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सांविधानिक विधि
सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक अधिकार
« »19-Jan-2024
परिचय:
भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 29 व 30 अल्पसंख्यक वर्ग को विभिन्न भाषाओं और पृथक मान्यताएँ रखने वाले विभिन्न प्रकार के लोगों की मान्यता तथा परिरक्षण के उद्देश्य से कुछ अधिकार प्रदान करते हैं जो भारत में धर्मनिरपेक्षता का सार हैं।
COI का अनुच्छेद 29:
- यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की सुरक्षा से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि-
- (1) भारत के राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के निवासी नागरिकों के किसी अनुभाग को, जिसकी अपनी विशेष भाषा, लिपि या संस्कृति है, उसे बनाए रखने का अधिकार होगा।
- (2) राज्य द्वारा पोषित या राज्य-निधि से सहायता पाने वाली किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश से किसी भी नागरिक को केवल धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर वंचित नहीं किया जाएगा।
- यह अनुच्छेद केवल नागरिकों पर लागू होता है।
- संरक्षण का अधिकार का अर्थ- संरक्षण का अधिकार या रखरखाव का अधिकार है। इसमें अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति के लिये कार्य करने और उसके लिये आंदोलन करने का अधिकार भी शामिल है।
- इस अधिकार का दावा करने के लिये निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना आवश्यक है:
- इस अधिकार का दावा नागरिकों का कोई भी वर्ग कर सकता है।
- नागरिकों का वह वर्ग भारत के क्षेत्र में रहना चाहिये।
- नागरिकों के उस वर्ग की अपनी एक विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति होनी चाहिये।
- इस अधिकार का प्रयोग शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना करके और अपने समुदाय के बच्चों को उनकी अपनी भाषा में शिक्षा देकर किया जा सकता है।
COI का अनुच्छेद 30:
- यह अनुच्छेद अल्पसंख्यक वर्गों के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन के अधिकार से संबंधित है। इसमें कहा गया है कि-
- (1) धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक- वर्गों को अपनी रुचि की शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार होगा।
- (1A) खंड (1) में निर्दिष्ट किसी अल्पसंख्यक-वर्ग द्वारा स्थापित और प्रशासित शिक्षा संस्था की संपत्ति के अनिवार्य अर्जन के लिये उपबंध करने वाली विधि बनाते समय, राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी संपत्ति के अर्जन के लिये ऐसी विधि द्वारा नियत या उसके अधीन अवधारित रकम इतनी हो कि उस खंड के अधीन प्रत्याभूत अधिकार निर्बंधित या निराकृत न हो जाएँ।
- (2) शिक्षा संस्थाओं को सहायता देने में राज्य किसी शिक्षा संस्था के विरुद्ध इस आधार पर विभेद नहीं करेगा कि वह धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक-वर्ग के प्रबंध में है।
- यह नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों पर लागू होता है।
- यह अनुच्छेद केवल अल्पसंख्यक वर्गों, धार्मिक या भाषाई लोगों तक ही सीमित है और COI के अनुच्छेद 29 के तहत नागरिकों के किसी भी वर्ग तक इसका विस्तार नहीं है
- अल्पसंख्यक वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिये अनुच्छेद 30(1A) को 44वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1978 द्वारा जोड़ा गया था।
निर्णयज विधि:
- जगदेव सिंह सिद्धांती बनाम प्रताप सिंह (1965) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि COI के अनुच्छेद 29(1) के तहत दिये गए संरक्षण के अधिकार में अपनी भाषा, अर्थात् राजनीतिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिये आंदोलन करने की स्वतंत्रता शामिल है।
- अहमदाबाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज सोसाइटी बनाम गुजरात राज्य (1974) मामले में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि बहुसंख्यक वर्ग भी COI के अनुच्छेद 29 के तहत सुरक्षा का दावा कर सकते हैं, भले ही प्रावधान के शीर्षक में अल्पसंख्यक वर्ग शब्द का उल्लेख किया गया है।
- जॉयनल अबुनिल बनाम राज्य (1990) में उच्चतम न्यायालय ने COI के अनुच्छेद 30 के तहत प्रावधानों को संक्षेप में प्रस्तुत किया:
- स्थापित करने की स्वतंत्रता
- अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान में प्रशासन की स्वतंत्रता