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सांविधानिक विधि

राज्यपाल

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 29-Jan-2024

परिचय

भारत का संविधान (COI), 1950 संघ और राज्यों के लिये अलग-अलग प्रशासनिक प्रणालियों के साथ एक संघीय सरकार का प्रावधान करता है। भारतीय संविधान के भाग VI का अध्याय II राज्यपाल से संबंधित है।

राज्यों के लिये राज्यपाल

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 153 प्रत्येक राज्य के लिये एक राज्यपाल का प्रावधान करता है।
  • इस धारा के प्रावधान में आगे कहा गया है कि इस अनुच्छेद की कोई बात एक ही व्यक्ति को दो अथवा दो से अधिक राज्यों के लिये राज्यपाल नियुक्त किये जाने से निवारित नहीं करेगी।
  • वह राज्य का सांविधानिक प्रमुख है, जिसपर अपने मंत्रिपरिषद की सलाह को मानना बाध्यकारी है।
  • वह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है।

राज्य की कार्यपालिका शक्ति  

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 154 राज्यपाल में निहित राज्य की कार्यपालिका शक्तियों से संबंधित है।
  • इसके अनुसार-
    (1) राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं अथवा अपने अधीनस्थ अधिकारी के द्वारा करेगा
    (2) इस अनुच्छेद की कोई बात— 
    (a) किसी विद्यमान विधि द्वारा अथवा किसी अन्य प्राधिकारी को प्रदान किये गए कृत्य राज्यपाल को अंतरित करने वाली नहीं समझी जायेगी; या 
    (b) राज्यपाल के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी को विधि द्वारा कृत्य प्रदान करने से संसद अथवा राज्य विधान-मंडल को निवारित नहीं करेगी

राज्यपाल की नियुक्ति  

  • अनुच्छेद 155 में कहा गया है कि किसी राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्त करेगा।
  • यद्यपि राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन वह भारत सरकार के अधीन कार्यरत नहीं है।
  • एक ही राज्य अथवा विभिन्न राज्यों में एक से अधिक बार राज्यपाल की नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है।

राज्यपाल का कार्यकाल

  • अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा
  • राज्यपाल के पद का सामान्य कार्यकाल उसके पदग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष तक है।
  • राज्यपाल का पर्यावसान निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:
    • देश के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा पदच्युत किया जाना
    • बिना किसी वैध कारण के राज्यपाल को पदच्युत करना निषेधित है। हालाँकि, यह राष्ट्रपति का कर्त्तव्य है कि वह ऐसे राज्यपाल को पदच्युत करे जिसके कृत्यों को न्यायालय ने असंवैधानिक करार दिया हो।
  • राज्यपाल द्वारा त्यागपत्र
  • एक राज्यपाल, अपने कार्यकाल की समाप्ति के बावजूद, तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता।

राज्यपाल नियुक्ति होने के लिये अर्हताएँ

  • अनुच्छेद 157 राज्यपाल की नियुक्ति के लिये अर्हताओं से संबंधित है-
    • वह भारत का नागरिक हो।
    • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।

राज्यपाल के पद के लिये शर्तें  

  • अनुच्छेद 158 राज्यपाल के पद के लिये निम्नलिखित शर्तें निर्धारित करता है:
    • राज्यपाल संसद के किसी सदन का या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा, और यदि संसद के किसी भी सदन का या ऐसे किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है तो यह समझा जाएगा उसने उस सदन में अपना स्थान राज्यपाल के रूप में अपने पद ग्रहण की तारिख से रिक्त कर दिया है।
    • राज्यपाल अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा
    • राज्यपाल, बिना किराए दिये, अपने शासकीय निवासों के उपयोग का हकदार होगा और ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का भी, जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करे और जब तक कि इस निमित्त इस प्रकार का प्रावधान नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों तथा विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा।
    • जहाँ एक ही व्यक्ति को दो अथवा दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है, वहाँ उस राज्यपाल को संदेय उपलब्धियाँ तथा भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवंटित किये जाएँगे जो राष्ट्रपति आदेश को अवधारित करे
    • राज्यपाल की उपलब्धियाँ और भत्ते उसके पदावधि के दौरान कम नहीं किये जायेंगे।

राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान

  • अनुच्छेद 159 में कहा गया है कि प्रत्येक राज्यपाल और प्रत्येक व्यक्ति जो राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, अपना पद धारण करने से पहले उस राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति या उसकी अनुपस्थिति में उस न्यायालय के उपलब्ध ज्येष्ठतम न्यायाधीश के समक्ष निम्नलिखित प्रारूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।