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आपराधिक कानून
पीड़ित प्रतिकर स्कीम
«29-Jan-2025
परिचय
- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 396 में पीड़ित प्रतिकर स्कीम को प्रावधानित किया गया है।
- उक्त प्रावधान को दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) में वर्ष 2009 में शामिल किया गया, जो भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।
- यह योजना इस तथ्य को स्वीकार करती है कि अपराध पीड़ितों को प्रायः गंभीर वित्तीय भार और मानसिक आघात का सामना करना पड़ता है, जिससे उनके पुनर्वास और पुनर्प्राप्ति हेतु राज्य के समर्थन की आवश्यकता होती है।
- यह प्रावधान आपराधिक न्याय के प्रति विशुद्ध दण्डात्मक दृष्टिकोण से अधिक पीड़ित-केंद्रित मॉडल की ओर बदलाव को दर्शाता है जो बहाली और प्रतिकर पर बल देता है।
पीड़ितों के लिये भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के अधीन विधिक प्रावधान
धारा 2(म)
- पीड़ित से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे अभियुक्त के कार्य या लोप के कारण कोई हानि या क्षति कारित हुई है और इसके अंतर्गत ऐसे पीड़ित का संरक्षक या विधिक उत्तराधिकारी भी शामिल है।
धारा 396 : पीड़ित प्रतिकर स्कीम
- यह धारा पहले दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 357A के अंतर्गत आती थी।
- प्रत्येक राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार के साथ मिलकर ऐसे पीड़ित या उसके आश्रितों को, जिन्हें अपराध के परिणामस्वरूप हानि या क्षति हुई है और जिन्हें पुनर्वास की आवश्यकता है, प्रतिकर के प्रयोजन के लिये निधियाँ उपलब्ध कराने के लिये एक स्कीम तैयार करेगी।
- मुख्य घटक:
- राज्य सरकार इस योजना के लिये निधि (funds) आवंटित करेगी।
- जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण प्रतिकर की मात्रा तय करेगा।
- प्रतिकर उन मामलों में भी प्रदान किया जा सकता है जहाँ अपराधी की पहचान नहीं हो पाई है या उसका पता नहीं चला है।
- पीड़ित या आश्रित राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष प्रतिकर प्राप्त करने हेतु आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।
- कार्यान्वयन प्रक्रिया:
- विचारण न्यायालय इस स्कीम के तहत प्रतिकर की अनुशंसा कर सकता है।
- विधिक सेवा प्राधिकरण को दावों का सत्यापन दो महीने के अंदर करना अनिवार्य होगा।
- तत्काल प्राथमिक उपचार या चिकित्सा लाभ नि:शुल्क प्रदान किया जाएगा।
- प्राधिकरण किसी भी चरण में तत्काल प्राथमिक उपचार सुविधा या चिकित्सा लाभ प्रदान करने आदेश दे सकता है।
- इस धारा के अधीन राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला प्रतिकर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 65, धारा 70 और धारा 124 की उपधारा (1) के अधीन पीड़ित को दिये जाने वाले जुर्माने के भुगतान के अतिरिक्त होगा।
- यह सुनिश्चित करता है कि एसिड अटैक और सामूहिक बलात्संग के पीड़ितों को न्यायालय द्वारा आदेशित जुर्माने से परे अतिरिक्त सहायता प्राप्त हो।
- इस धारा की उपधारा (7) पहले दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 357ख के अंतर्गत आती थी।
धारा 397: पीड़ितों का उपचार
- सभी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल, चाहे वे केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकायों या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा चलाए जा रहे हों, भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67, धारा 68, धारा 70 या धारा 71 या धारा 124 की उपधारा (1) के अधीन या लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (2012 का 32) की धारा 4, धारा 6, धारा 8 या धारा 10 के अधीन आने वाले किसी अपराध के पीड़ितों को तुरंत निःशुल्क प्राथमिक या चिकित्सीय उपचार उपलब्ध कराएंगे और ऐसी घटना की पुलिस को तुरंत सूचना देगें।
- यह धारा पूर्व में दण्ड प्रक्रिया संहिता की 357ग के अधीन सम्मिलित थी।
धारा 413: जब तक अन्यथा प्रावधानित न हो किसी अपील का न होना
- दण्ड न्यायालय के किसी निर्णय या आदेश से कोई अपील इस संहिता द्वारा या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा जैसा प्रावधानित हो उसके सिवाय न होगी:
- परंतु पीड़ित को न्यायालय द्वारा किसी अभियुक्त को दोषमुक्त करने वाले किसी आदेश या कम अपराध के लिये दोषसिद्ध करने वाले या अपर्याप्त प्रतिकर अधिरोपित करने वाले आदेश के विरुद्ध अपील करने का अधिकार होगा और ऐसी अपील उस न्यायालय में होगी जिसमें ऐसे न्यायालय की दोषसिद्धि के आदेश के विरुद्ध मामूली तौर पर अपील होती है।
निष्कर्ष
पीड़ित प्रतिकर स्कीम भारत में पीड़ितों के न्याय और सहायता में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है। यह अपराध पीड़ितों के प्रति राज्य की ज़िम्मेदारी को स्वीकार करती है और उनके प्रतिकर और पुनर्वास के लिये एक संगठित ढांचा प्रदान करती है। इस स्कीम की सफलता प्रभावी कार्यान्वयन, पर्याप्त वित्तीय प्रावधान और संबंधित पक्षकारों में जागरूकता पर निर्भर करती है। यद्यपि, राज्यों में एकरूपता की कमी और समय पर वितरण के जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, किंतु यह स्कीम अपराध पीड़ितों और उनके आश्रितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करती है।