अपहरण
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आपराधिक कानून

अपहरण

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 05-Dec-2023

परिचय:

  • 'अपहरण' किसी व्यक्ति के मूल 'जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार' का उल्लंघन करता है, जैसा कि भारतीय संविधान के 'अनुच्छेद 14' में सन्निहित है।
  • भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 362 कहती है कि 'जो कोई किसी व्यक्ति को किसी भी स्थान से जाने के लिये बलपूर्वक विवश करता है, या किसी छल पूर्ण उपायों द्वारा प्रेरित करता है, तो उसे उस व्यक्ति का अपहरण करना कहा जाता है।'
    • उदाहरण के लिये, 'B' 'A' को थप्पड़ मारता है और उसे चोट पहुँचाता है तथा उससे कहता है कि यदि वह उसके साथ नहीं गई तो वह उसे मार डालेगा। इस मामले में 'B' अपहरण का अपराध करता है क्योंकि वह 'A' को उसके घर से दूर ले जाने के लिये बलपूर्वक साधनों का उपयोग करता है।

अपहरण के अपराध के संघटक:

  • बलपूर्वक:
    • धारा 362 कहती है कि अपहरण दो तरह से हो सकता है, इनमें से एक बल है। अपहरण में व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये मजबूर किया जाता है। बल का प्रयोग, जैसा कि इस धारा में बताया गया है, कि अपहरण के लिये केवल बल की धमकी के रूप में नहीं बल्कि, वास्तविक रूप में होना चाहिये।
  • कपटपूर्ण साधन:
    • अपहरण का दूसरा तरीका यह है कि किसी को कुछ ऐसा करने के लिये गुमराह करके उसे कहीं से जाने के लिये प्रेरित किया जाए जो वह आमतौर पर नहीं करता/करती। इसमें उत्प्रेरणा का दायरा बहुत व्यापक है।
  • किसी भी स्थान से जाने के लिये:
    • अपहरण को पूर्ण करने के लिये यह आवश्यक है कि व्यक्ति को बलपूर्वक या कपटपूर्ण साधनों का उपयोग करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये मजबूर किया जाए। यदि व्यक्ति को किसी स्थान पर नहीं ले जाया गया तो इसे अपहरण नहीं कहा जा सकता।
  • सज़ा:
    • अपहरण एक सहायक कृत्य है, जो अपने आप में दंडनीय नहीं है जब तक कि धारा 364-366 के तहत निर्दिष्ट किसी इरादे से न किया गया हो। इसलिये किसी अभियुक्त को सज़ा देने के लिये एक खास उद्देश्य ज़रूरी है।

संबंधित निर्णयज विधि:

  • विश्वनाथ बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (1960):
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि महज़ अपहरण कोई अपराध नहीं है। अपराध को दंडनीय बनाने के लिये दोषी और गलत इरादे का मौजूद होना ज़रूरी है।
  • पश्चिम बंगाल राज्य बनाम मीर मोहम्मद उमर (2000):
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अपहरण तब होता है जब किसी व्यक्ति को बलपूर्वक किसी एक जगह से जाने के लिये मजबूर किया जाता है। यहाँ पीड़ित महेश को दो जगहों से ले जाया गया, पहला उसके दोस्तों के यहाँ से, जहाँ से वह भाग निकला और दूसरा पड़ोसी के यहाँ से। दोनों ही मामलों में बल प्रयोग किया गया। इसलिये, अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया।

निष्कर्ष:

  • सामान्य भाषा में अपहरण का अर्थ है कि किसी व्यक्ति को धोखे से या बलपूर्वक ले जाना। यूनाइटेड किंगडम में व्यपहरण का उपयोग नाबालिगों और वयस्कों दोनों के लिये किया जाता है, जबकि भारत में व्यपहरण का उपयोग नाबालिगों के लिये तथा अपहरण का उपयोग वयस्कों के लिये किया जाता है।
  • कभी-कभी अज्ञानता के कारण, उपयुक्त शिकायतें दर्ज नहीं की जाती हैं, तथा अपराधी के खिलाफ कानूनी कदम नहीं उठाए जाते हैं और इसलिये न्याय नहीं मिल पाता है।