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आपराधिक कानून
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अधीन मामलों की रिपोर्ट की प्रक्रिया
06-Mar-2025
परिचय
- लैंगिक शोषण और दुर्व्यवहार से बालकों का संरक्षण एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक उत्तरदायित्त्व है।
- ये दिशानिर्देश बालकों के विरुद्ध संभावित अपराधों की रिपोर्ट, उनसे निपटने और उनका समाधान करने के लिये व्यापक विधिक ढाँचे की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं, तथा बाल कल्याण की रक्षा के लिये व्यक्तियों, संस्थानों और मीडिया के सामूहिक कर्त्तव्य पर बल देते है।
- लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के अध्याय 5 में धारा 19 से लेकर धारा 23 तक के मामलों की रिपोर्ट की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है।
बाल संरक्षण अपराधों की रिपोर्ट करने के लिये वैधानिक प्रावधान
धारा 19: अपराधों की रिपोर्ट करना
रिपोर्ट तंत्र का उद्देश्य:
- यह धारा बालकों के विरुद्ध संभावित या वास्तविक अपराधों की रिपोर्ट के लिये एक मजबूत प्रणाली स्थापित करता है।
- विधि यह स्वीकार करती है कि बाल संरक्षण एक सामूहिक उत्तरदायित्त्व है जो पारंपरिक आपराधिक रिपोर्ट प्रक्रियाओं से परे है।
कौन रिपोर्ट कर सकता है?
- विधि किसी भी व्यक्ति को - केवल विधि प्रवर्तन या अधिकारियों तक सीमित न रहते हुए - संभावित बाल संरक्षण मुद्दों की रिपोर्ट करने का अधिकार प्रदान करती है। इसमें सम्मिलित हैं:
- माता-पिता और संरक्षक
- शिक्षक और स्कूल कर्मचारी
- पड़ोसी और समुदाय के सदस्य
- यहाँ तक कि बालक स्वयं भी धमकियों या अपराधों की रिपोर्ट कर सकते हैं
रिपोर्ट करने के लिये क्या परिस्थितियाँ हैं?
- दो प्राथमिक परिदृश्यों में रिपोर्ट अनिवार्य हैं:
- संभावित अपराध की आशंका (घटना से पूर्व)।
- प्रत्यक्ष ज्ञान कि कोई अपराध पहले ही किया जा चुका है।
रिपोर्ट प्रणाली
- रिपोर्ट दो विशिष्ट अधिकारियों को की जा सकती है:
- विशेष किशोर पुलिस यूनिट
- स्थानीय पुलिस अधिकारी
रिपोर्ट प्रलेखन प्रक्रिया
- प्रत्येक रिपोर्ट को एक सख्त प्रलेखन प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिये:
- एक अद्वितीय प्रविष्टि संख्या अंकित होगी
- लिखित प्रारूप में लेखबद्ध की जाएगी
- सुचना देने वाले व्यक्ति को वापस पढ़कर सुनाई जाएगी
- आधिकारिक पुलिस पुस्तिका में प्रविष्ट की जाएगी
बाल मुखबिरों के लिये विशेष विचार
- विधि बालकों द्वारा रिपोर्ट किये जाने पर अतिरिक्त सुरक्षा और स्पष्टता प्रदान करती है:
- रिपोर्ट को सरल, समझने योग्य भाषा में अभिलिखित किया जाना चाहिये।
- यदि बालक अभिलिखित भाषा को नहीं समझता है, तो उसे एक अनुवादक प्रदान किया जाना चाहिये।
- प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि बालक पूर्ण रूप से समझ सके कि क्या प्रलेखित किया जा रहा है।
तत्काल बाल संरक्षण उपाय
- रिपोर्ट प्राप्त होने पर, अधिकारियों को चाहिये:
- बच्चे की तत्काल सुरक्षा आवश्यकताओं का आकलन करें।
- हस्तक्षेप के कारणों का दस्तावेज़ीकरण करें।
- 24 घंटे के भीतर देखभाल की व्यवस्था करें।
- संभावित रूप से बच्चे को आश्रय या अस्पताल में रखें।
- बाल कल्याण समिति और विशेष न्यायालय को सूचित करें।
रिपोर्ट करने वालों के लिये विधिक संरक्षण
- विधि स्पष्ट रूप से उन व्यक्तियों की संरक्षित करती है जो सद्भावनापूर्वक रिपोर्ट करते हैं:
- रिपोर्ट करने के लिये कोई सिविल या आपराधिक दायित्त्व नहीं।
- बाल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
धारा 20: मामले की रिपोर्ट करने के लिये मीडिया, स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
व्यापक संस्थागत उत्तरदायित्त्व
- यह धारा विभिन्न संस्थानों से रिपोर्ट को अनिवार्य बनाती है:
- मीडिया संगठन
- होटल और लॉज
- अस्पताल
- क्लब
- स्टूडियो
- फोटो चित्रण सुविधाएँ
क्या रिपोर्ट किया जाना चाहिये?
- संस्थाओं को ऐसी किसी भी सामग्री की रिपोर्ट करनी चाहिये जो:
- बालक का लैंगिक शोषण करती हो।
- अश्लील प्रकृति की हो।
- बालकों का अश्लील चित्रण हो।
रिपोर्ट तंत्र
- ऐसी सभी सामग्रियों की तुरंत रिपोर्ट की जानी चाहिये:
- विशेष किशोर पुलिस यूनिट
- स्थानीय पुलिस अधिकारी
धारा 21: मामले की रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिये दण्ड।
व्यक्तिगत गैर-रिपोर्ट के लिये दण्ड
- जो व्यक्ति अपराधों की रिपोर्ट करने में विफल रहते हैं, उन्हें निम्नलिखित का सामना करना पड़ सकता है:
- 6 मास तक का कारावास
- मौद्रिक जुर्माना
- या दोनों
संस्थागत प्रमुख की जवाबदेही
- जो नेता या प्रबंधक अधीनस्थों द्वारा किये गए अपराधों की रिपोर्ट करने में विफल रहते हैं, उन्हें निम्नलिखित का सामना करना पड़ सकता है:
- 1 वर्ष तक की कारावास
- मौद्रिक जुर्माना
बच्चों को छूट
- बालक को उनकी कमज़ोर स्थिति को देखते हुए गैर-रिपोर्ट के लिये दण्ड से छूट दी गई है।
धारा 22: मिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिये दण्ड
दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट के विरुद्ध सुरक्षा
- विधि दण्ड स्थापित करके मिथ्या परिवादों को हतोत्साहित करता है:
- अपमानित करने या नुकसान पहुँचाने के लिये की गई मिथ्या रिपोर्ट के लिये छह मास का कारावास या जुर्माना।
- मिथ्या रिपोर्ट के लिये दण्ड के विरुद्ध बालकों के लिये विशेष संरक्षण।
बालकों के विरुद्ध मिथ्या रिपोर्ट के लिये गंभीर परिणाम
- किसी बच्चे के विरुद्ध साशय मिथ्या परिवाद करने के परिणामस्वरूप हो सकता है:
- 1 वर्ष तक का कारावास
- मौद्रिक जुर्माना
- विधिक संरक्षण के दुरुपयोग को रोकता है
धारा 23: मीडिया के लिये प्रक्रिया
मीडिया का उत्तरदायित्त्व
- मीडिया संगठनों को निम्न से प्रतिबंधित किया गया है:
- पूरी, प्रामाणिक जानकारी के बिना रिपोर्ट करना।
- बच्चे की प्रतिष्ठा से समझौता करना।
- बच्चे की निजता का उल्लंघन करना।
कठोर पहचान संरक्षण
- निम्नलिखित प्रकट करने पर पूर्ण प्रतिबंध:
- बच्चे का नाम
- पता
- तस्वीरें
- पारिवारिक विवरण
- स्कूल की जानकारी
- कोई भी पहचान संबंधी विवरण
सीमित न्यायिक अपवाद
- केवल एक विशेष न्यायालय ही पहचान प्रकटीकरण की अनुमति दे सकता है, और केवल तभी जब:
- यह स्पष्ट रूप से बच्चे के सर्वोत्तम हित में हो
- कारणों को औपचारिक रूप से प्रलेखित किया गया हो
संस्थागत जवाबदेही
- मीडिया मालिक और प्रकाशक कर्मचारी कार्यों के लिये संयुक्त रूप से उत्तरदायी हैं
- उल्लंघन के परिणामस्वरूप 6 मास से 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना हो सकता है
निष्कर्ष
ये दिशानिर्देश बालकों को लैंगिक शोषण से संरक्षण के लिये एक व्यापक विधिक तंत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे व्यक्तियों, संस्थानों और मीडिया के लिये स्पष्ट रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल, सुरक्षा उपाय और जवाबदेही मानक स्थापित करते हैं। प्राथमिक उद्देश्य एक मजबूत, बाल-केंद्रित ढाँचा बनाना है जो बालकों की सुरक्षा, गोपनीयता और कल्याण को प्राथमिकता देता है।