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आपराधिक कानून
लोक अभियोजक
«26-Dec-2024
परिचय
- भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के द्वितीय अध्याय में आपराधिक न्यायालयों के गठन के अंतर्गत सरकारी अभियोजक के लिये प्रावधान किया गया है।
- भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में सरकारी अभियोजक एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- राज्य के प्रतिनिधि के रूप में, वे सरकार की ओर से आपराधिक मामलों पर अभियोजन का वाद के लिये उत्तरदायी हैं।
- उनका प्राथमिक कर्त्तव्य यह सुनिश्चित करना है कि अभियुक्तों के अधिकारों को बनाए रखते हुए न्याय सुनिश्चित किया जाए।
सरकारी अभियोजक के संबंध में BNSS के अंतर्गत विधिक प्रावधान
धारा 18: सरकारी अभियोजक
- उच्च न्यायालय के द्वारा नियुक्ति:
- उच्च न्यायालय के लिये केन्द्र/राज्य सरकार द्वारा नियुक्तियाँ।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिये विशेष प्रावधान।
- जिलों/स्थानीय क्षेत्रों के लिये नियुक्तियाँ करने की केन्द्र सरकार की शक्ति।
- जिला स्तरीय नियुक्तियाँ:
- राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति की शक्तियाँ।
- अंतर-जनपदीय नियुक्ति प्रावधान।
- पैनल तैयार करने की प्रक्रिया।
- योग्यता एवं चयन:
- अभियोजन अधिकारियों का नियमित कैडर।
- पात्रता मानदण्ड (अधिवक्ता के रूप में कम से कम 7 वर्ष का अनुभव)।
- जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पैनल चयन प्रक्रिया।
- विशेष लोक अभियोजक
- नियुक्ति मानदण्ड (अधिवक्ता के रूप में कम से कम 10 वर्ष का अनुभव)।
- पीड़ित के लिये अधिवक्ता नियुक्त करने का अधिकार।
- सेवा अवधि की गणना।
धारा 19: सहायक लोक अभियोजक
- नियुक्तियाँ एवं प्राधिकार:
- मजिस्ट्रेट न्यायालयों के लिये राज्य सरकार की नियुक्तियाँ।
- केंद्र सरकार की नियुक्ति शक्तियाँ।
- जिला मजिस्ट्रेट की आपातकालीन नियुक्ति शक्तियाँ।
- पुलिस अधिकारियों पर प्रतिबंध:
- पात्रता प्रतिबंध।
- रैंक आवश्यकताएँ।
धारा 20: अभियोजन निदेशालय
- संगठनात्मक संरचना:
- राज्य स्तरीय निदेशालय।
- जिला स्तरीय निदेशालय।
- प्रशासनिक पदानुक्रम।
- योग्यता संबंधी अर्हताएँ:
- निदेशक एवं उप निदेशक (अधिवक्ता के रूप में 15 वर्ष का अनुभव अथवा सत्र न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हों।)
- सहायक निदेशक (अधिवक्ता के रूप में 7 वर्ष का अनुभव अथवा प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट रहे हैं।)
- प्रशासनिक नियंत्रण एवं अधीनता:
- गृह विभाग की निगरानी।
- पदानुक्रमिक संरचना।
- विभिन्न अभियोजकों की अधीनता।
- शक्तियाँ एवं कार्य
- निदेशक का उत्तरदायित्व (अपराधों से निपटना जो 10 वर्ष से अधिक की सजा का प्रवाधान करते है)।
- उप निदेशक के कर्त्तव्य (अपराधों से निपटना जो 7 से 10 वर्ष की सजा का प्रावधान करते हैं)।
- सहायक निदेशक की भूमिका (अपराधों से निपटना 7 वर्ष से कम की सजा का प्रावधान करते हैं)।
- सामान्य शक्तियाँ एवं अधिसूचनाएँ।
सरकारी अभियोजकों के समक्ष चुनौतियाँ
- अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, लोक अभियोजकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है:
- वृहत कार्यभार: वे बड़ी संख्या में मामलों के अभियोजन से जुड़े होते हैं, जो उनके अभियोजन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।
- संसाधनों की कमी: अपर्याप्त धन एवं सहायता उनकी गहन जाँच और अभियोजन का वाद के निस्तारण करने की क्षमता में बाधा डाल सकती है।
- विभिन्न हितधारकों से दबाव: उन्हें राजनीतिक संस्थाओं, पीड़ितों एवं बचाव पक्ष से दबाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी भूमिका जटिल हो सकती है।
निष्कर्ष
भारत में आपराधिक न्याय प्रणाली के कार्यप्रणाली के लिये सरकारी अभियोजक आवश्यक हैं। विधिक व्यवस्था को बनाए रखने और न्याय सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। हालाँकि, अभियोजन की प्रभावकारिता और विधिक प्रणाली की समग्र अखंडता को बढ़ाने के लिये उनके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना महत्त्वपूर्ण है। सरकारी अभियोजकों के लिये निरंतर सुधार एवं समर्थन एक अधिक न्यायपूर्ण एवं समतापूर्ण समाज में योगदान देगा।