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सांविधानिक विधि
भार तीय संविधान की आठवीं अनुसूची
« »30-Jul-2024
परिचय:
भारतीय संविधान, 1950 (COI) में 12 अनुसूचियाँ शामिल हैं।
- संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
- आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 344 (1) एवं अनुच्छेद 351 में दिये गए हैं।
- अनुच्छेद 344 (1) में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पाँच वर्ष की समाप्ति पर तथा तत्पश्चात् ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग का गठन करेगा, जिसमें एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्य शामिल होंगे जिन्हें राष्ट्रपति नियुक्त करें और आदेश में आयोग द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।
- अनुच्छेद 344 (2) के अनुसार आयोग का यह कर्त्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को निम्नलिखित अनुशंसा करेगा:
- संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिये हिंदी भाषा का आधिकारिक प्रयोग।
- संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिये अंग्रेज़ी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधन।
- अनुच्छेद 348 में वर्णित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिये प्रयोग की जाने वाली भाषा।
- संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिये प्रयोग किये जाने वाले अंकों का रूप।
- संघ की राजभाषा तथा संघ एवं किसी राज्य के बीच या एक राज्य एवं दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किये गए किसी अन्य विषय के विषय में अनुशंसा करे।
- संविधान के अनुच्छेद 351 में यह प्रावधान है कि संघ का यह कर्त्तव्य होगा कि,
- हिंदी भाषा के प्रसार को बढ़ावा देना, उसे विकसित करना ताकि वह भारत की समग्र संस्कृति के सभी तत्त्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।
- इसकी प्रतिभा में हस्तक्षेप किये बिना, हिंदुस्तानी एवं आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रूप, शैली एवं अभिव्यक्तियों को आत्मसात करके और जहाँ आवश्यक या वांछनीय हो, उसके शब्द-भंडार के लिये मुख्य रूप से संस्कृत और गौण रूप से अन्य भाषाओं का उपयोग करके, इसकी समृद्धि सुनिश्चित करना।
- इस प्रकार यह प्रतीत होता है कि आठवीं अनुसूची का उद्देश्य हिंदी के प्रगतिशील प्रयोग को बढ़ावा देना तथा उस भाषा को समृद्ध एवं संवर्धित करना था।
आठवीं अनुसूची:
- आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं:
(1) असमिया, (2) बंगाली, (3) गुजराती, (4) हिंदी, (5) कन्नड़, (6) कश्मीरी, (7) कोंकणी, (8) मलयालम, (9) मणिपुरी, (10) मराठी, (11) नेपाली, (12) उड़िया, (13) पंजाबी, (14) संस्कृत, (15) सिंधी, (16) तमिल, (17) तेलुगु, (18) उर्दू (19) बोडो, (20) संथाली, ( 21) मैथिली और (22) डोगरी - इनमें से 14 को प्रारंभ में संविधान में शामिल किया गया था। वर्ष 1967 में सिंधी भाषा को जोड़ा गया।
- इसके बाद वर्ष 1992 में तीन और भाषाओं यानी कोंकणी, मणिपुरी एवं नेपाली को शामिल किया गया।
- इसके बाद वर्ष 2004 में बोडो, डोगरी, मैथली एवं संथाली को जोड़ा गया।
आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने की प्रक्रिया:
- संविधान की आठवीं अनुसूची में और अधिक भाषाओं को शामिल करने के लिये वस्तुनिष्ठ मानदंड तैयार करने हेतु सितंबर 2003 में श्री सीताकांत महापात्र की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी।
- समिति ने वर्ष 2004 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- समिति की रिपोर्ट केंद्र सरकार के संबंधित अल्पसंख्यक/विभागों के परामर्श से विचाराधीन है।
- आठवीं अनुसूची में भाषाओं को शामिल करने की लंबित मांग पर निर्णय, अन्य बातों के साथ-साथ, समिति की अनुशंसा और उस पर सरकार के निर्णय के आलोक में लिया जाएगा।
नवीनतम घटनाक्रम:
- रिपुदमन सिंह बनाम भारत संघ (2023):
- जुलाई 2023 में उच्चतम न्यायालय ने संविधान की आठवीं अनुसूची में “राजस्थानी” भाषा को शामिल करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया।
- न्यायालय ने माना कि यह नीति का विषय है तथा ऐसा कुछ नहीं है जिसके लिये परमादेश जारी किया जा सके।
- न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि आठवीं अनुसूची में किसी भी भाषा को शामिल करने का आदेश देना न्यायालय की अधिकारिता में नहीं है।
- दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पटेल एवं न्यायमूर्ति शंकर की खंडपीठ ने भारतीय सांकेतिक भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिये दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
- न्यायालय ने माना कि भारतीय सांकेतिक भाषा को मान्यता देने, संरक्षित करने एवं बढ़ावा देने के लिये दिव्यांग व्यक्ति अधिनियम, 2016 के अंतर्गत पर्याप्त प्रावधान हैं।
निष्कर्ष:
संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं। इस सारणी को संविधान के अनुच्छेद 344 (1) एवं अनुच्छेद 351 के साथ पढ़ा जाना चाहिये।