ओमप्रकाश साहनी बनाम जय शंकर चौधरी
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सिविल कानून

ओमप्रकाश साहनी बनाम जय शंकर चौधरी

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 25-Jul-2024

परिचय:

इस मामले ने इंजुरिया साइन डैमनम के सिद्धांत को अच्छी तरह से स्थापित किया गया।

  • यह मामला इस अवधारणा को स्थापित करता है कि जहाँ अधिकार होता है, वहाँ उपाय भी होता है।

तथ्य:

  • यह मामला यूनाइटेड किंगडम की संवैधानिक विधि एवं ब्रिटिश अपकृत्य विधि पर आधारित है।
  • इस मामले में, वादी, मिस्टर एशबी को कांस्टेबल, मिस्टर व्हाइट (प्रतिवादी) द्वारा मतदान करने से रोका गया था।
  • वादी ने अपने वोट देने के मौलिक अधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया।
  • प्रतिवादी ने तर्क दिया कि वादी कोई स्थायी निवासी नहीं है तथा इसलिये वोट देने के योग्य नहीं है।
  • यह मामला आयल्सबरी चुनाव मामले के नाम से प्रसिद्ध है।

शामिल मुद्दे:

  • क्या दावेदार को कोई क्षति न होने पर भी उपचार का दावा किया जा सकता है?

टिप्पणी:

  • लॉर्ड होल्ट ने "यूबी जस इबी रेमेडियम" के सिद्धांत को लागू किया, जिसका अर्थ है "जहाँ अधिकार है, वहाँ उपाय भी है।"
  • आगे यह भी कहा गया कि वादी को मतदान करने से रोकना मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, भले ही वादी को किसी भी प्रकार की क्षति हुई हो या नहीं।
  • न्यायालय ने "इंजुरिया साइन डैमनम" के सिद्धांत को भी स्थापित किया, जिसके अनुसार क्षति का दावा इस बात पर ध्यान दिये बिना किया जा सकता है कि चोट लगी है या नहीं।
  • लॉर्ड होल्ट ने स्वीकार किया कि ऐसे मामलों में अधिक प्रतिपूरक क्षति उचित थी, ताकि भविष्य में सार्वजनिक अधिकारियों द्वारा किये जाने वाले कदाचार के विरुद्ध दण्ड एवं निवारक के रूप में कार्य किया जा सके तथा अनुकरणीय क्षति की अवधारणा को लागू किया जा सके।

निष्कर्ष:

वादी को प्रतिवादी से क्षतिपूर्ति का दावा करने के लिये उत्तरदायी माना गया, चाहे वास्तविक क्षति हुई हो या नहीं तथा प्रतिवादी द्वारा किये गए अपकृत्य को वादी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना गया।