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महत्त्वपूर्ण संस्थान

केरल उच्च न्यायालय

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 12-Jan-2024

परिचय:

कोच्चि में स्थित केरल उच्च न्यायालय, भारत में सबसे प्रमुख और सम्मानित न्यायिक संस्थानों में से एक है।

  • इसकी स्थापना 1 नवंबर, 1956 को हुई थी, और उसी दिन केरल राज्य का गठन हुआ था।
  • यह न्याय, दक्षता और विधि के शासन को बनाए रखने की प्रतिबद्धता के लिये जाना जाता है, केरल उच्च न्यायालय भारत के दक्षिणी भाग में न्यायिक उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में स्थापित है।
  • केरल उच्च न्यायालय केरल राज्य और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप दोनों के न्यायिक मामलों की देखरेख में प्राधिकार की स्थिति रखता है।

केरल उच्च न्यायालय का इतिहास क्या है?

  • उच्च न्यायालयों का विलय:
    • केरल उच्च न्यायालय की जड़ें त्रावणकोर और कोचीन उच्च न्यायालय से जुड़ी हैं, जो दो रियासती राज्य उच्च न्यायालय थे तथा केरल राज्य के गठन से पहले अस्तित्व में थे।
    • इन राज्यों के भारतीय संघ में एकीकरण के बाद, क्षेत्र के न्यायिक प्रशासन को एकीकृत करते हुए, केरल उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
  • प्रथम बैठक एवं उद्घाटन:
    • इसका उद्घाटन 5 नवंबर, 1956 को हुआ था।
    • केरल उच्च न्यायालय की पहली बैठक एर्नाकुलम में हुई थी।
  • महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व:
    • भारत में उच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चांडी और भारत के उच्चतम न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी की केरल उच्च न्यायालय से प्रासंगिकता है।

केरल उच्च न्यायालय की पीठें क्या हैं?

  • केरल उच्च न्यायालय केरल राज्य और केंद्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप पर अधिकार क्षेत्र रखता है।
  • इसकी मुख्य पीठ कोच्चि में स्थित है, लेकिन इसकी पीठें तिरुवनंतपुरम और एर्नाकुलम में भी हैं।
  • इन पीठों की स्थापना केरल के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के लिये न्याय तक आसान पहुँच की सुविधा के लिये की गई थी।

केरल उच्च न्यायालय का संविधान क्या है?

केरल उच्च न्यायालय की संरचना क्या है?

  • वर्तमान संरचना:
    • कराल उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और नियुक्त न्यायाधीशों को मिलाकर, वर्तमान स्वीकृत संख्या 35 स्थायी न्यायाधीश हैं, जिनमें मुख्य न्यायाधीश तथा 12 अतिरिक्त न्यायाधीश शामिल हैं।
  • मुख्य न्यायाधीश:
    • न्यायमूर्ति के. टी. कोशी को केरल उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।
    • केरल उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आशीष जितेंद्र देसाई हैं।
  • नियुक्ति प्रक्रिया:
    • मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिये राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश और केरल के राज्यपाल के साथ परामर्श किया जाता है।
    • अन्य न्यायाधीशों के लिये उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श लिया जाता है।
  • योग्यता और कार्यकाल:
    • स्थायी न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक कार्यरत होते हैं, जबकि अतिरिक्त न्यायाधीश अधिकतम दो वर्ष तक पद पर बने रहते हैं और उन्हें 62 वर्ष की आयु तक सेवानिवृत्त होना होता है।
    • न्यायाधीश के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिये, व्यक्ति को भारत में न्यायिक कार्यालय का दस वर्ष का अनुभव या एक या अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार वकालत की समान अवधि का अनुभव होना चाहिये।
  • रजिस्ट्रार:
    • रजिस्ट्रार जनरल उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री का प्रमुख होता है, जिसे विभिन्न रजिस्ट्रार अपनी भूमिकाओं में सहायता प्रदान करते हैं।

केरल उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार और भाषा क्या हैं?

  • क्षेत्राधिकार:
    • केरल उच्च न्यायालय के पास मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन और अन्य उद्देश्यों के लिये निर्देश, आदेश एवं रिट जारी करने का क्षेत्राधिकार है।
    • उच्च न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले सभी न्यायालयों पर अधीक्षण करता है, और उनके अभ्यासों एवं कार्यवाहियों को विनियमित करता है।
    • केरल उच्च न्यायालय अधिनियम, 1958, और केरल उच्च न्यायालय, 1971 के नियमों द्वारा शासित, इस न्यायालय के पास नागरिक व आपराधिक मामलों में मूल, अपीलीय एवं पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार हैं।
  • भाषा:
    • न्यायालय की कार्यप्रणाली अंग्रेज़ी में संचालित होती है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश द्वारा एकल बैठकों, डिवीज़न पीठों (दो न्यायाधीश), पूर्ण पीठों (तीन न्यायाधीश) और बड़ी पीठों के माध्यम से कार्यवाही की जाती है, जिसकी संरचना मुख्य न्यायाधीश द्वारा निर्धारित की जाती है।

केरल उच्च न्यायालय से संबंधित विवाद क्या है?

  • कथित तौर पर 13 नंबर के प्रति अंधविश्वास के कारण केरल उच्च न्यायालय परिसर में कोर्ट रूम नंबर 13 नहीं था।
  • उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि शुरुआत में कोर्ट रूम नंबर 13 था लेकिन बाद में इसे 12A नाम दिया गया।
  • इस याचिका पर जवाब देते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायालय को अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देना चाहिये।
  • उपर्युक्त याचिका पर निर्णय के बाद, केरल उच्च न्यायालय ने कोर्ट रूम 1A से D तक को पुनर्नामित किया।