भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत संगठित तुच्छ अपराध
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आपराधिक कानून

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत संगठित तुच्छ अपराध

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 25-Jul-2024

परिचय:

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) द्वारा पहली बार संगठित तुच्छ अपराध को शामिल किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) के अधीन ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।

संगठित तुच्छ अपराध:

  • यह अध्याय VI में निहित है तथा यह मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराधों के लिये प्रावधान करता है।
  • संगठित तुच्छ अपराध के लिये BNS की धारा 110 के अधीन प्रावधान किया गया है।
  • संगठित तुच्छ अपराध के आवश्यक तत्त्व हैं:
    • कोई भी अपराध जो नागरिकों के मन में असुरक्षा की सामान्य भावना उत्पन्न करता है:
  • वाहन की चोरी
  • वाहन से चोरी
  • घरेलू एवं व्यावसायिक चोरी
  • चालबाज़ी से चोरी
  • मालवाहक अपराध
  • चोरी (चोरी का प्रयास, निजी संपत्ति की चोरी)
  • संगठित पिकपॉकेटिंग
  • छीना-झपटी
  • दुकान से सामान चुराना
  • कार्ड स्किमिंग के माध्यम से चोरी
  • ऑटोमेटेड टेलर मशीन की चोरी
  • सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में अवैध धन संग्रह करना
  • टिकटों की अवैध बिक्री
  • सार्वजनिक परीक्षा के प्रश्न-पत्रों की बिक्री
  • संगठित अपराध के ऐसे अन्य सामान्य रूप जो इनके द्वारा किये जाते हैं

संगठित आपराधिक समूह या गिरोह:

  • ये छोटे संगठित अपराध के अंतर्गत आएंगे जब ये अपराध किसी व्यक्ति द्वारा किये गए हों।
    • मोबाइल द्वारा संचालित संगठित अपराध समूह या
    • गिरोह जो अपराध कारित करने से पहले एक निश्चित अवधि में क्षेत्र में एक साथ कई अपराध करने के लिये आपस में संपर्क, बैठक एवं खाद्य सामग्री आपूर्ति हेतु नेटवर्क बनाते हैं।
  • धारा 110(2) में इस अपराध के लिये सज़ा का प्रावधान है।
  • ध्यान देने योग्य बात यह है कि ऐसा अपराध करने एवं करने का प्रयास करने दोनों के लिये कम-से-कम एक वर्ष का कारावास एवं सात वर्ष तक की सज़ा हो सकती है तथा अर्थदण्ड भी देय होगा।

संगठित तुच्छ अपराध का प्रावधान के कारण:

  • संगठित रूप से किसी चल संपत्ति को छीनना, पॉकेट मारना, वाहन से छल करके चोरी करना, कार्ड स्किमिंग, ATM चोरी जैसे कुछ अपराध नागरिकों में असुरक्षा की भावना उत्पन्न करते हैं। इस धारा के लागू होने से सुरक्षा की भावना उत्पन्न होगी।
  • एक विशेष मामला जो आजकल बहुत विवादास्पद है, वह है सार्वजनिक परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर पेपर लीक होना तथा अन्य हेराफेरी। यह ध्यान देने योग्य है कि संगठित गिरोह इसमें शामिल हैं। इसलिये प्रावधान इसी अपराध को संबोधित करता है।

संसदीय स्थायी समिति की अनुशंसा:

  • विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों से संबंधित राज्यसभा में प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के नियम 270 के अनुसरण में, राज्य सभा के सभापति ने भारतीय न्याय संहिता, 2023 को विभाग-संबंधित गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजा है।
  • समिति ने पाया कि ‘नागरिकों में असुरक्षा की सामान्य भावना’ शब्द बहुत अस्पष्ट एवं संदिग्ध है तथा इसे परिभाषित करने की आवश्यकता है।
  • समिति ने यह भी पाया कि वाहन चोरी शब्द धारा 110 एवं धारा 109 दोनों में स्पष्ट परिलक्षित होता है।

अन्य चिंताएँ:

  • हालाँकि "असुरक्षा की सामान्य भावना" शब्द को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त, भारतीय न्याय संहिता 'गैंग', 'एंकर पॉइंट' एवं 'मोबाइल द्वारा संचालित संगठित अपराध समूह' जैसे शब्दों को परिभाषित नहीं करती है।
  • इस धारा में 'संगठित अपराध के ऐसे अन्य सामान्य रूप' को शामिल करने वाला प्रावधान है। इस प्रावधान की परिधि स्पष्ट नहीं है।
  • 'आपराधिक समूह या गिरोह' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है। धारा 109 के विपरीत, अपराध के लिये किसी संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा किया जाना आवश्यक नहीं है, जिसके विरुद्ध पिछले 10 वर्षों के दौरान सक्षम न्यायालय में एक से अधिक आरोप-पत्र दाखिल किये गए हों।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि मोबाइल द्वारा संचालित संगठित अपराध समूहों द्वारा लिये गए अपराधों को विशेष रूप से छोटे संगठित अपराध की परिभाषा में शामिल किया गया है, लेकिन संगठित अपराध की परिभाषा में नहीं।
  • धारा 110 (2) मनमाने ढंग से छोटे संगठित अपराध करने तथा करने के प्रयास दोनों के लिये एक ही सज़ा का प्रावधान करती है- एक वर्ष की अवधि का कारावास जो कि सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा साथ ही अर्थदण्ड भी।

निष्कर्ष:

भारतीय न्याय संहिता, 2023 में संगठित तुच्छ अपराध का प्रावधान किया गया है। भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में यह प्रावधान नहीं था। इस प्रावधान का उद्देश्य सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना तथा संगठित अपराध समूहों द्वारा किये जाने वाले अपराधों को रोकना है।