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सांविधानिक विधि
वित्त विधेयक
« »19-Apr-2024
परिचय:
वित्त विधेयक एक विधेयक है, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, देश के वित्त से संबंधित है- यह करों, सरकारी व्यय, सरकारी उधार, राजस्व आदि से संबंधित में हो सकता है। चूँकि केंद्रीय बजट इनसे संबंधित है, इसलिये इसे वित्त विधेयक के रूप में पारित किया जाता है।
वित्त विधेयक:
- लोकसभा की प्रक्रिया के नियम 219 में कहा गया है कि एक वित्त विधेयक से तात्पर्य, अगले वित्तीय वर्ष के लिये भारत सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को प्रभावी करने के लिये प्रत्येक वर्ष में प्रस्तुत किया जाने वाला एक विधेयक है तथा इसमें पूरक वित्तीय को प्रभावी करने हेतु किसी भी अवधि के लिये प्रस्ताव एक विधेयक भी सम्मिलित है।
- भारत के संविधान, 1950 (COI) का अनुच्छेद 117 वित्तीय विधेयक से संबंधित है।
COI का अनुच्छेद 117
यह अनुभाग वित्तीय विधेयकों के विशेष प्रावधानों से संबंधित है। यह प्रकट करता है कि-
(1) अनुच्छेद 110 के खंड (1) के उप-खंड (a) से (f) में निर्दिष्ट किसी भी मामले के लिये प्रावधान करने वाला विधेयक या संशोधन राष्ट्रपति की अनुशंसा एवं ऐसे प्रावधान करने वाले विधेयक के अतिरिक्त प्रस्तुत या स्थानांतरित नहीं किया जाएगा तथा राज्यों की परिषद में प्रस्तुत नहीं किया जाएगा।
बशर्ते कि इस खंड के अंतर्गत किसी कर में कटौती या उन्मूलन के लिये प्रावधान करने वाले संशोधन को अग्रेषित के लिये किसी अनुशंसा की आवश्यकता नहीं होगी।
(2) किसी विधेयक या संशोधन को उपरोक्त किसी भी मामले के लिये प्रावधान करने वाला नहीं माना जाएगा, केवल इस कारण से कि, यह ज़ुर्माना या अन्य आर्थिक दण्ड लगाने, या लाइसेंस के लिये शुल्क की मांग या भुगतान या प्रदान की गई सेवाओं के लिये शुल्क का प्रावधान करता है, या इस कारण से कि यह स्थानीय उद्देश्यों के लिये किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा किसी भी कर को लगाने, समाप्त करने, छूट देने, परिवर्तन या विनियमन का प्रावधान करता है।
(3) कोई विधेयक, जिसके अधिनियमित होने एवं लागू होने पर भारत की संचित निधि से व्यय होगा, संसद के किसी भी सदन द्वारा तब तक पारित नहीं किया जाएगा, जब तक कि राष्ट्रपति उस सदन को विधेयक पर विचार करने की अनुशंसा न कर दें।
वित्तीय विधेयक की आवश्यक विशेषताएँ
- वार्षिक बजट की प्रस्तुति, सदन द्वारा पारित होने के उपरांत इसे लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है।
- इसमें भारत की संचित निधि से व्यय से संबंधित प्रावधान निहित हैं लेकिन COI के अनुच्छेद 110 में उल्लिखित कोई भी मामला निहित नहीं है।
- यह उसी विधायी प्रक्रिया द्वारा शासित होता है, जो कि एक सामान्य विधेयक पर लागू होता है
- इसे राज्यसभा द्वारा या तो अस्वीकार किया जा सकता है या संशोधित किया जा सकता है।
- ऐसे विधेयक पर दोनों सदनों के बीच असहमति की स्थिति में, राष्ट्रपति गतिरोध को हल करने के लिये दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
- जब विधेयक राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, तो वह या तो विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है या विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है या विधेयक को सदनों को पुनर्विचार के लिये लौटा सकता है।
- सभी वित्तीय विधेयक, धन विधेयक नहीं हैं, बल्कि सभी धन विधेयक वित्तीय विधेयक हैं।
- केवल वे वित्तीय विधेयक ही धन विधेयक होते हैं जिनमें विशेष रूप से वे मामले निहित होते हैं जिनका उल्लेख COI के अनुच्छेद 110 में किया गया है।
- एक वित्तीय विधेयक दो मामलों में धन विधेयक के समान है-
- इन दोनों को केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है, राज्यसभा में नहीं।
- इन दोनों को राष्ट्रपति की अनुशंसा पर ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
वित्तीय विधेयकों की श्रेणियाँ:
- पहली श्रेणी में वे विधेयक हैं, जिनमें COI के अनुच्छेद 110(1)(a) से (f) से संबंधित प्रावधान निहित हैं।
- उन्हें COI के अनुच्छेद 117(1) के अंतर्गत वित्तीय विधेयक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- यह एक ऐसा विधेयक है, जिसमें धन विधेयक एवं साधारण विधेयक दोनों की विशेषताएँ हैं।
- दूसरी श्रेणी में वे विधेयक हैं, जिनमें ऐसे प्रावधान हैं, जिनके अधिनियमित होने पर भारत की संचित निधि से व्यय होगा।
- ऐसे विधेयकों को COI के अनुच्छेद 117 (3) के अंतर्गत वित्तीय विधेयक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- ऐसे विधेयक धन विधेयक एवं वित्तीय विधेयक के अतिरिक्त सामान्य विधेयक की प्रकृति के होते हैं।