TPA के अंतर्गत सहस्वामी द्वारा अंतरण
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TPA के अंतर्गत सहस्वामी द्वारा अंतरण

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 01-Jul-2024

परिचय:

सह-स्वामित्व, जिसे संयुक्त स्वामित्व या सह-किरायेदारी के रूप में भी जाना जाता है, दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी संपत्ति के स्वामित्व को संदर्भित करता है।

  • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (TPA) की धारा 44 सह-स्वामियों द्वारा अंतरण से संबंधित है।
  • सह-स्वामित्व तीन प्रकार का होता है अर्थात् संयुक्त किरायेदारी, साझा किरायेदारी और संपूर्ण किरायेदारी।
  • सह-स्वामियों को संपत्ति का उपयोग, निपटान और उस पर कब्ज़ा करने का अधिकार है।

सह-स्वामित्व के प्रकार:  

  • साझा किरायेदारी:
    • साझा किरायेदार वे व्यक्ति होते हैं जो किसी अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से संपत्ति पर कब्ज़ा करते हैं, परंतु यह निर्दिष्ट नहीं करते कि संपत्ति का कितना भाग उनका है।
    • प्रत्येक साझा किरायेदार का किसी विशेष संपत्ति में अलग-अलग हित होता है तथा प्रत्येक किरायेदार संपूर्ण संपत्ति पर अपना अधिकार रख सकता है तथा उसका उपयोग कर सकता है।
    • साझी किरायेदारी में, सह-स्वामियों के पास असमान भाग हो सकते हैं तथा उत्तरजीविता का कोई अधिकार नहीं होता है अर्थात् प्रत्येक सह-स्वामी का भाग उत्तराधिकारियों या अन्य को अंतरित किया जा सकता है।
  • संयुक्त किरायेदारी:
    • संयुक्त किरायेदारी सह-स्वामित्व का एक प्रकार है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति एक ही समय में समान भाग में संपत्ति के स्वामी होते हैं।
    • संयुक्त किरायेदारी में, सह-स्वामियों के पास बराबर का भाग होता है और उत्तरजीविता का अधिकार होता है अर्थात् एक सह-स्वामी की मृत्यु होने पर, संपत्ति जीवित सह-स्वामियों को अंतरित हो जाती है।
  • संपूर्ण किरायेदारी:
    • संपूर्ण किरायेदारी, संयुक्त संपत्ति स्वामित्व का एक रूप है जो केवल विवाहित जोड़ों के लिये उपलब्ध है।
    • संपूर्ण किरायेदारी में, न तो पति और न ही पत्नी संपत्ति में अपना भाग किसी तीसरे व्यक्ति को अंतरित कर सकते हैं।
  • एक सह-स्वामी द्वारा अंतरण: धारा 44
    • TPA की धारा 44 में कहा गया है कि यदि सह-स्वामियों में से कोई एक संपत्ति में अपना भाग अंतरित करता है, तो अंतरिती, अंतरक का स्थान ले लेता है तथा शेष सह-स्वामियों के साथ सह-स्वामी बन जाता है।
    • अंतरिती को संपत्ति के विभाजन के अधिकार सहित अंतरक के सभी अधिकार तथा दायित्व प्राप्त होंगे।

अंतरिती के अधिकार:

  • संयुक्त कब्ज़े का अधिकार:
    • स्वामित्व (मालिकाना) अधिकार, संपत्ति के सभी सह-स्वामियों तक विस्तारित होते हैं।
    • जब अंतरिती, अंतरणकर्त्ता के स्थान पर आता है, तो वह अन्य सह-स्वामियों के साथ संपत्ति पर संयुक्त कब्ज़े का अधिकार प्राप्त कर लेता है।
    • अंतरिती, अंतरणकर्त्ता के समान ही संपत्ति का उपयोग और आनंद ले सकता है।
  • विभाजन लागू करने का अधिकार:
    • अंतरिती को संपत्ति के विभाजन की मांग करने का अधिकार है।
    • विभाजन में संपत्ति को अलग-अलग भागों में बाँटना शामिल है ताकि प्रत्येक सह-स्वामी को एक विशिष्ट भाग मिले।
    • यदि संपत्ति को व्यावहारिक रूप से विभाजित नहीं किया जा सकता है, तो इसे बेचा जा सकता है और प्राप्त राशि को सह-स्वामियों के बीच वितरित किया जा सकता है।
  • शांतिपूर्ण कब्ज़े का अधिकार:
    • प्रत्येक सह-स्वामी को संपत्ति पर शांतिपूर्ण कब्ज़े का अधिकार है।
    • एक बार जब सह-स्वामी, संपत्ति के एक भाग का स्वामित्व अंतरिती को अंतरित कर देता है, तो अन्य सह-स्वामियों को अंतिम विभाजन लागू होने तक अंतरण में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं होती है।
  • सुधार करने का अधिकार:
    • प्रत्येक सह-स्वामी अपनी भूमि के किसी भी क्षेत्र पर निर्माण करने के लिये स्वतंत्र है, जहाँ उसे ऐसा करने की अनुमति है। हालाँकि वह संयुक्त संपत्ति के किसी अन्य भाग पर या अन्य सह-स्वामियों के लिये हानिप्रद निर्माण नहीं कर सकता है।

अंतरिती की देयताएँ:

  • मौजूदा शर्तों और देयताओं के अधीन:
    • अंतरिती के अधिकार उन्हीं शर्तों और दायित्वों के अधीन हैं जो अंतरण के समय संपत्ति के उस भाग को प्रभावित करते हैं।
  • व्यय में योगदान:
    • अंतरिती को अपने भाग के अनुपात में कर, मरम्मत और अन्य लागतों सहित संपत्ति के रखरखाव और संरक्षण के व्यय में योगदान देना होगा।

आवासीय भवनों के लिये विशेष प्रावधान:

  • आवासीय मकान का प्रावधान TPA की धारा 44 के अपवाद के अंतर्गत आता है।
  • इसमें कहा गया है कि यदि अंतरिती, अविभाजित परिवार का सदस्य नहीं है और संबंधित संपत्ति अविभाजित परिवार से संबंधित आवास-गृह है, तो अंतरिती को उस घर पर संयुक्त कब्ज़े या सामान्य उपभोग का अधिकार नहीं है।
  • यह प्रावधान पारिवारिक आवासों की गोपनीयता एवं विशिष्टता की रक्षा करता है।

निर्णयज विधियाँ:

  • दुर्गापद पई बनाम देबिदास मुखर्जी (1973):
    • न्यायालय ने कहा कि आवासीय भवन का अर्थ एक सीमा तक अविभाजित परिवार के स्थायी निवास को दर्शाता है, जहाँ ऐसा अविभाजित परिवार रहता है या सामान्य रूप से रहने का इरादा रखता है, न कि किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिये अल्पकालिक या अस्थायी निवास के लिये मकान।
  • दोराब कावासजी वार्डन बनाम कूमी सोराब वार्डन (1990):
    • उच्चतम न्यायालय ने एक अविभाजित भाग के क्रेता द्वारा दायर विभाजन के वाद पर रोक लगा दी, क्योंकि परिस्थितियों से पता चलता है कि यदि कोई बाहरी व्यक्ति घर में प्रवेश कर जाता तो परिवार को अपूरणीय क्षति हो सकती थी।
  • श्री राम बनाम राम किशन (2010):
    • न्यायालय ने कहा कि जब संयुक्त परिवार का कोई सदस्य पारिवारिक संपत्ति का अपना भाग बेचता है, जिसे विभाजन या अन्य किसी तरीके से चिह्नित नहीं किया गया है, तो उस संपत्ति का क्रेता, विभाजन एवं उस भाग के कब्ज़े के लिये वाद दायर कर सकता है, जिस पर बेचने वाले सदस्य का अधिकार है।

निष्कर्ष:

TPA सह-स्वामियों द्वारा संपत्ति के अंतरण के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है। अधिकारों और दायित्वों को समझना सह-स्वामियों और अंतरित व्यक्तियों दोनों के लिये आवश्यक है। उचित विधिक मार्गदर्शन और TPA के प्रावधानों का पालन यह सुनिश्चित करने में सहायता कर सकता है कि अंतरण सुचारु रूप से संचालित हो एवं अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।