भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य
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आपराधिक कानून

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य

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 17-Jul-2024

परिचय:

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA) की धारा 62 और धारा 63 इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की स्वीकार्यता के संबंध में नियम निर्धारित करती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA) की धारा 62 और धारा 63:

  • BSA की धारा 62 में प्रावधान है कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की विषय-वस्तु को धारा 63 के प्रावधानों के अनुसार सिद्ध किया जा सकता है।
  • BSA की धारा 63 में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की स्वीकार्यता का प्रावधान है।
    • धारा 63(1) में यह प्रावधान है कि इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में निहित कोई सूचना, जो कागज़ पर मुद्रित है, ऑप्टिकल या चुंबकीय मीडिया या अर्द्ध चालक मेमोरी में संग्रहीत, रिकॉर्ड या प्रतिलिपिकृत है, जो कंप्यूटर या किसी संचार उपकरण द्वारा निर्मित है या किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत, रिकॉर्ड या प्रतिलिपिकृत है (जिसे इसके पश्चात कंप्यूटर आउटपुट कहा जाएगा) वह भी दस्तावेज़ मानी जाएगी, यदि इस धारा में उल्लिखित शर्तें संबंधित सूचना और कंप्यूटर के संबंध में संतुष्ट होती हैं तथा किसी कार्यवाही में, बिना किसी अतिरिक्त साक्ष्य या मूलप्रति की प्रस्तुति के, साक्ष्य के रूप में या मूलप्रति की किसी अंतर्वस्तु या उसमें वर्णित किसी तथ्य के, जिसके लिये प्रत्यक्ष साक्ष्य स्वीकार्य होगा, स्वीकार्य होगी।
    • धारा 63(2) में प्रावधान है कि कंप्यूटर आउटपुट के संबंध में उपधारा (1) में निर्दिष्ट शर्तें निम्नलिखित होंगी, अर्थात्:
      • सूचना युक्त कंप्यूटर आउटपुट, कंप्यूटर या संचार उपकरण द्वारा उस अवधि के दौरान तैयार किया गया था, जिस दौरान कंप्यूटर या संचार उपकरण का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा उस अवधि के दौरान नियमित रूप से की जाने वाली किसी गतिविधि के प्रयोजनों के लिये सूचना बनाने, संग्रहीत करने या संसाधित करने के लिये नियमित रूप से किया गया था, जिसका कंप्यूटर या संचार उपकरण के उपयोग पर वैध नियंत्रण था;
      • उक्त अवधि के दौरान, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में निहित प्रकार की सूचना या वह प्रकार जिसमें निहित सूचना से वह सूचना प्राप्त हुई है, उक्त गतिविधियों के सामान्य अनुक्रम में नियमित रूप से कंप्यूटर या संचार उपकरण में फीड की गई थी।
      • उक्त अवधि के संपूर्ण आवश्यक भाग के दौरान, कंप्यूटर या संचार उपकरण ठीक से काम कर रहा था या, यदि नहीं, तो किसी अवधि के संबंध में, जिसमें वह ठीक से काम नहीं कर रहा था या अवधि के उस भाग के दौरान काम नहीं कर रहा था, ऐसा नहीं था कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या उसकी विषय-वस्तु की सटीकता पर प्रभाव पड़ता हो; तथा
      • इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में निहित सूचना, उक्त गतिविधियों के सामान्य क्रम में कंप्यूटर या संचार उपकरण में डाली गई सूचना का पुनरुत्पादन या उससे व्युत्पन्न होती है।
    • धारा 63(3) में यह प्रावधान है कि जहाँ किसी अवधि में उपधारा (2) के खंड (a) में उल्लिखित किसी गतिविधि के प्रयोजनों के लिये सूचना के सृजन, भंडारण या प्रसंस्करण का कार्य नियमित रूप से एक या एक से अधिक कंप्यूटरों या संचार उपकरणों के माध्यम से किया जाता था, चाहे—
      (a) स्टैंडअलोन मोड में; या
      (b) कंप्यूटर सिस्टम पर; या
      (c) कंप्यूटर नेटवर्क पर; या
      (d) सूचना सृजन या सूचना प्रसंस्करण और भंडारण में सक्षम कंप्यूटर संसाधन पर; या
      (e) किसी मध्यवर्ती के माध्यम से,
    • उस अवधि के दौरान उस प्रयोजन के लिये उपयोग किये गए सभी कंप्यूटर या संचार युक्तियाँ इस धारा के प्रयोजनों के लिये एकल कंप्यूटर या संचार युक्ति मानी जाएंगी; और इस धारा में कंप्यूटर या संचार युक्ति के संदर्भों का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा।
    • धारा 63 (4) में यह प्रावधान है कि किसी कार्यवाही में, जहाँ इस धारा के आधार पर साक्ष्य में विवरण देना वांछित हो, निम्नलिखित में से किसी भी बात को पूरा करने के प्रमाण-पत्र को प्रत्येक बार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ प्रस्तुत किया जाएगा, जहाँ इसे स्वीकृति के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है, अर्थात्—
      (a)विवरण वाले इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान करना और जिस तरीके से इसे तैयार किया गया था उसका वर्णन करना;
      (b)उस इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उत्पादन में प्रयोज्य किसी युक्ति का ऐसा विवरण देना जो यह प्रदर्शित करने के प्रयोजन के लिये उपयुक्त हो कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उपधारा (3) के खंड (a) से (e) में निर्दिष्ट किसी कम्प्यूटर या संचार युक्ति द्वारा तैयार किया गया था।
      (c) उपधारा (2) में उल्लिखित शर्तों से संबंधित किसी भी मामले से निपटने के लिये,

और कंप्यूटर या संचार युक्ति के भारसाधक व्यक्ति या सुसंगत क्रियाकलापों के प्रबंधन (जो भी समुचित हो) तथा किसी विशेषज्ञ द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यित है, वह प्रमाण-पत्र में कथित किसी विषय का साक्ष्य होगा; एवं इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये यह पर्याप्त होगा कि कोई विषय अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रमाण-पत्र में कथित व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान और विश्वास के अनुसार कथित हो।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 (BSA) के बीच तुलना:

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 65B

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63

(1)धारा 63(1) में यह प्रावधान है कि इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में निहित कोई सूचना, जो कागज़ पर मुद्रित है, ऑप्टिकल या चुंबकीय मीडिया या अर्द्ध चालक मेमोरी में संग्रहीत, रिकॉर्ड या प्रतिलिपिकृत है, जो कंप्यूटर या किसी संचार उपकरण द्वारा निर्मित है या किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत, रिकॉर्ड या प्रतिलिपिकृत है (जिसे इसके पश्चात् कंप्यूटर आउटपुट कहा जाएगा) वह भी दस्तावेज़ मानी जाएगी, यदि इस धारा में उल्लिखित शर्तें संबंधित सूचना और कंप्यूटर के संबंध में संतुष्ट होती हैं तथा किसी कार्यवाही में, बिना किसी अतिरिक्त साक्ष्य या मूलप्रति की प्रस्तुति के, साक्ष्य के रूप में या मूलप्रति की किसी अंतर्वस्तु या उसमें वर्णित किसी तथ्य के, जिसके लिये प्रत्यक्ष साक्ष्य स्वीकार्य होगा, स्वीकार्य होगी।

(1)इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, किसी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में अंतर्विष्ट कोई सूचना, जो कागज पर मुद्रित है, ऑप्टिकल या चुंबकीय मीडिया या अर्द्ध चालक मेमोरी में भंडारित, अभिलिखित या प्रतिलिपिकृत है, जो कंप्यूटर या किसी संचार युक्ति द्वारा निर्मित है या किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में (जिसे इसके पश्चात् कंप्यूटर आउटपुट कहा जाएगा) अन्यथा भंडारित, अभिलिखित या प्रतिलिपिकृत है, दस्तावेज़ समझी जाएगी, यदि प्रश्नगत सूचना और कंप्यूटर के संबंध में इस धारा में उल्लिखित शर्तें पूरी होती हैं तथा वह किसी कार्यवाही में, बिना किसी अतिरिक्त सबूत या मूल प्रति को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किये या मूल की किसी अंतर्वस्तु को या उसमें उल्लिखित किसी तथ्य को, जिसके लिये प्रत्यक्ष साक्ष्य स्वीकार्य होगा, प्रस्तुत किये बिना स्वीकार्य होगी।

खंड (2) समान है

(3) जहाँ किसी अवधि में उपधारा (2) के खंड (क) में उल्लिखित उस अवधि में नियमित रूप से किये जाने वाले किसी क्रियाकलाप के प्रयोजनों के लिये सूचना के भंडारण या प्रसंस्करण का कार्य नियमित रूप से कंप्यूटरों द्वारा किया जाता था, चाहे–

(a)उस अवधि में संचालित कंप्यूटरों के संयोजन द्वारा; या

(b) उस अवधि में लगातार संचालित होने वाले विभिन्न कंप्यूटरों द्वारा; या 

(c) उस अवधि में लगातार संचालित होने वाले कंप्यूटरों के विभिन्न संयोजनों द्वारा; या 

(d) किसी अन्य रीति से, जिसमें उस अवधि के दौरान, किसी भी क्रम में, एक या अधिक कंप्यूटरों और कंप्यूटरों के एक या अधिक संयोजनों का उत्तरोत्तर प्रचालन अंतर्वलित है, उस अवधि के दौरान उस प्रयोजन के लिये उपयोग किये गए सभी कंप्यूटरों को इस धारा के प्रयोजनों के लिये एक ही कंप्यूटर माना जाएगा; और इस धारा में कंप्यूटर के प्रति निर्देशों का अर्थ तद्नुसार लगाया जाएगा।

(3) धारा 63(3) में यह प्रावधान है कि जहाँ किसी अवधि में उपधारा (2) के खंड (a) में उल्लिखित किसी गतिविधि के प्रयोजनों के लिये सूचना के सृजन, भंडारण या प्रसंस्करण का कार्य नियमित रूप से एक या एक से अधिक कंप्यूटरों या संचार उपकरणों के माध्यम से किया जाता था, चाहे—

((a) स्टैंडअलोन मोड में; या

(b) कंप्यूटर सिस्टम पर; या

(c) कंप्यूटर नेटवर्क पर; या

(d) सूचना सृजन या सूचना प्रसंस्करण और भंडारण में सक्षम कंप्यूटर संसाधन पर; या

(e) किसी मध्यवर्ती के माध्यम से,

 उस अवधि के दौरान उस प्रयोजन के लिये उपयोग किये गए सभी कंप्यूटर या संचार युक्तियाँ इस धारा के प्रयोजनों के लिये एकल कंप्यूटर या संचार युक्ति मानी जाएंगी; और इस धारा में कंप्यूटर या संचार युक्ति के संदर्भों का तद्नुसार अर्थ लगाया जाएगा।

(4) किसी कार्यवाही में जहाँ इस धारा के आधार पर साक्ष्य में विवरण देना वांछित हो, निम्नलिखित में से कोई भी बात करने वाला प्रमाण-पत्र, अर्थात्– 

(a) बयान वाले इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान करना और जिस तरीके से इसे तैयार किया गया था उसका वर्णन करना;

(b)उस इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उत्पादन में सम्मिलित किसी उपकरण का ऐसा विवरण देना जो यह दर्शित करने के प्रयोजन के लिये उपयुक्त हो कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड कंप्यूटर द्वारा तैयार किया गया था;

(c)उपधारा (2) में वर्णित शर्तों से संबंधित किसी विषय से संबंधित कोई दस्तावेज़ और सुसंगत युक्ति के प्रचालन या सुसंगत क्रियाकलापों के प्रबंध के संबंध में (जो भी समुचित हो) उत्तरदायी पद पर आसीन व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यित, प्रमाण-पत्र में कथित किसी विषय का साक्ष्य होगा; और इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये यह पर्याप्त होगा कि कोई विषय, उसे कहने वाले व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान तथा विश्वास के अनुसार कहा गया हो।

(4)धारा 63 (4) में यह प्रावधान है कि किसी कार्यवाही में, जहाँ इस धारा के आधार पर साक्ष्य में विवरण देना वांछित हो, निम्नलिखित में से किसी भी बात को पूरा करने के प्रमाण-पत्र को प्रत्येक बार इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ प्रस्तुत किया जाएगा, जहाँ इसे स्वीकृति के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है, अर्थात्—

(a)विवरण वाले इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की पहचान करना और जिस तरीके से इसे तैयार किया गया था उसका वर्णन करना;

(b)उस इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के उत्पादन में प्रयोज्य किसी युक्ति का ऐसा विवरण देना जो यह प्रदर्शित करने के प्रयोजन के लिये उपयुक्त हो कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड उपधारा (3) के खंड (a) से (e) में निर्दिष्ट किसी कंप्यूटर या संचार युक्ति द्वारा तैयार किया गया था।

(c) उपधारा (2) में उल्लिखित शर्तों से संबंधित किसी भी मामले से निपटने के लिये,

और कंप्यूटर या संचार युक्ति के भारसाधक व्यक्ति या सुसंगत क्रियाकलापों के प्रबंधन (जो भी समुचित हो) और किसी विशेषज्ञ द्वारा हस्ताक्षरित होना तात्पर्यित है, वह प्रमाण-पत्र में कथित किसी विषय का साक्ष्य होगा; और इस उपधारा के प्रयोजनों के लिये यह पर्याप्त होगा कि कोई विषय अनुसूची में विनिर्दिष्ट प्रमाण-पत्र में कथित व्यक्ति के सर्वोत्तम ज्ञान तथा विश्वास के अनुसार कथित हो।

 BSA द्वारा प्रस्तुत प्रमुख परिवर्तन:

  • BSA ने ‘दस्तावेज़’ शब्द की परिभाषा के विस्तार को बढ़ा दिया है और प्रावधान किया है कि ‘इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड’ भी दस्तावेज़ शब्द के दायरे में आएंगे। (BSA की धारा 2(d))
  • BSA ने साक्ष्य की परिभाषा में एक और प्रावधान जोड़ा है, जिसमें मौखिक साक्ष्य के अंतर्गत ‘इलेक्ट्रॉनिक रूप से दी गई सूचना’ तथा दस्तावेज़ी साक्ष्य के अंतर्गत ‘या डिजिटल रिकॉर्ड’ शामिल होंगे।
  • BSA की धारा 57 में "प्राथमिक साक्ष्य" को परिभाषित किया गया है तथा इसमें चार अन्य स्पष्टीकरण दिये गए हैं, अर्थात् स्पष्टीकरण 4,5,6 और 7।
    • स्पष्टीकरण 4 में यह प्रावधान है कि “जहाँ कोई इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड बनाया या संग्रहीत किया जाता है और ऐसा भंडारण एक साथ या क्रमिक रूप से कई फाइलों में होता है, वहाँ प्रत्येक ऐसी फाइल प्राथमिक साक्ष्य है।”
    • स्पष्टीकरण 5 में यह प्रावधान है कि “जहाँ कोई इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड उचित अभिरक्षण से प्रस्तुत किया जाता है, ऐसा इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड प्राथमिक साक्ष्य है, जब तक कि वह विवादित न हो।”
    • स्पष्टीकरण 6 में यह प्रावधान है कि “जहाँ एक वीडियो रिकॉर्डिंग को एक साथ इलेक्ट्रॉनिक रूप में संग्रहीत किया जाता है और दूसरे को प्रेषित या प्रसारित या स्थानांतरित किया जाता है, वहाँ संग्रहीत प्रत्येक रिकॉर्डिंग प्राथमिक साक्ष्य है।”
    • स्पष्टीकरण 7 में यह प्रावधान है कि “जहाँ एक इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड को कंप्यूटर संसाधन में कई भंडारण स्थानों में संग्रहीत किया जाता है, वहाँ अस्थायी फाइलों सहित प्रत्येक ऐसा स्वचालित भंडारण प्राथमिक साक्ष्य है।”
  • BSA ने धारा 61 प्रस्तुत की है, जिसमें प्रावधान है कि इस अधिनियम में किसी भी ऐसी बात का प्रयोग नहीं किया जाएगा जिससे इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने से इस आधार पर इनकार किया जा सके कि वह इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड है। धारा 63 के अधीन ऐसे रिकॉर्ड का अन्य दस्तावेज़ों के समान ही विधिक प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता होगी।
    • यह धारा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को दस्तावेज़ी साक्ष्य के समान मानती है, जैसा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (IT) द्वारा संशोधित IEA के अंतर्गत पहले से ही माना जाता है।
  • BSA की धारा 63, कागज़ पर संग्रहीत और ऑप्टिकल या चुंबकीय मीडिया में संग्रहीत/रिकॉर्ड/प्रतिलिपि किये गए रिकॉर्ड के अतिरिक्त, अर्द्ध चालक मेमोरी में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक अपनी पहुँच का विस्तार करती है।
    • इसके अतिरिक्त, यह प्रावधान अपनी प्रयोज्यता को 'किसी भी संचार उपकरण' तक विस्तारित करता है, जिससे इसका विस्तार व्यापक हो जाता है।
    • प्रावधान की उपधारा (3) कंप्यूटर या संचार उपकरण की परिभाषा को परिष्कृत करती है तथा इसे अधिक व्यापक व्याख्या प्रदान करती है।
  • BSA की धारा 63(4) IEA की धारा 65B(4) के समान प्रमाणन प्रक्रिया को अनिवार्य बनाती है, जिसमें प्रमाण-पत्र के साथ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रस्तुत करने जैसे अतिरिक्त सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
  • BSA में प्रावधान है कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुत करते समय पक्षकार को अनुसूची में उल्लिखित प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।
    • अनुसूची में निहित प्रमाण-पत्र दो भागों से मिलकर बना है:
      • भाग A जिसे पक्षकार द्वारा भरा जाना है;
      • भाग B जिसे विशेषज्ञ द्वारा भरा जाना है।

इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में BSA में कमियाँ:

  • IEA ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (I.T.अधिनियम) की धारा 2 (r) और धारा 2 (t) का उदाहरण देते हुए क्रमशः “इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म”, “इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड” को परिभाषित किया।
    • IEA में I.T. अधिनियम का कोई संदर्भ नहीं है तथा BSA भी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म शब्दों को परिभाषित नहीं करता है तथा उन्हें एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग करता है।

 निष्कर्ष:

BSA में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य से संबंधित प्रावधानों का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाना है। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य प्रस्तुत करने की प्रक्रिया के मानकीकरण से विलंब और प्रक्रियागत विवाद कम होंगे, जिससे न्यायिक प्रणाली अधिक कुशल बनेगी।