होम / भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872)
आपराधिक कानून
इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों की ग्राह्यता
« »25-Jan-2024
परिचय:
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को अधिनियमित करते समय, धारा 65A और 65B को भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) में शामिल किया गया था। IEA की धारा 65A इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों को साक्ष्य के रूप में माने जाने के लिये एक विशेष प्रावधान प्रदान करती है, जबकि धारा 65B गृहीत कल्पना के माध्यम से उनकी ग्राह्ययता को नियंत्रित करती है।
इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख:
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 (t) के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का अर्थ, इलेक्ट्रॉनिक रूप या माइक्रोफिल्म या कंप्यूटर-जनरेटेड सूक्ष्मिका में प्राप्त या भेजा गया डेटा, रिकॉर्ड या उत्पन्न डेटा, संग्रहीत छवि या ध्वनि है।
IEA की धारा 65A:
- यह धारा इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों से संबंधित साक्ष्य के विशेष उपबंधों से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की अंतर्वस्तु धारा 65B के उपबंधों के अनुसार साबित की जा सकेगी।
IEA की धारा 65B:
- यह धारा इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों की ग्राह्यता से संबंधित है।
- इन उपबंधों का उद्देश्य कानूनी कार्यवाही में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के उपयोग को सुविधाजनक बनाना है।
- यह धारा इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों के माध्यम से किसी भी दस्तावेज़ी साक्ष्य को उचित ठहराने की प्रक्रिया निर्दिष्ट करती है।
इसमें कहा गया है कि -
(1) इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी:- किसी इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में अंतर्विष्ट किसी सूचना को भी, जो कंप्यूटर द्वारा उत्पादित और किसी कागज़ पर मुद्रित, प्रकाशीय या चुंबकीय मीडिया में भंडारित, अभिलिखित या जकल की गई हो (जिसे इनमें इसके पश्चात् कंप्यूटर निर्गम कहा गया है), तब एक दस्तावेज़ समझा जायेगा, यदि प्रश्नगत सूचना और कंप्यूटर के संबंध में, इस धारा में अल्लिखित शर्तें पूरी कर दी जाती हैं और वह मूल की किसी अंतर्वस्तु या उसमें कथित किसी तथ्य के साक्ष्य के रूप में, जिसका प्रत्यक्ष साक्ष्य ग्राह्य होता, अतिरिक्त सबूत या मूल को पेश किये बिना ही किन्हीं कार्यवाहियों में ग्राह्य होगा।
(2) कंप्यूटर निर्गम की बचत बाबत उपधारा (1) में वर्णित शर्तें निम्नलिखित होंगी, अर्थात-
(a) सूचना के युक्त कंप्यूटर निर्गम, कंप्यूटर द्वारा उस अवधि के दौरान उत्पादित किया गया था जिसमें उस व्यक्ति द्वारा, जिसका कंप्यूटर के उपयोग पर विधिपूर्ण नियंत्रण था, उस अवधि में नियमित रूप से किये गए किसी क्रियाकलाप के प्रयोजन के लिये, सूचना भंडारित करने या प्रसंस्करण करने के लिये नियमित रूप से कंप्यूटर का उपयोग किया गया था।
(b) उक्त अवधि के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में अन्तर्विष्ट किस्म की सूचना या उस किस्म की जिससे इस प्रकार अन्तर्विष्ट सूचना व्युत्पन्न प्राप्त की जाती है, उक्त क्रियाकलापों के सामान्य अनुक्रम में कंप्यूटर में नियमित रूप से भरी गई थी।
(c) उक्त अवधि के महत्त्वपूर्ण भाग में आद्योपांत, कंप्यूटर समूचित रूप से कार्य कर रहा था अथवा, यदि नहीं तो, उस अवधि के उस भाग की बाबत, जिसमें कंप्यूटर समूचित रूप से कार्य नहीं कर रहा था या वह उस अवधि में प्रचालन में नहीं था, ऐसी अवधि नहीं थी जिसमें इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख या उसकी अंतर्वस्तु की शुद्धता प्रभावित होती हो; और
(d) इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख में अन्तर्विष्ट सूचना ऐसी सूचना से पुनः उत्पादित या व्युत्पन्न की जाती है, जिसे उक्त क्रियाकलापों से सामान्य अनुक्रम में कंप्यूटर में भरा गया था।
(3) जहाँ किसी अवधि में:- उपधारा (2) के खण्ड (a) में यथा उल्लिखित, उस अवधि के दौरान नियमित रूप से किये गए किन्हीं क्रियाकलापों के प्रयोजनों के लिये सूचना के भंडारण या प्रसंस्करण का कार्य कंप्यूटरों द्वारा नियमित रूप से निष्पादित किया गया था, चाहे यह-
(a) उस अवधि में कंप्यूटरों के प्रचालन के संयोंजन द्वारा, या
(b) उस अवधि में उत्तरोत्तर प्रचालित विभिन्न कम्प्यूटरों द्वारा, या
(c) उस अवधि में उत्तरोत्तर प्रचलित कंप्यूटरों के विभिन्न संयोजनों द्वारा, या
(d) उस अवधि में उत्तरोत्तर प्रचालन को अंतर्वलित करते हुए किसी अन्य रीति में हो, चाहे वह एक या अधिक कंप्यूटरों और एक या अधिक कंप्यूटरों के संयोजनों द्वारा किसी भी क्रम में हो, उस अवधि के दौरान उस प्रयोजन के लिये उपयोग किये सभी कंप्यूटर इस धारा के प्रयोजनों के लिये एकल कम्प्यूटर के रूप में माने जाएँगे और इस धारा में कंप्यूटर के प्रति निर्देश का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा।
(4) किन्हीं कार्यवाहियों में:- जहाँ इस धारा के आधार पर साक्ष्य में विवरण दिया जाना वांछित है, निम्नलिखित बातों में से किसी बात को पूरा करते हुए प्रमाणपत्र, अर्थात्-
(a) विवरण से युक्त इन अभिलेख की पहचान करना और उस रीति का वर्णन करना जिससे इसका उत्पादन किया गया था;
(b) उस इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के उत्पादन में अन्तर्वलित किसी युक्ति को ऐसी विशिष्टियाँ देना, जो यह दर्शित करने के प्रयाजन के लिये समुचित हों कि इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख का कंप्यूटर द्वारा उत्पादन किया गया था;
(c) ऐसे विषयों में से किसी पर कार्रवाई करना, जिससे उपधारा (2) में उल्लिखित शर्तें संबंधित है, और
किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किये जाने के लिये तात्पर्यित होना, जो सुसंगत युक्ति के प्रचालन या सुसंगत क्रियाकलाप के प्रबंध के (जो भी समुचित हों) संबंध में उत्तरदायी पदीय हैसियत में हो, प्रमाणपत्र में कथित किसी विषय का साक्ष्य होगा; और इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये किसी ऐसे विषय के लिये यह कथन पर्याप्त होगा कि यह काम करने वाले व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान और विश्वास के आधार पर कहा गया है।
(5) इस धाारा के प्रयोजनों के लिये, -
(a) सूचना किसी कंप्यूटर को प्रदाय की गई समझी जायेगी यदि यह किसी समूचित रूप में प्रदाय की गई है, चाहे इस प्रकार किया गया प्रदाय सीधे (मानव मध्यक्षेप सहित या रहित) या किसी समुचित उपस्कर के माध्यम द्वारा किया गया हो।
(b) चाहे किस पदधारी द्वारा किये गए क्रियाकलापों के अनुक्रम में सूचना इसके भंडारित या प्रसंस्कृत किये जाने की दृष्टि से उक्त क्रियाकलापों के अनुक्रम से अन्यथा प्रचालित कंप्यूटर द्वारा उक्त क्रियाकलापों के प्रयोजनों के लिये प्रदाय की जाती है, वह सूचना, यदि सम्यक् रूप से उस कंप्यूटर को प्रदाय की जाती है तो, उन क्रियाकलापों के अनुक्रम में प्रदाय की गई समझी जाएगी।
(c) कंप्यूटर उत्पाद को कम्प्यूटर द्वारा उत्पादित समझा जायेगा, चाहे यह इसके सीधे उत्पादित हो (मानव मध्यक्षेप सहित या रहित) या किसी समुचित उपस्कर के माध्यम से हो।
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनों के लिये, अनरूप सूचना से व्युत्पन्न की गई सूचना के प्रति कोई निर्देश, परिकलन, तुलना या किसी अन्य प्रक्रिया द्वारा उससे व्युत्पन्न के प्रति निर्देश होगा।
निर्णयज विधि:
- अनवर पी.वी. बनाम पी.के. बशीर अन्य (2014) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि CD/DVD/पेन ड्राइव में द्वितीयक डेटा केवल IEA की धारा 65B (4) के तहत प्रमाणपत्र के साथ ग्राह्य है।
- कर्नाटक राज्य लोकायुक्त पुलिस स्टेशन, बंगलुरु बनाम आर. हीरेमठ (2019) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि IEA की 65बी के तहत प्रमाणपत्र चार्जशीट दाखिल करने के बाद प्रदान किया जा सकता है। जब मुकदमे में साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने की मांग की जाती है तो ऐसे प्रमाणपत्र का उत्पादन आवश्यक होता है।
- अर्जुन पंडित राव बनाम कैलाश कुशनराव (2020) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के लिये IEA की धारा 65B आवश्यक है। इस उपबंध के तहत प्रस्तुत प्रमाणपत्र में संबंधित उपकरण के प्रबंधन और संचालन के संबंध में आधिकारिक ज़िम्मेदारी वाले व्यक्ति के अधिकृत हस्ताक्षर सहित उन इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों एवं पहचान का विवरण शामिल है।