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आपराधिक कानून

रिष्टि

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 14-Feb-2024

परिचय:

रिष्टि एक अपराध है जो भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अध्याय XVII में शामिल है। धारा 425 से 440 में रिष्टि, सज़ा, गंभीर रिष्टि और मृत्यु का कारण बनने के इरादे से की गई रिष्टि के अपराध शामिल हैं। यह अपराध कहावत 'sic utretuoleadas' पर आधारित है जिसका अर्थ है कि अपनी संपत्ति का इस तरह उपयोग कीजिये, कि इससे किसी अन्य की संपत्ति को हानि न पहुँचे।

आई.पी.सी. की धारा 425:

  • रिष्टि को आई.पी.सी. की धारा 425 के तहत परिभाषित किया गया है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई भी यह संभाव्य जानते हुए कि, वह जनता को या किसी व्यक्ति को सदोष हानि या नुकसान कारित करे किसी संपत्ति का विनाश, या किसी संपत्ति में या उसकी स्थिति में ऐसी तब्दीली कारित करता है, जिससे उसका मूल्य या उपयोगिता नष्ट या कम हो जाती है, या उस पर क्षतिकारक प्रभाव पड़ता है, वह “रिष्टि करता है।
  • स्पष्टीकरण 1–रिष्टि के अपराध के लिये यह आवश्यक नहीं है कि अपराधी क्षतिग्रस्त या नष्ट संपत्ति के स्वामी को हानि या नुकसान कारित करने का आशय रखे। यह पर्याप्त है कि उसका यह आशय है या वह यह संभाव्य जानता है कि वह किसी संपत्ति को क्षति करके किसी व्यक्ति को, चाहे वह संपत्ति उस व्यक्ति की हो या नहीं, सदोष हानि या हानि कारित करे।
  • स्पष्टीकरण 2–ऐसी संपत्ति पर प्रभाव डालने वाले कार्य द्वारा, जो उस कार्य को करने वाले व्यक्ति की हो, या संयुक्त रूप से उस व्यक्ति की और अन्य व्यक्तियों की हो, रिष्टि की जा सकेगी।
  • दृष्टांत:  
    • A ने Z को गलत तरीके से हानि पहुँचाने के इरादे से Z की एक मूल्यवान प्रतिभूति को स्वेच्छा से जला दिया। A ने रिष्टि की है।
    • A, जिसके पास Z के साथ घोड़े की संयुक्त संपत्ति है, उसने Z को गलत तरीके से हानि पहुँचाने के इरादे से घोड़े को गोली मार दी। A ने रिष्टि की है।

रिष्टि की अनिवार्यताएँ:

  • Mens rea मेन्स रीया - नगेंद्रनाथ रॉय बनाम डॉ. बिजॉय कुमार दासबर्मा आर (1991) के मामले में यह माना गया था कि केवल लापरवाही का कार्य रिष्टि मानने के लिये पर्याप्त नहीं होगा, इसके लिये एक भ्रष्ट इरादा मौजूद होना चाहिये।
  • एक्टस रीया - यह अर्ज़ुन बनाम राज्य (1969) के मामले में आयोजित किया गया था कि संपत्ति के मूल्य को कम करके किसी की संपत्ति को चोट या क्षति पहुँचाना अपराध का एक्टस री होगा।
  • इकाई के मूल्य को कम करने वाला परिवर्तन - एक्टस री के बाद मेन्स री के परिणाम के रूप में उस इकाई का मूल्य कम होना चाहिये।

आई.पी.सी. की धारा 426:

  • आईपीसी की धारा 426 रिष्टि के अपराध के लिये सज़ा से संबंधित है।
  • इसमें कहा गया है कि जो कोई भी रिष्टि करेगा, उसे तीन महीने तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

रिष्टि के उग्र रूप:

  • आईपीसी की धारा 427 से 440 इस अपराध के गंभीर रूप को शामिल करती है जिसकी गंभीरता आचरण की प्रकृति और इसमें शामिल धन के मूल्य पर निर्भर करती है।
    • धारा 427:
      • यह धारा पचास रुपये की राशि की क्षति पहुँचाने वाली रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें अधिकतम 2 वर्ष की कैद या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
      • मेन्स रीया एक आवश्यक तत्त्व है।
    • धारा 428:
      • यह दस रुपये मूल्य के पशु को मारने या अपंग करने की रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें 2 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।
    • धारा 429:
      • यह किसी भी मूल्य के मवेशी आदि या पचास रुपये मूल्य के किसी भी पशु को मारने या अपंग करने की रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें 5 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
    • धारा 430:
      • यह सिंचाई कार्यों को हानि पहुँचाने या गलत तरीके से जल की दिशा बदलने से होने वाली रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें कारावास की सज़ा हो सकती है जिसे 5 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
      • मेन्स रीया एक आवश्यक तत्त्व है।
    • धारा 431:
      • यह सार्वजनिक सड़क, पुल, नदी या चैनल पर चोट के कारण होने वाली रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें 5 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
      • मेन्स रीया एक आवश्यक तत्त्व है।
    • धारा 432:
      • यह बाढ़ या सार्वजनिक जल निकासी में बाधा के कारण होने वाली क्षति के साथ-साथ क्षति से संबंधित है।
      • इसमें 5 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।
    • धारा 433:
      • यह किसी लाइटहाउस या सीमार्क को नष्ट करने, स्थानांतरित करने या कम उपयोगी बनाने की रिष्टि से निपटता है।
      • इसमें 7 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।
    • धारा 434:
      • यह सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित एक मील के पत्थर को नष्ट करने या स्थानांतरित करने आदि की रिष्टि से संबंधित है।
      • इसमें 7 वर्ष तक की कैद या ज़ुर्माना या दोनों की सज़ा हो सकती है।

रिष्टि में आगजनी के अपराध:

  • धारा 435:
    • यह हानि पहुँचाने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई रिष्टि से संबंधित है।
    • इसमें 7 वर्ष तक की जेल और ज़ुर्माना हो सकता है।
  • धारा 436:
    • यह घर को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा की गई रिष्टि से संबंधित है।
    • इसके लिये आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की जेल और ज़ुर्माना दोनों का प्रावधान है।
  • धारा 437:
    • यह किसी जहाज़ या बीस टन वज़न वाले जहाज़ को नष्ट करने या असुरक्षित बनाने के इरादे से की गई रिष्टि से संबंधित है।
    • इसमें 10 वर्ष तक की कैद और ज़ुर्माने का प्रावधान है।
  • धारा 438:
    • यह धारा 437 के तहत अग्नि विस्फोटकों द्वारा की गई रिष्टि से संबंधित है।
    • इसके लिये आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक की कैद और ज़ुर्माना दोनों का प्रावधान है।
  • धारा 439:
    • यह धरा चोरी, आदि करने के आशय से जलयान को साशय भूमि या किनारे पर चढ़ा देने के लिये दण्ड से संबंधित है।
    • न्यायालय के विवेक के अनुसार ऐसे मामले में 10 साल तक की सज़ा और ज़ुर्माना हो सकता है।

मृत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि:

  • IPC की धारा 440 मृत्यु या उपहति कारित करने की तैयारी के पश्चात् की गई रिष्टि से संबंधित है।
  • इसके अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति को मृत्यु या उसे उपहति या उसका संदोष अवरोध कारित करने की अथवा मॄत्यु का, या उपहति का, या सदोष अवरोध का भय कारित करने की, तैयारी करके रिष्टि करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और ज़ुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
  • इस धारा के तहत अपराध संज्ञेय, गैर-ज़मानती, दण्डनीय और प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

निर्णयज विधि:

  • इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन बनाम एन.ई.पी.सी. इंडिया लिमिटेड और अन्य वाद (2006), में उच्चतम न्यायालय ने माना कि स्वामित्व का रिष्टि (mischief) से कोई संबंध नहीं है। इस प्रकार, मालिक भी रिष्टि कर सकते हैं।