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आपराधिक कानून

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के अंतर्गत परिवाद

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 15-Apr-2025

परिचय 

  • महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 के अध्याय 4 में अधिनियम के अधीन परिवाद का उपबंध है। 
  • धारा 9, 10 और 11 में अधिनियम के अधीन परिवाद के उपबंध निर्धारित किये गए हैं। 

(धारा 9) परिवाद दर्ज करना  

  • धारा 9(1) : कोई व्यथित महिला, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न का परिवाद, घटना के तारीख से तीन मास की अवधि भीतर और श्रृखंलाबद्ध घटनाओं की दशा में अंतिम घटना की तारीख से तीन मास की अवधि के भीतर, लिखित में, आंतरिक समिति को, यदि इस प्रकार गठित की गई है या यदि इस प्रकार गठित नहीं की है तो स्थानीय समिति को कर सकेगी 
  • धारा 9(1) (प्रथम उपबंध ): यदि कोई महिला स्वयं परिवाद नहीं लिख सकती है, तो समिति के सदस्यों को उसकी सहायता करनी चाहिये 
  • धारा 9(1) (द्वितीय उपबंध): यदि समिति को विलंब के लिये वैध कारण मिलते हैं तो समय सीमा 3 मास तक बढ़ाई जा सकती है। 
  • धारा 9(2) : यदि महिला शारीरिक/मानसिक असमर्थता या मृत्यु के कारण या अन्यथा परिवाद करने में असमर्थ है, तो उसका विधिक वारिस या ऐसा अन्य व्यक्ति जो विहित किया जाए, उसकी ओर से परिवाद कर सकता है। 

(धारा 10) सुलह प्रक्रिया  

  • धारा 10(1) : औपचारिक जांच आरंभ करने से पूर्व, यदि महिला अनुरोध करती है तो समिति सुलह का प्रयास कर सकती है। 
  • धारा 10(1) (उपबंध): सुलह के भाग के रूप में धनीय समझौते की अनुमति नहीं है। 
  • धारा 10(2) : यदि सुलह सफल हो जाती है तो समझौते को दर्ज कर लिया जाता है और कार्रवाई के लिये नियोक्ता या जिला अधिकारी को भेज दिया जाता है। 
  • धारा 10(3) : समझौते की प्रतियाँ महिला और प्रतिवादी दोनों को प्रदान की जाती हैं। 
  • धारा 10(4) : यदि समाधान सफलतापूर्वक हो जाता है तो आगे ओर कोई जांच नहीं की जाएगी 

(धारा 11) जांच प्रक्रिया  

  • धारा 11(1) : कर्मचारी प्रतिवादियों के लिये, जांच लागू सेवा नियमों या विहित प्रक्रियाओं का पालन करती है। घरेलू कामगार मामलों के लिये, यदि कोई वैध परिवाद प्रतीत होती है, तो उसे7 दिनों के भीतर पुलिस को भेज दिया जाता है। 
  • धारा 11(1) (प्रथम उपबंध): यदि प्रतिवादी निपटान शर्तों का पालन नहीं करता है, तो समिति औपचारिक जांच के साथ आगे बढ़ेगी। 
  • धारा 11(1) (द्वितीय उपबंध): जब दोनों पक्षकार कर्मचारी हों, तो दोनों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने और निष्कर्षों पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार है। 
  • धारा 11(3) : समिति के पास सिविल न्यायालय के समान शक्तियां हैं - वे लोगों को समन कर सकते हैं, दस्तावेज़ के प्रकटीकरण और पेश किये जाने की अपेक्षा कर  सकते हैं और शपथ के अधीन साक्षियों की परीक्षा कर सकते हैं। 
  • धारा 11(4) : जांच 90 दिनों के भीतर पूरी होनी चाहिये 

इन उपबंधों के अंतर्गत समय-सीमा  

कार्रवाई/प्रक्रिया 

धारा  

समय-सीमा 

अतिरिक्त टिप्पणी 

व्यथित महिला द्वारा परिवाद दर्ज कराना 

9(1) 

घटना की तारीख या अंतिम घटना से 3 मास के भीतर 

यदि समिति को विलंब के लिये वैध कारण मिलते हैं तो समय-सीमा को 3 मास तक बढ़ाया जा सकता है 

सुलह प्रक्रिया 

10 

धारा 11 के अधीन जांच प्रारंभ करने से पूर्व 

केवल व्यथित महिला द्वारा अनुरोध किये जाने पर 

घरेलू कामगारों के  परिवादों को पुलिस तक पहुँचाना 

11(1) 

7 दिनों के भीतर 

यदि प्रथम दृष्टया मामला विद्यमान है 

जांच पूरी करना 

11(4) 

जांच शुरू करने के 90 दिनों के भीतर 

विस्तार का कोई प्रावधान नहीं बताया गया 

निष्कर्ष 

धाराएँ 9 से 11 एक समयबद्ध, न्यायसंगत एवं संरचित प्रणाली के माध्यम से कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न संबंधी परिवादों के निवारण हेतु एक व्यापक विधिक ढाँचा प्रदान करती हैं। इन विधानों के माध्यम से परिवादों की सुलभता सुनिश्चित की गई है, जिसमें एकाधिक रिपोर्टिंग माध्यमों की उपलब्धता, लिखित परिवाद हेतु सहायता, तथा विशेष परिस्थितियों के लिये उपयुक्त व्यवस्था समिल्लित हैं। ये उपबंध उपयुक्त स्थिति में सुलह के माध्यम से विवाद के समाधान को प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही यह सुनिश्चित करते हैं कि वित्तीय समझौते किसी भी प्रकार के दबाव या बलपूर्वक सहमति के आधार पर न किये जाएं