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पारिवारिक कानून

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पति पर क्रूरता

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 23-Feb-2024

X बनाम Y

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक युगल के बीच नियमित झगड़े हो सकते हैं जो विवाहित जीवन की सामान्य उतार-चढ़ाव हैं, लेकिन निश्चित रूप से इसमें एक सिमित दायरा होता है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिये।"

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा

स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि "इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक युगल के बीच नियमित झगड़े हो सकते हैं जो एक विवाहित जीवन की सामान्य तार-चढ़ाव हैं, लेकिन निश्चित रूप से इसमें एक सिमित दायरा होता है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिये।”

  • उपर्युक्त टिप्पणी X बनाम Y के मामले में की गई थी।

X बनाम Y मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति के साथ उसका विवाह आर्य समाज के तहत तब हुआ था, जब वे अवयस्क थे।
  • पत्नी ने आगे आरोप लगाया कि विवाह में उसके पति के परिवार का बहुत हस्तक्षेप था।
  • उस विवाह से उनका एक बेटा भी था।
  • वहीं, दोनों पति-पत्नी वर्ष 2004 से अलग-अलग रह रहे हैं।
  • पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (HMA) के तहत पत्नी द्वारा उसपर की गई क्रूरता के आधार पर शिकायत दर्ज की।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि "भले ही अपीलकर्त्ता द्वारा बताई गई घटनाएँ अलग से देखने पर प्रतिवादी को फँसाती नहीं हैं, लेकिन पूरी तरह से उसके गैर-समायोजन रवैये को प्रदर्शित करती हैं, जिसके कारण अपीलकर्त्ता को सार्वजनिक अपमान झेलना पड़ा और इस तरह मानसिक क्रूरता का सामना करना पड़ा।"

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत पति पर क्रूरता क्या है?

परिचय:

  • HMA की धारा 13(1)(i-a) क्रूरता को विवाह-विच्छेद मांगने का आधार मानती है।
  • क्रूरता में, जैसा कि अधिनियम में परिभाषित है, में शारीरिक और मानसिक क्रूरता दोनों शामिल हैं।
  • कोई भी पक्ष, चाहे पति हो या पत्नी, HMA की धारा 13(1)(i-a) के तहत विवाह-विच्छेद की मांग कर सकता है।

ऐतिहासिक मामले:

  • दास्ताने बनाम दास्ताने (1975):
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि पत्नी का कृत्य पति के साथ मानसिक क्रूरता है, हालाँकि, युगल के बीच जारी यौन संबंधों के कारण विवाह-विच्छेद नहीं दिया गया।
  • मायादेवी बनाम जगदीश प्रसाद (2007):
    • इस मामले में वर्ष 1993 में विवाहित एक पत्नी शामिल थी, जिस पर अपने पति से लगातार पैसे की मांग करने तथा बच्चों को धमकी देने और क्रूरता करने का आरोप लगाया गया था।
    • उसने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया, धमकाया और अंततः तीन बच्चों की मृत्यु का कारण बनी।
    • आपराधिक अपील लंबित होने के बावजूद, न्यायालय ने उसे मानसिक और शारीरिक क्रूरता के लिये दोषी पाया, और पति को विवाह-विच्छेद की डिक्री प्रदान की।
  • विश्वनाथ बनाम सौ. सरला विश्वनाथ अग्रवाल (2012)
    • अपीलकर्त्ता और प्रतिवादी (पत्नी) ने अप्रैल, 1979 में विवाह किया।
    • अपीलकर्त्ता ने असहनीय मतभेदों और मानसिक क्रूरता का हवाला देते हुए विवाह-विच्छेद के लिये दायर किया, जिसमें प्रतिवादी पर परिवार के प्रति अपमानजनक व्यवहार और अपीलकर्त्ता की माँ के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता का आरोप लगाया गया।
    • पत्नी ने समाचार-पत्रों में सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि उसका पति व्यभिचारी और शराबी दोनों लतों से ग्रस्त था।
      • साथ ही, उसने उसके विरुद्ध झूठे आरोप भी गढ़े।
    • न्यायालय ने अपीलकर्त्ता (पति) के पक्ष में विवाह-विच्छेद की मंजूरी दी।