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सिविल कानून
मुस्लिम विधि के तहत तलाक के प्रकार
« »01-Jan-2024
परिचय:
'तलाक' शब्द लैटिन शब्द 'डिवोर्टियम' से आया है जिसका अर्थ- पृथक या अलग होना है।
- मुस्लिम विधि के तहत, पति या पत्नी की मृत्यु या तलाक से विवाह भंग हो जाता है।
- जब कोई अनुबंध होता है तो पार्टियों के विकल्प से अनुबंध को समाप्त करने का विकल्प भी उत्पन्न होता है।
मुस्लिम विधि के तहत विवाह का विघटन:
- मुस्लिम विधि के तहत, केवल पति को ही 'तलाक का अधिकार' है।
- वह बिना कोई कारण बताए और केवल ऐसे शब्दों का उच्चारण करके ऐसा कर सकता है जो उसके विवाह को खत्म के इरादे को दर्शाता है।
- एक मुस्लिम पत्नी को तलाक देने का अधिकार केवल तभी होता है जब तलाक का अधिकार उसे उसके पति द्वारा या आपसी समझौते यानी खुला या मुबारत द्वारा सौंपा जाता है।
- वर्ष 1939 से पहले, एक मुस्लिम पत्नी को पति पर जारकर्म, पागलपन या नपुंसकता के झूठे आरोपों के अलावा तलाक लेने का कोई अधिकार नहीं था।
- मुस्लिम विधि के तहत तलाक को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
पति द्वारा:
- तलाक:
- अपने मूल अर्थ में तलाक का अर्थ निराकण या अस्वीकृति है, लेकिन मुस्लिम विधि के तहत, इसका अर्थ तुरंत या अंततः विवाह बंधन से मुक्ति है। यह सभी प्रकार के तलाक के लिये एक सामान्य नाम है; लेकिन विशेष रूप से पति द्वारा या उसकी ओर से अस्वीकार करने पर लागू होता है।
- शिया कानून के तहत, तलाक को मौखिक रूप से कहा जाना चाहिये। तलाक को वैध बनाने के लिये किसी विशिष्ट शब्द की आवश्यकता नहीं होती है। शिया कानून के तहत तलाक को दो गवाहों के सामने सुनाया जाना चाहिये।
- सुन्नी कानून के अनुसार, हर वह व्यक्ति जो (i) वयस्क और (ii) स्वस्थ है, तलाक कहने में सक्षम है।
पति द्वारा निम्नलिखित में से किसी भी तरीके से तलाक दिया जा सकता है:
- तलाक-उल-सुन्नत: यह तलाक है जो पैगंबर की परंपराओं के अनुसार लागू किया जाता है। इसे आगे उप-विभाजित किया गया है:
- तलाक-ए-अहसन: एक बार जब पति तलाक कह देता है, तो महिला के तीन मासिक धर्म चक्रों को ध्यान में रखते हुए तीन महीने की इद्दत अवधि होनी चाहिये।
- इस अवधि के दौरान, यदि पति अपनी पत्नी के साथ सहवास या संभोग फिर से शुरू करता है, तो तलाक रद्द हो जाता है।
- तलाक-ए-हसन: पति से मासिक धर्म के बाद लगातार तीन बार तलाक के शब्द बोलने की अपेक्षा की जाती है।
- पति को तलाक की एक ही घोषणा करनी होती है और फिर दूसरी घोषणा कहने के लिये दूसरे मासिक धर्म का इंतज़ार करना होता है।
- पहली और दूसरी घोषणा पति द्वारा रद्द की जा सकती है। यदि वह स्पष्ट रूप से या वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करके ऐसा करता है, तो तलाक के शब्द अप्रभावी हो जाते हैं।
- यदि पहली या दूसरी घोषणा के बाद कोई निरसन नहीं किया जाता है, तो पति तीसरी घोषणा करने के लिये बाध्य हो जाता है और विवाह विघटित हो जाता है।
- तलाक-अल बिद्दत: तलाक-अल बिद्दत में तलाक के अपरिवर्तनीय रूप शामिल होते हैं। इसे तलाक का उचित रूप नहीं माना जाता है। यह तलाक का एक अस्वीकृत तरीका है। इस तलाक की एक अनोखी विशेषता यह है कि यह शब्द बोलते ही प्रभावी हो जाता है और इसमें पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं रहती है।
- तीन तलाक:- तीन तलाक इस्लाम में प्रचलित तलाक का एक रूप है, जिसके तहत एक मुस्लिम व्यक्ति तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता था। पुरुष को तलाक के लिये कोई कारण बताने की आवश्यकता नहीं होती है और तलाक की घोषणा के समय पत्नी को उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है।
- शायराबानो बनाम भारत संघ (2017) मामले में, उसने इस प्रथा को इस आधार पर उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी कि उक्त प्रथा भेदभावपूर्ण है और महिलाओं की गरिमा के विरुद्ध है।
- 22 अगस्त, 2017 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए बहुमत के निर्णय में तत्काल तीन तलाक को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताकर तलाक की प्रथा को रद्द कर दिया।
- उच्चतम न्यायालय के निर्णय ने सरकार की इस स्थिति को सही साबित कर दिया कि तलाक-ए-बिद्दत संवैधानिक नैतिकता, महिलाओं की गरिमा और लैंगिक समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है तथा भारत के संविधान के तहत गारंटीकृत लैंगिक समानता के भी विरुद्ध है।
- इला:
- इला में, पति अपनी पत्नी के साथ संभोग न करने की शपथ लेता है और चार महीने की अवधि तक इसका पालन करता है। चार महीने की समाप्ति के बाद विवाह अपरिवर्तनीय रूप से भंग हो जाता है।
- यदि पति चार महीने के भीतर फिर से सहवास करता है, तो इला रद्द हो जाती है, और विवाह विघटित नहीं होता है।
- ज़िहार:
- ज़िहार अपूर्ण तलाक का एक रूप है। यदि पति अपनी पत्नी की तुलना अपनी किसी महिला संबंधियों से ऐसी निषिद्ध डिग्री के भीतर करता है जो ऐसे व्यक्ति के साथ विवाह को गैरकानूनी बनाता है, तो पत्नी को उससे तब तक अलग रहने का अधिकार है जब तक कि वह प्रायश्चित न कर ले। यदि पति प्रायश्चित नहीं करता है, तो पत्नी को न्यायिक तलाक के लिये आवेदन करने का अधिकार है।
पत्नी द्वारा:
- तलाक-ए-तफवीज़:
- तलाक-ए-तफवीज़ को प्रत्यायोजित तलाक के रूप में भी जाना जाता है और इसे शिया और सुन्नी दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त है। यह एकमात्र तरीका है जिसके माध्यम से एक पत्नी अपने पति को तलाक दे सकती है लेकिन तलाक देने की यह शक्ति उसे केवल पति द्वारा सौंपी जानी चाहिये। यह एक प्रकार का समझौता होता है जो पत्नी को तलाक के माध्यम से अपने पति से अलग होने की अनुमति देता है।
- लियान:
- लियान का सरल शब्दों में अर्थ- 'पत्नी पर जारकर्म' का गलत आरोप है। जब कोई पति अपनी पत्नी पर जारकर्म का झूठा आरोप लगाता है, तो पत्नी को अपने पति पर मुकदमा करने और इन आधारों पर तलाक की डिक्री मांगने का अधिकार है।
आपसी सहमति से:
- खुला:
- आपसी सहमति से और पत्नी के कहने पर तलाक, जिसमें वह महर (इस्लामिक विवाह के समय दूल्हे द्वारा दुल्हन को भुगतान किया गया दायित्व) वापस करने या अपने पति को कुछ मुआवज़ा देने के लिये सहमत होती है। यह एक महिला को तलाक की पहल करने की अनुमति देता है।
- मुबारत:
- मुबारत में पति-पत्नी दोनों एक-दूसरे से छुटकारा पाकर खुश होते हैं। सुन्नियों के बीच, जब विवाह के पक्ष मुबारत में प्रवेश करते हैं, तो सभी पारस्परिक अधिकार और दायित्व समाप्त हो जाते हैं।
- शिया इस बात पर ज़ोर देते हैं कि जब तक कि दोनों पक्ष अरबी शब्दों का उच्चारण करने में असमर्थ हों, तब तक मुबारत शब्द के बाद अरबी में तलाक शब्द का उच्चारण किया जाना चाहिये, अन्यथा तलाक नहीं होगा। शिया और सुन्नी दोनों के बीच, मुबारत अपरिवर्तनीय है।
मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 के तहत महिला का तलाक का अधिकार:
एक मुस्लिम महिला निम्नलिखित आधारों पर तलाक के लिये आवेदन कर सकती है-
- कि चार वर्ष तक पति के विषय में कोई जानकारी नहीं है।
- यह कि पति ने दो वर्ष की अवधि तक उसके भरण-पोषण की उपेक्षा की है या वह उसे देने में विफल रहा है।
- कि पति को सात वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिये कारावास की सज़ा सुनाई गई हो।
- कि पति तीन वर्ष की अवधि तक अपने वैवाहिक दायित्त्व को पूरा करने में विफल रहा है।
- कि पति दो वर्ष से पागल है या कुष्ठ रोग या भयंकर यौन रोग से पीड़ित है।
- कि पति विवाह के समय नपुंसक था और अब भी है।
15 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले अपने पिता या अन्य अभिभावक द्वारा विवाह किये जाने पर महिला ने 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने से पहले विवाह से इनकार कर दिया हो।