होम / भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय दण्ड संहिता
आपराधिक कानून
भारतीय न्याय संहिता और भारतीय दण्ड संहिता का तुलनात्मक विश्लेषण
«18-Feb-2025
परिचय
- यह विश्लेषण भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) और भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) के प्रावधानों की तुलना करता है, जिसमें राज्य के विरुद्ध अपराधों का विवरण दिया गया है।
- भारतीय न्याय संहिता के अधीन राज्य के विरुद्ध अपराधों से संबंधित अध्याय, अध्याय 6 के अंतर्गत आता है, जबकि इसे भारतीय दण्ड संहिता के अध्याय 7 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया था।
- दोनों ही राज्य के विरुद्ध गंभीर अपराधों को संबंधित हैं, जिसमें युद्ध करना, षड्यंत्र करना और राज्य के अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करना सम्मिलित है।
- तुलना से पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के अपने मूल उद्देश्य को बनाए रखते हुए ये प्रावधान कैसे विकसित हुए हैं।
भारतीय न्याय संहिता और भारतीय दण्ड संहिता के उपबंधों का तुलनात्मक विश्लेषण
पहलू |
भारतीय दण्ड संहिता |
भारतीय न्याय संहिता |
संगठन और क्रमांकन |
|
|
भाषा और स्पष्टता |
|
|
ऐतिहासिक संदर्भ |
|
|
अपराध का विस्तार |
|
|
जुर्माना और दण्ड |
|
|
उल्लेखनीय परिवर्धन |
|
|
राज्य के कैदियों के साथ व्यवहार |
|
|
मुख्य अपराध |
|
|
रक्षात्मक तंत्र |
|
|
विधिक विकास और आधुनिकीकरण |
|
|
प्रक्रियागत अद्यतन |
|
|
निष्कर्ष
इस तुलना से राज्य के विरुद्ध अपराधों से निपटने वाले विधिक प्रावधानों के सावधानीपूर्वक विकास का पता चलता है। राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के मूल सिद्धांतों को बनाए रखते हुए, नया संस्करण अद्यतन भाषा, विस्तारित दायरे और आधुनिक विचारों के माध्यम से समकालीन चुनौतियों के अनुकूल है। आधुनिक तत्त्वों के साथ-साथ मौलिक प्रावधानों को बनाए रखना बदलते समय के साथ अनुकूलन करते हुए राज्य के हितों की रक्षा करने में इन विधियों के स्थायी महत्त्व को दर्शाता है। यह विकास विधिक सिद्धांतों की निरंतरता और उभरते खतरों और समकालीन संदर्भों के लिये उनके आवश्यक अनुकूलन दोनों को दर्शाता है।