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सांविधानिक विधि

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)

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 13-Feb-2024

परिचय:

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) का गठन 5 नवंबर, 1995 को समाज के हाशिये पर मौजूद और वंचित वर्गों को मुफ्त विधिक सहायता प्रदान करने तथा न्याय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया था।

  • यह राष्ट्रीय स्तर पर संचालित होता है और पूरे देश में विधिक सहायता कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
  • इसकी स्थापना विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत की गई थी और यह सभी नागरिकों तक उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति से इत्तर, न्याय की पहुँच सुनिश्चित करता है।

NALSA की स्थापना के पीछे क्या तर्क है?

  • संवैधानिक उद्देश्य:
    • भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 39A में कहा गया है कि राज्य यह सुनिश्चित करेगा कि विधिक तंत्र इस प्रकार कार्य करें कि समान अवसर के आधार पर न्याय सुलभ हो।
      • और वह, विशिष्टतया, यह सुनिश्चित करने के लिये कि आर्थिक या किसी अन्य निर्योग्यता के करण कोई नागरिक न्याय प्राप्त करने के अवसर से वंचित न रह जाए, उपयुक्त विधान या स्कीम द्वारा या किसी अन्य रीति से निःशुल्क विधिक सहायता कि व्यवस्था करेगा|

इसका आदेश और उद्देश्य क्या हैं?

  • विधिक सहायता प्रावधान:
    • NALSA का प्राथमिक उद्देश्य समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को नि:शुल्क विधिक सहायता प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई वित्तीय बाधाओं के कारण न्याय से वंचित न रह जाए।
  • जागरुकता एवं शिक्षा:
    • NALSA जनता के बीच कानूनी अधिकारों के बारे में जागरुकता बढ़ाने, उन्हें कानूनी प्रणाली के माध्यम से सहारा लेने के लिये सशक्त बनाने हेतु विभिन्न कार्यक्रम और पहल आयोजित करता है।
  • वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) को बढ़ावा देना:
    • NALSA पारंपरिक न्यायालय प्रणाली के बाहर विवादों को हल करने के लिये मध्यकता और माध्यस्थम् जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के उपयोग को बढ़ावा देता है, जिससे न्यायपालिका पर बोझ कम होता है।
  • मानवाधिकारों का संरक्षण:
    • NALSA मानव अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है कि महिलाओं, बालकों, बुज़ुर्गों एवं निःशक्त व्यक्तियों जैसे कमज़ोर समूहों के लिये न्याय सुलभ हो।

NALSA के कार्य क्या हैं?

  • लोक अदालतों का आयोजन करना।
  • किसी भी विधिक कार्यवाही के संबंध में देय या व्यय किये गए न्यायालय शुल्क, प्रक्रिया शुल्क और अन्य सभी शुल्कों का भुगतान करना।
  • विधिक कार्यवाही में अधिवक्ताओं की सेवा प्रदान करना।
  • विधिक कार्यवाही में आदेशों और अन्य दस्तावेज़ों की प्रमाणित प्रतियाँ प्राप्त करना तथा आपूर्ति सुनिश्चित करना।
  • विधिक कार्यवाही में दस्तावेज़ों की छपाई और अनुवाद सहित अपील, पेपर बुक तैयार करना।

NALSA का लाभार्थी कौन हो सकता है?

  • महिलाएँ एवं बालक;
  • SC/ST के सदस्य
  • औद्योगिक कामगार
  • सामूहिक आपदा, हिंसा, बाढ़, सूखा, भूकंप, औद्योगिक आपदा के शिकार।
  • निःशक्त व्यक्ति।
  • अभिरक्षा के अंतर्गत व्यक्ति।
  • ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपए से अधिक नहीं है (सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज़ कमेटी में यह सीमा 5,00,000/- रुपए है)।
  • मानव तस्करी के शिकार या भिखारी।

NALSA की संगठनात्मक संरचना क्या है?

  • कार्यकारिणी निकाय:
    • NALSA का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) करते हैं, जो मुख्य संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
    • इसमें अन्य शीर्ष न्यायिक अधिकारी और विधिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो इसके कामकाज़ एवं नीतिगत निर्णयों की देखरेख करते हैं।
  • राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA):
    • राज्य स्तर पर, प्रत्येक राज्य का अपना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण होता है जो अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर विधिक सहायता कार्यक्रमों और पहलों को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार होता है।
  • ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA):
    • ज़मीनी स्तर पर, ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक ज़िले में कार्य करते हैं कि विधिक सहायता समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुँचे।

इसके प्रमुख पहल और कार्यक्रम क्या हैं?

  • विधिक सहायता क्लिनिक:
    • NALSA ने विधिक सहायता चाहने वाले व्यक्तियों को ज़मीनी स्तर पर सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में विधिक सहायता क्लीनिक स्थापित किये हैं।
  • मोबाइल विधिक सहायता वैन:
    • दूरदराज़ एवं कम सेवा वाले क्षेत्रों में, NALSA समुदायों तक सीधे विधिक सेवाएँ पहुँचाने के लिये विधिक पेशेवरों और संसाधनों से सुसज्जित मोबाइल विधिक सहायता वैन संचालित करता है।
  • पैरा-लीगल स्वयंसेवक (PLV):
    • NALSA व्यक्तियों को उनके विधिक अधिकारों और विधिक प्रणाली की जटिलताओं को समझने में सहायता करने के लिये पैरा-लीगल स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित एवं तैनात करता है।
  • विधिक साक्षरता अभियान:
    • NALSA नागरिकों को विधि के तहत उनके अधिकारों एवं ज़िम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करने के लिये कार्यशालाओं, सेमिनारों और आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से विधिक साक्षरता अभियान चलाता है।

इसके समक्ष चुनौतियाँ और भविष्य की राह क्या हैं?

  • संसाधनों का अभाव:
    • सीमित फंडिंग, संसाधन विधिक सहायता की आवश्यकता वाले समाज के सभी वर्गों तक पहुँचने की NALSA की क्षमता के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
  • जागरूकता एवं पहुँच:
    • इसके प्रयासों के बावजूद, आबादी के कुछ वर्गों, विशेषकर ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में विधिक सहायता सेवाओं के बारे में जागरूकता वर्तमान में कम है।
  • विधिक सुधार:
    • NALSA न्याय तक पहुँच बढ़ाने, विधिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और न्यायिक प्रणाली के भीतर प्रणालीगत मुद्दों को संबोधित करने के उद्देश्य से विधिक सुधारों का समर्थन करना जारी रखता है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • प्रौद्योगिकी और डिजिटल प्लेटफॉर्म को अपनाने से NALSA की विधिक सहायता सेवाओं की पहुँच एवं दक्षता बढ़ सकती है, जिससे वे अधिक सुलभ व उपयोगकर्त्ता-अनुकूल बन जाएँगी।

NALSA की हालिया पहल क्या हैं?

  • विधिक सेवा मोबाइल ऐप:
    • न्याय तक न्यायसंगत पहुँच को सक्षम करने के लिये, NALSA ने आम नागरिकों को विधिक सहायता तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिये एंड्रॉइड और iOS संस्करणों के लिये विधिक सेवा मोबाइल ऐप लॉन्च किया है।
  • दिशा योजना:
    • न्याय विभाग (DoJ) ने वर्ष 2021-26 से कार्यान्वित की जा रही "न्याय तक समग्र पहुँच के लिये डिज़ाइनिंग इनोवेटिव सॉल्यूशंस (Designing Innovative Solutions for Holistic Access to Justice- दिशा)" नामक एक योजना के माध्यम से अखिल भारतीय स्तर पर न्याय तक पहुँच पर एक व्यापक, समग्र, एकीकृत और प्रणालीगत समाधान लॉन्च किया है।
    • न्याय तक पहुँच के सभी कार्यक्रमों को दिशा योजना के तहत विलय कर दिया गया है और इसका प्रसार अखिल भारतीय स्तर तक कर दिया गया है।