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सिविल कानून

अचल संपत्ति का अंतरण

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 30-Sep-0203

परिचय

  • अंतरण का अर्थ है किसी निश्चित संपत्ति को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को देना।
  • अचल संपत्ति के अंतरण से संबंधित प्रावधान संपत्ति अंतरण अधिनियम (TPA), 1882 में शामिल हैं।
  • TPA की धारा 3, अचल संपत्ति को ऐसी संपत्ति के रूप में परिभाषित करती है जिसमें स्टैंडिंग टिम्बर, बढती फसलें या घास शामिल नहीं है। यह अधिनियम स्पष्ट परिभाषा प्रदान नहीं करता है इसलिये निम्नलिखित धाराओं पर विचार किया जाना चाहिये:
    • पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 2(6) के तहत उल्लेख है कि अचल संपत्ति में भूमि, भवन, वंशानुगत भत्ते, प्रकाश व्यवस्था, घाट, मत्स्य पालन या भूमि से उत्पन्न होने वाला कोई अन्य लाभ और इससे संबंधित वस्तुएँ शामिल हैं। लेकिन इसमें स्टैंडिंग टिम्बर, बढती फसलें या घास शामिल नहीं है।
    • धारा 3(19) के तहत अचल संपत्ति का उल्लेख इस प्रकार किया गया है कि इसमें भूमि, भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ और भूबद्ध चीजें या इससे स्थायी रूप से जुड़ी हुई चीजें शामिल होंगी।

भूबद्ध से अभिप्रेत है-

भूबद्ध - TPA की धारा 3, भूबद्ध को इस प्रकार परिभाषित करती है:

  • भूमि से संबद्ध, जैसे कि पेड़ और झाड़ियाँ।
  • धरती से संबद्ध, जैसे भित्तियाँ या निर्माण।
  • ऐसी जड़ वस्तुएँ जिनका उपयोग स्थायी लाभकारी उपभोग हेतु किया जा सके।

आनंद बेहरा बनाम ओडिशा राज्य (1955) का अचल संपत्ति के अंतरण से संबंध:

  • इस मामले में वादी ने भारी रकम चुकाकर परीकुड के राजा से मछली पकड़ने का लाइसेंस प्राप्त किया था और उसके पास इसके लिये भुगतान की रसीद भी थी। ओडिशा संपदा उत्सादन अधिनियम पारित किया गया, जिसके आधार पर परीकुड के राजा के स्वामित्व वाली भूमि ओडिशा राज्य में निहित हो गई। राज्य में भूमि निहित होने से पूर्व, वादी द्वारा लाइसेंस प्राप्त किया गया था।
  • न्यायालय ने माना कि जनरल क्लॉज एक्ट की धारा 3(26) के अनुसार चिल्का झील एक "अचल संपत्ति" है और मत्स्य पालन "भूमि से होने वाला लाभ" है।
  • व्यवसाय के उद्देश्य से मछली पकड़ने का अधिकार भी "भूमि से उत्पन्न होने वाले लाभ" या "प्रॉफिट" के रूप में माना जाता है।

संपत्ति का अंतरण

  • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 5 परिभाषित करती है कि, संपत्ति एक जीवित व्यक्ति द्वारा एक या एक से अधिक अन्य लोगों को वर्तमान तिथि में या भविष्य के समय में या केवल स्वयं को वितरित की जाएगी।
  • इस धारा में “जीवित व्यक्ति” में “कंपनियाँ, निजी संघ शामिल हैं, जो रजिस्ट्रीकृत (रजिस्टर्ड) हैं या नहीं।

अचल संपत्ति के अंतरण के तरीके:

  • बिक्री
    • TPA के तहत बिक्री के प्रावधान धारा 54 से 57 तक हैं ।
    • संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 की धारा 54, “बिक्री” को मूल्य के बदले में स्वामित्व के अंतरण के रूप में परिभाषित करती है।
    • बिक्री की प्रभाविता
      • इस धारा के अनुसार, बिक्री को “रजिस्ट्रीकृत लिखत” द्वारा किया जा सकता है- 100 रुपये या ऊपर के मूल्य की मूर्त अचल संपत्ति के अंतरण के संदर्भ में;
      • 100 रुपये से कम मूल्य की मूर्त अचल संपत्ति का अंतरण या तो “रजिस्ट्रीकृत लिखत” द्वारा या संपत्ति के परिदान द्वारा किया जा सकेगा।
    • परिदान - इस धारा के अनुसार, जब विक्रेता, खरीदार या उसके द्वारा निर्दिष्ट व्यक्ति को कब्जा सौंप देता है, तो संपत्ति का परिदान माना जाता है।
  • 'बंधक'
    • TPA का अध्याय 4 'बंधक' से संबंधित है इसके प्रावधान धारा 58-99 तक हैं।
    • धारा 58 - " “बंधक”, “बंधककर्ता”, “बंधकदार”, “बंधक धन” और “बंधक विलेख” की परिभाषा— बंधक, विनिर्दिष्ट स्थावर संपत्ति के किसी हित का वह अंतरण है जो उधार के तौर पर दिये गए या दिये जाने वाले धन के संदाय को या वर्तमान या भावी ऋण के संदाय को या ऐसे वचन का पालन, जिससे धन संबंधी दायित्व पैदा हो सकता है, प्रतिभूत करने के प्रयोजन से किया जाता है।
    • अंतरक, बंधककर्ता और अन्तरिती बंधकदार कहलाता है, मूलधन और ब्याज, जिनका संदाय तत्समय प्रतिभूत है, बंधक धन कहलाते हैं और वह लिखत (यदि कोई हो), जिसके द्वारा अंतरण किया जाता है बंधक विलेख कहलाती है।
  • भार
    • TPA का अध्याय 4 भार से संबंधित है और इसके प्रावधान धारा 100 से 104 तक हैं।
    • धारा 100 - भार- जहाँ एक व्यक्ति की अचल संपत्ति, पार्टियों के कार्य या कानून के आधार पर, किसी दूसरे के धन के भुगतान के लिये बनाई गई सुरक्षा होती है और यह लेनदेन बंधक की कोटि में नहीं आता है, तो बाद वाले व्यक्ति का संपत्ति पर भार माना जाता है; और यहाँ पहले से मौजूद सभी प्रावधान जो एक साधारण बंधक पर लागू होते हैं, जहाँ तक संभव हो, इस स्थिति में लागू होंगे।
    • भार की प्राथमिक आवश्यकताएँ:
      • एक व्यक्ति की अचल संपत्ति को दूसरे व्यक्ति के धन के भुगतान के लिये सुरक्षा बनाया जाता है।
      • अंतरण, पार्टियों के कार्य या कानून के आधार पर होता है।
      • यह लेनदेन, बंधक की कोटि में नहीं आता है।
  • 'पट्टा'
    • TPA का अध्याय 5 'पट्टा' से संबंधित है और इससे संबंधित प्रावधान धारा 105 से 117 तक हैं।
    • धारा 105 पट्टा को परिभाषित करता है - अचल संपत्ति का पट्टा ऐसी संपत्ति के उपभोग के अधिकार का अंतरण है, जो एक निश्चित समय के लिये, व्यक्त या निहित या अनंत काल के लिये, भुगतान की गई या वादा की गई कीमत या धन, फसलों के हिस्से, सेवा के विचार के संदर्भ में किया जाता है।
    • पट्टाकर्ता, पट्टेदार, प्रीमियम और भाटक की परिभाषा - अंतरक, पट्टाकर्ता कहा जाता है, अंतरिती को पट्टेदार कहा जाता है, कीमत को प्रीमियम कहा जाता है, और इस प्रकार देय धन, शेयर, सेवा या अन्य चीजों को प्रतिफल कहा जाता है।
    • पट्टा की प्रभाविता:
      • साल-दर-साल अचल संपत्ति का पट्टा करना या एक वर्ष से अधिक की किसी भी अवधि के लिये या वार्षिक किराया आरक्षित करना - रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा। जहाँ एक से अधिक लिखत हैं, वहाँ प्रत्येक ऐसे लिखत का निष्पादन पट्टाकर्ता और पट्टेदार दोनों द्वारा किया जाएगा।
      • अचल संपत्ति के अन्य सभी पट्टे - रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा या मौखिक समझौते द्वारा संपत्ति का कब्जा।
  • 'विनिमय'
    • TPA का अध्याय 6 'विनिमय' से संबंधित है और इसके प्रावधान धारा 118 से धारा 121 तक हैं।
    • धारा 118 - विनिमय की परिभाषा - जब दो व्यक्ति पारस्परिक रूप से एक चीज़ के स्वामित्व को किसी अन्य चीज़ के स्वामित्व के लिये स्थानांतरित करते हैं जिसमें दोनों चीजें केवल धन नहीं होती हैं या दोनों चीजें केवल धन हैं, तो इस लेनदेन को "विनिमय" कहा जाता है।
  • दान
    • TPA का अध्याय 7 दान से संबंधित है और इसके प्रावधान धारा 122 से धारा 129 तक हैं।
    • धारा 122 - दान की परिभाषा - "दान" कुछ मौजूदा चल या अचल संपत्ति का अंतरण है जो स्वेच्छा से और बिना प्रतिफल के एक व्यक्ति द्वारा, जिसे दाता कहा जाता है, दूसरे को, जिसे प्राप्तकर्ता कहा जाता है, को किया जाता है।
    • स्वीकृति कब दी जानी चाहिये - ऐसी स्वीकृति दाता के जीवनकाल के दौरान और जब तक वह देने में सक्षम हो तब तक दी जानी चाहिये।
    • अंतरण का प्रभावित होना: दाता द्वारा या उसकी ओर से हस्ताक्षरित और कम से कम दो गवाहों द्वारा सत्यापित एक रजिस्ट्रीकृत लिखत द्वारा।
  • अनुयोज्य दावा
    • TPA का अध्याय 8 अनुयोज्य योग्य दावों से संबंधित है और इसके प्रासंगिक प्रावधान धारा 130 से धारा 137 तक हैं और इसकी परिभाषा धारा 3 में दी गई है।
    • धारा 3 अनुयोज्य योग्य दावे को किसी भी ऋण के ऐसे दावे के रूप में परिभाषित करती है, जो अचल संपत्ति के बंधक या चल संपत्ति के बंधक या गिरवी द्वारा सुरक्षित ऋण के अलावा, या चल संपत्ति में किसी भी लाभकारी हित के अलावा, वास्तविक कब्जे में नहीं है। जिसे सिविल न्यायालय द्वारा इस स्थिति में राहत प्रदान करने के आधार के रूप में संदर्भित किया गया है।

निष्कर्ष:

संपत्ति के अंतरण में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्वामित्व या अधिकारों का अंतरण शामिल होता है और इसे प्रमुख रूप से दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है: अचल संपत्ति और चल संपत्ति। अचल संपत्ति को जीवित व्यक्ति को हस्तांतरित किया जाता है, जिसमें कुछ अपवाद होते हैं जैसे कि अजन्मे बच्चे को संपत्ति का हस्तांतरण।