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सांविधानिक विधि
106वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2023
«02-Dec-2024
परिचय
- संशोधन का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।
- यह संशोधन लागू होने के बाद 15 वर्षों तक प्रभावी रहेगा, तथा इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
- इसे एक लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम माना जा रहा है, क्योंकि वर्ष 1996 के बाद से कई बार इसी प्रकार के विधेयक प्रस्तुत किये गए और निरस्त हो गए।
महिला आरक्षण अधिनियम, 2023
- संविधान (106वाँ संशोधन) अधिनियम, 2023, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करता है, जिनमें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित सीटें भी शामिल हैं।
- इसे सितंबर 2023 में पारित किया गया और इसका उद्देश्य विधानमंडल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना है।
- यह आरक्षण अधिनियम के लागू होने के बाद आयोजित जनगणना के प्रकाशन के बाद प्रभावी होगा और 15 वर्ष की अवधि तक लागू रहेगा, जिसका संभावित विस्तार संसदीय कार्रवाई द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
- महिलाओं के लिये आवंटित सीटों का रोटेशन प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद संसदीय कानून द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
भारत में महिला आरक्षण की यात्रा
- राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना:
- वर्ष 1988 में महिलाओं के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना में पंचायत स्तर से लेकर संसद तक महिलाओं के लिये आरक्षण प्रदान करने की सिफारिश की गई थी।
- 73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन:
- वर्ष 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन द्वारा सभी राज्यों को स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का आदेश दिया गया।
- अनुच्छेद 243D (2) और अनुच्छेद 243T (2) ने क्रमशः पंचायत और नगर पालिकाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया।
- महिला आरक्षण विधेयक:
- संसद और राज्य विधानसभाओं के लिये महिला आरक्षण विधेयक पहली बार वर्ष 1996 में पेश किया गया था।
- हालाँकि, बहुमत के अभाव के कारण इसे पारित नहीं किया जा सका।
- इसके बाद वर्ष 1998, 1999 और 2008 में भी प्रयास किये गए, लेकिन सभी विधेयक संबंधित लोकसभाओं के भंग होने के साथ ही निरस्त हो गए।
- राज्यसभा ने इसे वर्ष 2010 में पारित कर दिया, लेकिन यह लोकसभा में लंबित रहा।
- महिलाओं की स्थिति पर वर्ष 2013 की समिति सहित विभिन्न समितियों और रिपोर्टों ने सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं के लिये कम-से-कम 50% आरक्षण की सिफारिश की थी।
- संसद और राज्य विधानसभाओं के लिये महिला आरक्षण विधेयक पहली बार वर्ष 1996 में पेश किया गया था।
महिला आरक्षण पर प्रमुख समितियाँ
- वर्ष 1971 में भारत में महिलाओं की स्थिति पर समिति (CSWI):
- इसकी स्थापना तत्कालीन शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई थी, जो महिलाओं की सामाजिक स्थिति को प्रभावित करने वाले संवैधानिक, प्रशासनिक और कानूनी प्रावधानों की जाँच करता था।
- इसकी रिपोर्ट 'समानता की ओर' में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने में राज्य की विफलता पर प्रकाश डाला गया तथा स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये आरक्षण की सिफारिश की गई।
- वर्ष 1987 में मार्गरेट अल्वा के अधीन समिति:
- इसने महिलाओं के लिये राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना वर्ष 1988-2000 प्रस्तुत की, जिसमें निर्वाचित निकायों में महिलाओं के लिये सीटें आरक्षित करने की सिफारिश शामिल थी।
- इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन अधिनियम पारित हुए, जिनमें स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिये एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया।
- वर्ष 1996 में गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली चयन समिति:
- वर्ष 1996 में पहला महिला आरक्षण विधेयक गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति को भेजा गया था।
- समिति ने उचित समय पर OBC महिलाओं को आरक्षण देने पर विचार करने की सिफारिश की थी।
- वर्ष 2013 में महिलाओं की स्थिति पर समिति:
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित महिलाओं की स्थिति पर वर्ष 2013 की समिति ने संसद और राज्य विधानसभाओं सहित सभी निर्णय लेने वाले निकायों में महिलाओं के लिये कम-से-कम 50% आरक्षण सुनिश्चित करने की सिफारिश की थी।
प्रस्तुत प्रावधानों की विषय-वस्तु
- भारतीय संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 330A
- यह प्रावधान लोकसभा में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- इसमें प्रावधान है कि अनुच्छेद 330 के खंड (2) के तहत आरक्षित कुल सीटों में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिये आरक्षित होंगी।
- भारतीय संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 332
- यह प्रावधान राज्यों की विधान सभा में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- इसमें प्रावधान है कि अनुच्छेद 332 के खंड (3) के तहत आरक्षित कुल सीटों में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिये आरक्षित होंगी।
- भारतीय संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 239AA
- यह विधेयक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- इसमें प्रावधान है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिये आरक्षित होंगी।
निष्कर्ष
यह संशोधन महिलाओं के आरक्षण की लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है। इस आरक्षण के लागू होने से देश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। कानून बनाने वाली संस्थाओं में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व होने से ऐसे कानून बनेंगे जो महिलाओं को उनके जीवन के सभी क्षेत्रों में सुविधा प्रदान करेंगे और यह लैंगिक समानता की दिशा में एक बहुप्रतीक्षित कदम है।