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सांविधानिक विधि

अभिलेख न्यायालय

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 12-Dec-2023

परिचय:

  • भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 129 व अनुच्छेद 215 क्रमशः भारत के उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को अभिलेख न्यायालय के रूप में संबंधित शक्तियाँ प्रदान करते हैं।
  • यह कानूनी उपाधि इन न्यायालयों को विशेष शक्तियाँ और विशेषाधिकार प्रदान करती है, यह उन्हें अभिलेख बनाए रखने, अवमानना ​​के लिये दंडित करने तथा न्यायिक प्राधिकरण के संरक्षण को सुनिश्चित करने का अधिकार देती है।

कौन-से अनुच्छेद अभिलेख न्यायालय की अवधारणा को कवर करते हैं?

  • अनुच्छेद 129: उच्चतम न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय होगा और उसके पास ऐसे न्यायालय की सभी शक्तियाँ होंगी, जिसमें स्वयं की अवमानना के लिये दंडित करने की शक्ति भी शामिल होती है।
  • अनुच्छेद 215: प्रत्येक उच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय होगा और उसके पास ऐसे न्यायालय की सभी शक्तियाँ होंगी, जिसमें स्वयं की अवमानना के लिये दंडित करने की शक्ति भी शामिल होती है।

अवमानना शक्तियाँ क्या हैं?

  • अवमानना के लिये दंडित करने की शक्ति अभिलेख न्यायालयों का एक महत्त्वपूर्ण गुण है, जिसका उद्देश्य न्यायपालिका की गरिमा और अधिकारों को संरक्षित करना है।
  • अवमानना की कार्यवाही उन व्यक्तियों या संस्थाओं के विरुद्ध शुरू की जा सकती है जो न्यायालय की कार्यवाही में अनादर, अवज्ञा या हस्तक्षेप दिखाते हैं।
  • यह शक्ति एक निवारक के रूप में कार्य करती है, न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को मज़बूत करती है और न्याय प्रदान करने की न्यायपालिका की क्षमता में जनता का विश्वास बनाए रखती है।
  • पी. एन. डूडा बनाम वी. पी. शिव शंकर और अन्य (1988) के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 129 के तहत, उच्चतम न्यायालय के पास अपनी अवमानना के लिये दंडित करने की शक्ति है तथा अनुच्छेद 143(2) के तहत यह ऐसी किसी भी अवमानना की जाँच कर सकता है।

अभिलेख न्यायालय के मामले में न्यायालय का क्षेत्राधिकार क्या है?

  • अभिलेख न्यायालयों का क्षेत्राधिकार संबंधित मामलों की एक विस्तृत शृंखला तक विस्तृत है, जिसमें नागरिक, आपराधिक और संविधानिक मुद्दे शामिल हैं।
    • यह व्यापक दायरा इन न्यायालयों को कानूनी विवादों के समाधान के लिये व्यापक मंच के रूप में कार्य करने की अनुमति देता है।
  • उनमें निहित न्यायिक शक्ति कानून की व्याख्या और अनुप्रयोग को सक्षम बनाती है, जो कानूनी सिद्धांतों एवं उदाहरणों के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

निष्कर्ष:

भारतीय संविधान में अभिलेख न्यायालयों का विचार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के महत्त्व पर ज़ोर देता है। वे कानून को बनाए रखने, न्यायालयों की शक्ति को संरक्षित करने और जनता के बीच कानूनी प्रणाली में विश्वास बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अभिलेख न्यायालय से संबंधित अनुच्छेदों ने स्थापित किया कि भारत के उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय देश की कानूनी प्रणाली के बुनियादी सिद्धांतों की रक्षा करते हुए एक मज़बूत रक्षक के रूप में कार्य करते हैं।