व्यवस्थित रूप से लौटाया जाना सुनिश्चित करना।
- दस्तावेजी साक्ष्य की शुद्धता बनाए रखते हुए पक्षकारों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करना।
दस्तावेज़ों का पेश किया जाना, परिबद्ध किया जाना और लौटाएं जाने के लिये विस्तृत नियम
नियम 1: मूल दस्तावेज़ का विवाद्यकों के स्थिरीकरण के समय या उसके पूर्व पेश किया जाना
- अनिवार्य प्रस्तुतीकरण:
- वाद में शामिल प्रत्येक पक्षकार को विवाद्यक विषय से संबंधित अपने कब्जे या शक्ति में सभी दस्तावेज पेश करने होंगे।
- दस्तावेज़ों को न्यायालय द्वारा विनिर्दिष्ट समय और स्थान पर पेश किया जाना चाहिये।
- दस्तावेज पेश न करने पर प्रतिकूल विधिक परिणाम हो सकते हैं।
- पेश करने की प्रक्रिया:
- दस्तावेज़ों को एक अनुसूची में सूचीबद्ध किया जाएगा।
- प्रत्येक दस्तावेज को क्रमांकित और अनुक्रमित किया जाना चाहिये।
- पक्षकारों को मामले के लिये दस्तावेज़ों की सुसंगतता का स्पष्ट विवरण देना होगा।
नियम 3: दस्तावेज़ों का नामंजूर किया जाना
- विसंगत या अग्राही दस्तावेज़ों को नामंजूर करने का न्यायालय का विवेकाधिकार।
- नामंजूर करने के आधारों को अभिलिखित करना अनिवार्य रूप से अपेक्षित है।
नियम 4: गृहीत दस्तावेज़ों पर पृष्ठांकन
- प्राथमिक पृष्ठांकन की आवश्यकताएँ:
- वाद का संख्यांक और शीर्षक
- दस्तावेज़ निर्माता का नाम
- प्रस्तुतीकरण की तिथि
- स्वीकृत कथन
- प्रविष्टियों के लिये विशेष प्रावधान:
- प्रतिस्थापन प्रतियों पर पृष्ठांकन
- न्यायाधीश के हस्ताक्षर/आद्याक्षर आवश्यक
नियम 5: गृहीत प्रविष्टियों की प्रतियों पर पृष्ठांकन
- निजी अभिलेख:
- डाकबही, दुकानबही और चालू-उपयोग में रहने वाले लेखा के लिये प्रावधान।
- पक्षकारों को प्रविष्टि प्रतियाँ पेश करने की अनुमति।
- लोक अभिलेख:
- लोक कार्यालय दस्तावेज़ों के लिये अपेक्षित प्रतियाँ बनाना।
- दस्तावेज प्रतियों में अपेक्षित न्यायालय का विवेकाधिकार।
- प्रमाणन प्रक्रम:
- प्रविष्ट प्रतियों की परीक्षा और प्रमाणीकरण।
- मूल दस्तावेज़ों को चिह्नित करना और लौटाया जाना।
नियम 6: अग्राह्य दस्तावेज़ों पर पृष्ठांकन
- अग्राह्य दस्तावेज:
- अग्राह्य दस्तावेज़ों के लिये अनिवार्य विवरण।
- अपेक्षित पृष्ठांकन विवरण।
- न्यायाधीश के हस्ताक्षर/आद्याक्षर।
नियम 7: अभिलेख और दस्तावेज़ों का लौटाया जाना
- गृहीत दस्तावेजें:
- वाद के अभिलेख में शामिल करना।
- मूल या प्रमाणित प्रति का परिरक्षण।
- नामंजूर की गई दस्तावेजें:
- वाद अभिलेख से अपवर्जन।
- मूल रूप से पेश किये जाने वालों को लौटाया जाना।
नियम 8: न्यायालय किसी दस्तावेज के परिबद्ध किये जाने का आदेश दे सकेगा
- दस्तावेज़ों को परिबद्ध करने का प्राधिकार।
- अवधि और अभिरक्षा अवधारित करना।
- अन्य नियमों के प्रावधानों से स्वतंत्र।
नियम 9: गृहीत दस्तावेज़ों का लौटाया जाना
- सामान्य वापसी की शर्तें:
- वाद के प्रकार के आधार पर पात्रता।
- प्रतीक्षा अवधि पर विचार।
- अपील से संबंधित प्रतिबंध।
- समय से पहले वापसी के प्रावधान:
- समय से पहले दस्तावेज़ वापसी की शर्तें।
- वचनबद्धता की आवश्यकताएँ और प्रमाणन।
- दस्तावेजीकरण प्रक्रम:
- अपेक्षित रसीद।
- शून्य दस्तावेज़ों को वापस करने पर प्रतिबंध।
नियम 10: न्यायालय स्वयं अपने अभिलेखों में से या अन्य न्यायालयों के अभिलेख में से कागज मंगा सकेगा
- न्यायालय की विवेकाधीन शक्तियाँ:
- स्वयं के या अन्य न्यायालयों से अभिलेख मंगाने का सामर्थ्य
- पक्षकारों के आवेदनों पर विचार
- आवेदन की आवश्यकताएँ:
- समर्थन शपथपत्र
- तात्विक अभिलेख का प्रदर्शन
- मूल दस्तावेज़ प्रस्तुतीकरण का औचित्य
- साक्ष्यिक परिसीमाएँ:
- अग्राह्य दस्तावेज़ों के उपयोग पर प्रतिबंध
नियम 11: भौतिक पदार्थों को लागू होना
- दस्तावेज़ों पर लागू होने वाले प्रावधान अन्य भौतिक साक्ष्यों तक विस्तारित हैं।
- विभिन्न साक्ष्यिक पदार्थों के लिये उदार निर्वचन।
निष्कर्ष
- आदेश XIII एक सूक्ष्म और परिष्कृत विधिक तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है जिसे कई न्यायिक हितों को संतुलित करने के लिये बनाया गया है। आदेश XIII के प्रावधान नैसर्गिक न्याय, पारदर्शिता और प्रक्रियात्मक निष्पक्षता के मौलिक सिद्धांतों को दर्शाते हैं। दस्तावेज़ प्रस्तुतीकरण, निरीक्षण, परिबद्ध किये जाने और लौटाएँ जाने के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करके, यह आदेश न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।