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आपराधिक कानून

आपराधिक विधि संशोधन अधिनियम, 2018

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 16-Jan-2025

परिचय

  • आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 दो अन्य वीभत्स घटनाओं उन्नाव बलात्संग मामला, कठुआ बलात्संग मामला के बाद लागू किया गया था, जिसने समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था।
  • वर्ष 2018 में किये गए संशोधनों में अप्राप्तवयों के विरुद्ध बलात्संग के अपराध में कठोर सज़ा का प्रावधान किया गया।
  • आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 ने निम्नलिखित विधियों में संशोधन किये गए:
    • भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC)
    • दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC)
    • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA)
    • लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO)

आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 कब अधिनियमित एवं लागू किया गया?

  • आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 संसद द्वारा पारित किया गया तथा 11 अगस्त 2018 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई। वर्ष 2018 में संशोधन के माध्यम से कई नए अपराध शामिल किये गए।

आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 के अंतर्गत प्रमुख संशोधन क्या थे?

IPC में किये गए संशोधन

  • IPC की धारा 376:
    • धारा 376 की उपधारा 1 में संशोधन किया गया जिसमें प्रावधान किया गया कि सजा 10 वर्ष से कम नहीं होगी जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकेगा।
    • धारा 376 (3) जोड़ी गई, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि जो कोई सोलह वर्ष से कम आयु की महिला के साथ बलात्संग कारित करता है, उसे कम से कम बीस वर्ष की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, लेकिन जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास होगा, तथा वह अर्थदण्ड के लिये भी उत्तरदायी होगा।
  • IPC की धारा 376 AB: जो कोई भी बारह वर्ष से कम उम्र की महिला से बलात्संग कारित करता है, उसे कम से कम बीस वर्ष की कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकती है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास होगा, तथा अर्थदण्ड या मृत्युदण्ड दिया जाएगा।
  • IPC की धारा 376 DA: जहाँ सोलह वर्ष से कम आयु की महिला के साथ एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा समूह बनाकर या सामान आशय से बलात्संग कारित किया जाता है, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति ने बलात्संग का अपराध किया माना जाएगा तथा उसे आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास होगा, और अर्थदण्ड भी लगाया जाएगा।
  • IPC की धारा 376 DB: जहाँ बारह वर्ष से कम आयु की महिला के साथ एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा समूह बनाकर या एक समान आशय से बलात्संग कारित किया जाता है, उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को बलात्संग का अपराध करने वाला माना जाएगा तथा उसे आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिये कारावास होगा, और अर्थदण्ड, या मृत्युदण्ड दिया जाएगा।

CrPC में किये गए संशोधन

  • धारा 374 (4) जोड़ी गई जिसमें यह प्रावधान किया गया कि जब भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376, धारा 376A, धारा 376AB, धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB या धारा 376E के अधीन पारित सजा के विरुद्ध अपील संस्थित की गई हो, तो अपील का निपटान ऐसी अपील संस्थित करने की तिथि से छह महीने की अवधि के अंदर किया जाएगा।
  • धारा 377 (4) जोड़ी गई जिसमें यह प्रावधान किया गया कि जब भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376, धारा 376A, धारा 376AB, धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB या धारा 376E के अधीन पारित सजा के विरुद्ध अपील संस्थित की गई हो, तो अपील का निपटान ऐसी अपील दायर करने की तिथि से छह महीने की अवधि के अंदर किया जाएगा।
  • धारा 438 (4) जोड़ी गई, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि इस धारा का कोई भी प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 की उपधारा (3) या धारा 376AB या धारा 376DA या धारा 376DB के अधीन अपराध करने के आरोप पर किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी से संबंधित किसी भी मामले पर लागू नहीं होगी।
  • धारा 439 (a) (1) जोड़ी गई, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि उच्च न्यायालय या सत्र न्यायालय, किसी ऐसे व्यक्ति को जमानत देने से पहले, जो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 की उपधारा (3) या धारा 376AB या धारा 376DA या धारा 376DB के अधीन विचारणीय अपराध का आरोपी है, ऐसे आवेदन की सूचना प्राप्त होने की तिथि से पंद्रह दिनों की अवधि के अंदर लोक अभियोजक को जमानत के लिये आवेदन की सूचना देगा।
  • धारा 439 (1A) में यह प्रावधान है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 की उपधारा (3) या धारा 376AB या धारा 376DA या धारा 376DB के अधीन आरोपी व्यक्ति को जमानत के लिये आवेदन की सुनवाई के समय सूचना देने वाले या उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति की उपस्थिति अनिवार्य होगी।

IEA में किये गए संशोधन

  • धारा 53A चरित्र या पूर्व यौन अनुभव का साक्ष्य प्रदान करती है जो कुछ मामलों में प्रासंगिक नहीं है।
    • धारा 376A, धारा 376AB, धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB जोड़ी गईं।
  • धारा 146 में ऐसे प्रश्नों का प्रावधान है जो प्रतिपरीक्षा के दौरान वैध होंगे।
    • धारा 376A, धारा 376AB, धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB जोड़ी गईं।

POCSO में किये गए संशोधन

  • POCSO अधिनियम की धारा 42 में संशोधन किया गया।
    • धारा 376A, धारा 376AB, धारा 376B, धारा 376C, धारा 376D, धारा 376DA, धारा 376DB जोड़ी गईं।

निष्कर्ष

अप्राप्तवयों के विरुद्ध कारित बलात्संग के जघन्य अपराध के तत्त्वावधान में आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2018 लागू किया गया था। बलात्संग का अपराध तब और भी जघन्य हो जाता है जब यह अप्राप्तवयों के विरुद्ध किया जाता है। अप्राप्तवयों के विरुद्ध ऐसे अपराधों के प्रति अधिक निवारक निरोध प्रावधानित करने के लिये यह संशोधन प्रस्तुत किया गया है।