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आपराधिक कानून
BNS के अधीन धर्म से संबंधित अपराध
« »09-Sep-2024
परिचय:
हर किसी को अपने धर्म को मानने की अनुमति होनी चाहिये और किसी भी व्यक्ति को एक-दूसरे के धर्म का अपमान करने का अधिकार नहीं होना चाहिये।
- भारतीय संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 25 से 30 के अंतर्गत मौलिक अधिकार के रूप में धर्म की स्वतंत्रता को सुनिश्चित किया गया है।
- भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है एवं यह बिंदु संविधान की प्रस्तावना में भी उपस्थित है।
- उत्तम शासन का मुख्य सिद्धांत यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने धर्म का प्रचार करने के लिये स्वतंत्र हो।
धर्म से संबंधित अपराध:
- भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) का अध्याय XVI धर्म से संबंधित अपराधों के प्रावधानों से संबंधित है।
- BNS के अंतर्गत अपराधों की पाँच श्रेणियाँ सूचीबद्ध हैं:
- किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से पूजा स्थल को हानि पहुँचाना या अपवित्र करना:
- BNS की धारा 298 में किसी भी व्यक्ति के लिये दण्ड का उल्लेख है:
- किसी भी धार्मिक पूजा स्थल को नष्ट, क्षतिग्रस्त या अपवित्र करना
- किसी भी धार्मिक पवित्र वस्तु को नष्ट, क्षतिग्रस्त या अपवित्र करना
- किसी भी धर्म का अपमान करने के आशय एवं ज्ञान के साथ
- उस व्यक्ति को दो वर्ष तक की अवधि के कारावास, अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- BNS की धारा 298 में किसी भी व्यक्ति के लिये दण्ड का उल्लेख है:
- जानबूझकर एवं दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना हो:
- BNS की धारा 299 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आशय से:
- शब्द, या मौखिक या लिखित
- लक्षण
- दृश्य प्रतिनिधित्व
- इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से
- धार्मिक मान्यताओं का अपमान करने के आशय से,
- BNS की धारा 299 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आशय से:
उस व्यक्ति को तीन वर्ष तक की अवधि के कारावास, अर्थदण्ड या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- धार्मिक सभा में व्यवधान उत्पन्न करना:
- BNS की धारा 300 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सभा में व्यवधान उत्पन्न करता है:
- धार्मिक पूजा
- धार्मिक समारोह,
- BNS की धारा 300 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सभा में व्यवधान उत्पन्न करता है:
वह किसी एक अवधि के लिये कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या अर्थदण्ड से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
- दफन स्थल आदि पर अतिक्रमण:
- BNS की धारा 301 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान पर कोई अतिचार करता है-
- पूजा
- मकबरा
- अंतिम संस्कार की रस्में निभाना
- मृतकों के अवशेषों का संग्रह
- या अंतिम संस्कार समारोह के लिये एकत्रित हुए किसी भी व्यक्ति को परेशान करता है
- किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाने के आशय से, या किसी व्यक्ति के धर्म का अपमान करने के आशय से, या यह जानते हुए कि किसी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचने की संभावना है, तो
- BNS की धारा 301 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी स्थान पर कोई अतिचार करता है-
उस व्यक्ति को एक वर्ष तक की अवधि के कारावास, अर्थदण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के जानबूझकर आशय से शब्द आदि बोलना:
- कोई भी व्यक्ति जो:
- कोई शब्द बोलता है
- उस व्यक्ति के सुनाने के लिये कोई ध्वनि करता है
- कोई इशारा करता है,
- उस व्यक्ति को एक वर्ष तक की अवधि के कारावास, अर्थदण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
- कोई भी व्यक्ति जो:
निष्कर्ष:
कोई भी व्यक्ति धर्म के आधार पर किसी भी व्यक्ति या उसकी मान्यताओं और किसी भी धर्म की पवित्र वस्तु का अपमान नहीं कर सकता। इस तरह के किसी भी कृत्य को पाँच श्रेणियों में उल्लिखित BNS के प्रावधानों के अधीन दण्डित किया जाएगा। भारत जैसे देश में जहाँ विभिन्न धर्मों का पालन किया जाता है, वहाँ धार्मिक अधिकारों की सुरक्षा सबसे आवश्यक है। दण्डात्मक प्रावधानों की सहायता से किसी भी धर्म के अपमान को रोकना आसान हो जाता है।