होम / लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO)
आपराधिक कानून
बालक के कथन अभिलिखित करने की प्रक्रिया
«28-Mar-2025
परिचय
बालकों का लैंगिक शोषण और दुर्व्यवहार से संरक्षण एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक उत्तरदायित्त्व है।
- ये दिशानिर्देश बालकों के विरुद्ध संभावित अपराधों की रिपोर्टिंग, प्रबंधन और समाधान के लिये व्यापक विधिक ढाँचे को स्पष्ट करते हैं, जिसमें व्यक्तियों, संस्थानों और मीडिया की सामूहिक उत्तरदायित्त्व पर विशेष बल दिया गया है जिससे बाल कल्याण की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के अध्याय 6 में धारा 24 से 27 के अधीन बालक के कथन को अभिलिखित करने की प्रक्रिया बताई गई है।
बालक के कथन अभिलिखित करने के लिये सांविधिक उपबंध
धारा 24: बालक के कथन अभिलिखित किया जाना
कथन अभिलिखित करने का स्थान:
- कथन निम्नलिखित स्थानों पर अभिलिखित किये जाएँगे:
- बालक के निवास स्थान पर
- वह स्थान जहाँ बालक सामान्यतः रहता है
- बालक द्वारा चुने गए किसी अन्य स्थान पर
पुलिस अधिकारी की योग्यता:
- कथन अभिलिखित करने हेतु महिला पुलिस अधिकारी होना अनिवार्य है।
- न्यूनतम पद सब-इंस्पेक्टर होना चाहिये।
- कथन अभिलिखित करने के दौरान पुलिस की वर्दी नहीं पहननी चाहिये।
बातचीत पर प्रतिबंध:
- बालक और अभियुक्त के बीच किसी भी प्रकार के संपर्क पर पूर्ण प्रतिबंध होगा।
- रात्रि में बालक को पुलिस स्टेशन में निरुद्ध नहीं किया जाएगा।
पहचान संरक्षण:
- बालक की पहचान सार्वजनिक मीडिया से रखना अनिवार्य होगा।
- अपवाद केवल विशेष न्यायालय के आदेश द्वारा और बालक के सर्वोत्तम हित में ही संभव होंगे।
धारा 25: मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन
कथन अभिलिखित करने की प्रक्रिया:
- मजिस्ट्रेट को बालक द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द को यथावत अभिलिखित करना अनिवार्य होगा।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के प्रथम उपबंध के अधीन अभियुक्त के अधिवक्ता की उपस्थिति से संबंधित प्रावधान में संशोधन किया गया है।
दस्तावेज़ीकरण अधिकार:
- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 207 के अधीन दस्तावेज़ों की प्रतियाँ प्रदान करना अनिवार्य होगा।
- पुलिस की अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत होने पर प्रतियाँ बालक, उसके माता-पिता या प्रतिनिधि को प्रदान प्रदान की जाएंगी।
धारा 26: अभिलिखित किये जाने वाले कथन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध
कथन के दौरान उपस्थिति
- कथन को निम्नलिखित की उपस्थिति में अभिलिखित किया जाना चाहिये:
- बालक के माता-पिता
- बालक द्वारा चुना गया कोई विश्वसनीय व्यक्ति
सहायक सहायता
- अनुवादक/दुभाषिया की सुविधा:
- निर्धारित योग्यता आवश्यक होगी।
- विनियमित शुल्क संरचना लागू होगी।
- भाषा संबंधी अवरोध की स्थिति में उपयोग किया जाएगा।
विशेष आवश्यकताओं की व्यवस्था:
- मानसिक/शारीरिक नि:शक्तता वाले बालक के लिये:
- विशेष शिक्षक सहायता अनिवार्य होगी।
- संपर्क की रीती से सुपरिचित किसी विशेषज्ञ की सहभागिता आवश्यक होगी।
- विशिष्ट पद्धतियों द्वारा बयान दर्ज किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ीकरण
- कथन का ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य होगी।
- जहाँ भी तकनीकी रूप से संभव हो, इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।
धारा 27: चिकित्सीय परीक्षा प्रोटोकॉल
परीक्षा की परिस्थितियाँ:
- प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) या परिवाद दर्ज होने की स्थिति से अप्रभावित रहकर परीक्षा लागू होगी।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 164क के अधीन किया जाएगा।
चिकित्सीय परीक्षक विनिर्देश:
- बालिका के चिकित्सीय परीक्षा हेतु महिला चिकित्सक होगी।
- अनिवार्य
परीक्षा के समय उपस्थिति:
- परीक्षा के दौरान माता-पिता या बालक द्वारा चुना गया विश्वसनीय व्यक्ति उपस्थित रहना अनिवार्य होगा।
- वैकल्पिक रूप से, यदि आवश्यक हो, तो चिकित्सा संस्थान के प्रधान द्वारा नामित महिला उपस्थित हो सकती है।
निष्कर्ष
ये दिशा-निर्देश बालकों को लैंगिक शोषण से बचाने के लिये एक व्यापक विधिक तंत्र स्थापित करते हैं। ये रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं, संरक्षण उपायों तथा व्यक्तियों, संस्थानों और मीडिया के लिये जवाबदेही मानकों को स्पष्ट रूप से निर्धारित करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य एक सशक्त, बाल-केंद्रित ढाँचा विकसित करना है, जो बालकों की सुरक्षा, गोपनीयता और कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करता है।