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आपराधिक कानून

भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अंतर्गत दुष्प्रेरण

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 07-Aug-2024

परिचय:

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) के अध्याय IV में दुष्प्रेरण, आपराधिक षड़यंत्र एवं उसके लिये किये गए प्रयास का प्रावधान है।

दुष्प्रेरण एवं दुष्प्रेरक की परिभाषा:

  • BNS की धारा 45 में दुष्प्रेरण को परिभाषित किया गया है।
    • इसमें प्रावधान है कि कोई व्यक्ति किसी कृत्य को कारित करने के लिये उत्प्रेरित करता है, जो:
      • किसी व्यक्ति को कोई कृत्य कारित करने के लिये उत्प्रेरित करता है;
      • उस कृत्य को करने के लिये किसी षडयंत्र में एक या एक से अधिक व्यक्तियों या अन्य व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता है, यदि उस षडयंत्र के अनुसरण में तथा उस कृत्य को करने के लिये कोई अन्य कृत्य या अविधिक चूक कारित होती है; या
      • जानबूझकर किसी कार्य या अविधिक चूक द्वारा उस कार्य को करने में सहायता करता है।
    • स्पष्टीकरण 1 में यह प्रावधान है कि जो व्यक्ति जानबूझकर दुर्व्यपदेशन द्वारा या किसी ऐसे तात्त्विक तथ्य को जानबूझकर छिपाकर, जिसे प्रकट करने के लिये वह आबद्ध है, स्वेच्छा से किसी कृत्य को कराए जाने का कारण बनता है या उपार्जन करता है या कराए जाने या उपार्जन करने का प्रयत्न करता है, वह उस तथ्य को कराए जाने के लिये उत्प्रेरित करता है, यह कहा जाता है।
    • स्पष्टीकरण 2 में यह प्रावधान है कि जो कोई किसी कार्य के किये जाने से पहले या उसके समय उस कार्य के किये जाने को सुगम बनाने के लिये कुछ करता है तथा इस प्रकार उस कार्य के किये जाने को सुगम बनाता है, उसे उस कार्य के किये जाने में सहायता करने वाला कहा जाता है।
    • दुष्प्रेरण की परिभाषा पहले IPC की धारा 107 में दी गई थी। परिभाषा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
  • BNS की धारा 46 में दुष्प्रेरक को परिभाषित किया गया है।
    • इसमें प्रावधान है कि कोई व्यक्ति किसी अपराध को बढ़ावा देता है
      • यदि कोई अपराध कारित करता है;
      • या किसी ऐसे कार्य कारित करने का दुष्प्रेरण करता है तो जो अपराध कारित होता है यदि वह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा कारित किया जाता जो अपराध करने के लिये विधि द्वारा सक्षम है तथा जिसका दुष्प्रेरक जैसा ही आशय या ज्ञान है।
    • स्पष्टीकरण 1 में यह प्रावधान है कि किसी कार्य के अवैध लोप का दुष्प्रेरण अपराध की कोटि में आ सकता है, यद्यपि दुष्प्रेरक स्वयं उस कृत्य को करने के लिये आबद्ध नहीं हो सकता है।
    • स्पष्टीकरण 2 में यह प्रावधान है कि दुष्प्रेरण का अपराध गठित करने के लिये यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरित कृत्य किया ही जाए, या अपराध गठित करने के लिये अपेक्षित प्रभाव कारित किया जाए।
    • स्पष्टीकरण 3 में यह प्रावधान है कि यह आवश्यक नहीं है कि जिस व्यक्ति को दुष्प्रेरित किया गया है, वह विधि के अनुसार अपराध करने में सक्षम हो, या उसके पास दुष्प्रेरक के समान ही दोषी आशय या ज्ञान हो, या कोई दोषी आशय या ज्ञान हो।
    • स्पष्टीकरण 4 में यह प्रावधान है कि अपराध का दुष्प्रेरण अपराध होने के कारण, ऐसे दुष्प्रेरण का दुष्प्रेरण भी अपराध है।
    • स्पष्टीकरण 5 में यह प्रावधान है कि षडयंत्र द्वारा दुष्प्रेरण के अपराध के लिये यह आवश्यक नहीं है कि दुष्प्रेरक उस व्यक्ति के साथ मिलकर अपराध करे जो अपराध करता है। यदि वह उस षडयंत्र में शामिल हो जिसके अनुसरण में अपराध किया गया है तो यह पर्याप्त है।
  • पहले दुष्प्रेरक की परिभाषा IPC की धारा 108 में दी गई थी। इस संबंध में BNS में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

राज्यक्षेत्रातीत दुष्प्रेरण:

  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 108A के अधीन भारत के बाहर अपराधों के लिये भारत में दुष्प्रेरण का प्रावधान है।
  • हालाँकि BNS के अधीन दुष्प्रेरण की दो श्रेणियाँ हैं:
    • धारा 47 भारत के बाहर अपराधों के लिये भारत में दुष्प्रेरण का प्रावधान करती है।
      • इसमें प्रावधान है कि यदि निम्नलिखित को दुष्प्रेरण माना जाएगा, तो
  • भारत में रहने वाला व्यक्ति।
  • भारत के बाहर एवं बाहर किसी ऐसे कार्य को करने के लिये दुष्प्रेरण कारित करता है।
  • जो भारत में किये जाने पर अपराध माना जाएगा।
    • धारा 48 भारत में अपराध के लिये भारत से बाहर दुष्प्रेरण का प्रावधान करती है।
      • इसमें प्रावधान है कि यदि निम्नलिखित को दुष्प्रेरण माना जाएगा, तो
  • भारत से बाहर एवं उससे परे का व्यक्ति।
  • भारत में किसी ऐसे कृत्य को करने के लिये दुष्प्रेरण।
  • जो भारत में किये जाने पर अपराध माना जाएगा।

दुष्प्रेरण के लिये सज़ा:

BNS की धारा 49:

यदि किसी दुष्प्रेरित कृत्य के परिणामस्वरूप ऐसा किया जाता है तथा उसके दण्ड के लिये कोई स्पष्ट उपबंध नहीं किया गया है, तो दुष्प्रेरण के लिये   दण्ड।

BNS की धारा 55:

मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण।

BNS की धारा 56:

अपराध के लिये दुष्प्रेरण कारावास से दण्डनीय है।

जो कोई किसी अपराध का दुष्प्रेरण कारित  करता है, यदि दुष्प्रेरित कृत्य दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया गया हो तथा इस संहिता में ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिये कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया हो, तो उसे उस अपराध के लिये   उपबंधित दण्ड से दण्डित किया जाएगा।

 

स्पष्टीकरण--कोई कार्य या अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया गया तब कहा जाता है, जब वह उकसावे के परिणामस्वरूप या षडयंत्र के अनुसरण में या दुष्प्रेरण गठित करने वाली सहायता से किया जाता है।

(1) जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय किसी अपराध के किये जाने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप नहीं किया गया है तथा ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिये इस संहिता के अधीन कोई स्पष्ट उपबंध नहीं किया गया है, तो वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और अर्थदण्ड से भी दण्डनीय होगा।

 

(2) यदि कोई ऐसा कार्य किया जाता है, जिसके लिये दुष्प्रेरक दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दायित्वाधीन है तथा जो किसी व्यक्ति को क्षति पहुँचाता है, तो दुष्प्रेरक किसी एक अवधि के लिये   कारावास के दायित्व के अधीन होगा, जिसे चौदह वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही वह अर्थदण्ड के लिये   भी उत्तरदायी होगा।

(1) जो कोई कारावास से दण्डनीय किसी अपराध का दुष्प्रेरण करता है, वह यदि वह अपराध दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप नहीं किया गया है तथा ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिये इस संहिता में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है, तो वह उस अपराध के लिये   प्रावधानित किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि उस अपराध के लिये   प्रावधानित दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक की हो सकेगी, या उस अपराध के लिये   प्रावधानित अर्थदण्ड से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

 

(2) यदि दुष्प्रेरक या दुष्प्रेरित व्यक्ति कोई लोक सेवक है, जिसका कर्त्तव्य ऐसे अपराध के किये जाने को रोकना है, तो दुष्प्रेरक उस अपराध के लिये प्रावधानित किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि उस अपराध के लिये प्रावधानित दीर्घतम अवधि की आधी तक की हो सकेगी, या ऐसे अर्थदण्ड से, जो उस अपराध के लिये प्रावधानित है, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

  • BNS की धारा 49, 55 एवं 56 क्रमशः IPC की धारा 109, 115 एवं 116 की प्रतिकृति है।

दुष्प्रेरक का उत्तरदायित्व:

  • BNS की धारा 50 में उस स्थिति में दुष्प्रेरण का प्रावधान है जब दुष्प्रेरित व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न आशय से कृत्य करता है।
    • यदि दुष्प्रेरण कारित करने वाला व्यक्ति दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से भिन्न आशय या ज्ञान के साथ कृत्य करता है,
    • जो कोई भी किसी अपराध के लिये दुष्प्रेरण करता है,
    • उसे उस अपराध के लिये दी गई सजा से दण्डित किया जाएगा, जो उस स्थिति में किया जाता, जब दुष्प्रेरक के आशय या ज्ञान से तथा किसी अन्य के साथ नहीं किया जाता।
    • यह प्रावधान IPC की धारा 110 में निहित है।
  • BNS की धारा 51 में दुष्प्रेरक के दायित्व का प्रावधान है, जब एक कृत्य के लिये दुष्प्रेरित किया जाता है तथा दूसरा कृत्य किया जाता है।
    • जब किसी कृत्य को दुष्प्रेरित किया जाता है,
    • तथा कोई भिन्न कृत्य किया जाता है,
    • तो दुष्प्रेरक उस कृत्य के लिये उसी प्रकार तथा उसी सीमा तक उत्तरदायी होगा, जैसे कि उसने प्रत्यक्ष तौर पर दुष्प्रेरित किया हो;
      • बशर्ते कि किया गया कार्य दुष्प्रेरण का संभावित परिणाम था तथा दुष्प्रेरण के प्रभाव में, या सहायता से या उस षड्यंत्र के अनुसरण में किया गया था, जो दुष्प्रेरण के अपराध का गठन करता है।
    • यह प्रावधान IPC की धारा 111 में निहित था।
  • BNS की धारा 52 में प्रावधान है कि दुष्प्रेरक, दुष्प्रेरित कृत्य तथा किये गए कृत्य के लिये संचयी दण्ड का भागी होगा।
    • यदि वह कृत्य जिसके लिये दुष्प्रेरक धारा 51 के अंतर्गत उत्तरदायी है।
    • दुष्प्रेरित कार्य के अतिरिक्त किया गया है तथा एक अलग अपराध है।
    • तो दुष्प्रेरक प्रत्येक अपराध के लिये दण्ड का पात्र है।
    • यह प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 112 में निहित है।
  • BNS की धारा 53 में दुष्प्रेरक के दायित्व का प्रावधान है, यदि दुष्प्रेरित कार्य से दुष्प्रेरक के आशय से भिन्न प्रभाव उत्पन्न होता है।
    • जब किसी कार्य को दुष्प्रेरक की ओर से किसी विशेष प्रभाव को उत्पन्न करने के आशय से दुष्प्रेरित किया जाता है।
    • ऐसा कृत्य जिसके लिये दुष्प्रेरक दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप उत्तरदायी है, दुष्प्रेरक द्वारा इच्छित प्रभाव से भिन्न प्रभाव उत्पन्न करता है।
    • दुष्प्रेरक उस प्रभाव के लिये उसी तरह और उसी सीमा तक उत्तरदायी है, जैसे कि उसने उस प्रभाव को उत्पन्न करने के आशय से कृत्य को दुष्प्रेरित किया था।
      • बशर्ते कि वह जानता हो कि दुष्प्रेरित कार्य से वह प्रभाव उत्पन्न होने की संभावना है।
    • यह प्रावधान भारतीय दण्ड संहिता की धारा 113 में निहित है।
  • धारा 54 में दुष्प्रेरक के दायित्व का प्रावधान है, जब दुष्प्रेरक कार्य के समय उपस्थित हो।
    • जब भी कोई व्यक्ति अनुपस्थित हो तथा दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय हो,
    • जब वह उस कार्य या अपराध के लिये उपस्थित हो जिसके लिये दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप उसे दण्डनीय माना जाएगा।
    • तो उसे ऐसा कृत्य या अपराध करने वाला माना जाएगा।
    • यह प्रावधान पहले IPC की धारा 114 में निहित था।

दुर्व्यपदेशन के लिये अन्य प्रावधान:  

  • BNS की धारा 105 में मानसिक रूप से बीमार बच्चे या व्यक्ति को आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति-
    • अठारह वर्ष से कम आयु का मानसिक रूप से बीमार कोई भी विक्षिप्त व्यक्ति नशे की हालत में आत्महत्या करता है, जो कोई भी ऐसी आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण कारित करता है,
    • अठारह वर्ष से कम आयु का मानसिक रोगी कोई विह्वल व्यक्ति नशे की हालत में आत्महत्या करता है, जो कोई भी ऐसी आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण करता है, उसे मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास या दस वर्ष से अधिक अवधि के कारावास से दण्डित किया जाएगा तथा अर्थदण्ड भी देना होगा।
  • BNS की धारा 106 में आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है;
    • धारा 106 में प्रावधान है कि जो कोई आत्महत्या के लिये दुष्प्रेरण कारित करता है, उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा तथा अर्थदण्ड भी देना होगा।
  • BNS की धारा 157 में विद्रोह को बढ़ावा देने, या किसी सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को उसके कर्त्तव्य से विचलित करने का प्रयास करने का प्रावधान है;
    • जो कोई भारत सरकार की धारा 165 में निर्दिष्ट अधिनियमों के अधीन सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह करने के लिये दुष्प्रेरण कारित करेगा या किसी ऐसे अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को उसकी निष्ठा या कर्त्तव्य से विमुख करने का प्रयत्न करेगा, उसे आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा तथा अर्थदण्ड से भी दण्डनीय होगा।
  • BNS की धारा 158 में विद्रोह को बढ़ावा देने का प्रावधान है, यदि इसके परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाता है।
    • जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किये जाने का दुष्प्रेरण कारित करेगा, यदि उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए, तो उसे मृत्यु दण्ड या आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा तथा अर्थदण्ड से भी दण्डनीय होगा।
    • BNS की धारा 159 में सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने पद के निष्पादन के दौरान अपने वरिष्ठ अधिकारी पर हमला करने के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है;
    • जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने पद का पालन कर रहे किसी वरिष्ठ अधिकारी पर हमला करने का दुष्प्रेरण करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास से, जिसे तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, दण्डित किया जाएगा तथा वह अर्थदण्ड से भी दण्डनीय होगा।
  • BNS की धारा 160 में, यदि हमला किया गया हो तो, ऐसे हमले के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है;
    • जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अपने पद का पालन कर रहे किसी वरिष्ठ अधिकारी पर हमले का दुष्प्रेरण करेगा, यदि ऐसा हमला उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया जाता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास से, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, दण्डित किया जाएगा तथा साथ ही वह अर्थदण्ड के लिये भी उत्तरदायी होगा।
  • BNS की धारा 161 में सैनिक, नाविक या वायुसैनिक को देश के अभित्याग के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है।
    • जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को अभित्याग के लिये दुष्प्रेरित करेगा, उसे किसी निश्चित अवधि के लिये कारावास से, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा, या अर्थदण्ड से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
  • BNS की धारा 164 में सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अवज्ञा के कृत्य के लिये दुष्प्रेरण का प्रावधान है।
    • जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी अधिकारी, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अवज्ञा के कार्य को दुष्प्रेरित करता है, यदि उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप अवज्ञा का ऐसा कार्य किया जाए, तो उसे किसी एक अवधि के लिये कारावास से, जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या अर्थीदण्ड से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

निष्कर्ष:

  • दुष्प्रेरण के अपराध के संबंध में BNS में बहुत अधिक परिवर्तन नहीं किये गए हैं। यह अपूर्ण अपराधों की श्रेणी में आता है। BNS के अधीन दुष्प्रेरण को सामान्य रूप से परिभाषित किया गया है तथा साथ ही विशेष अपराधों के लिये भी परिभाषित किया गया है।