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आपराधिक कानून
लोक अभियोजक
« »20-Dec-2023
न्यायालय के स्वयं के समावेदन बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले "दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के लिये लोक अभियोजकों की भर्ती की समय-समय पर समीक्षा करने के लिये एक निगरानी समिति का गठन किया।" कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने ट्रायल कोर्ट के लिये लोक अभियोजकों की भर्ती की समय-समय पर समीक्षा करने के लिये एक निगरानी समिति का गठन किया है।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह निर्णय न्यायालय के स्वयं के समावेदन बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले के मामले में दिया।
न्यायालय के स्वयं के समावेदन बनाम राज्य और अन्य संबंधित मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- पीठ ने अधिक लोक अभियोजकों की भर्ती की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और राष्ट्रीय राजधानी में ट्रायल कोर्ट में लंबित मामलों पर भी चिंता व्यक्त की।
- अब इस मामले की सुनवाई फरवरी में होगी।
- पीठ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें वर्ष 2009 में दर्ज एक स्वत: संज्ञान मामला भी शामिल था, जब एक पत्र याचिका दायर की गई थी, जिसमें विचाराधीन कैदियों के 5 से 12 वर्ष तक बिना मुकदमे के जेल में बंद रहने के मुद्दे को उजागर किया गया था।
- सितंबर में पीठ ने दिल्ली सरकार को दिल्ली न्यायिक अकादमी के समन्वय में नव नियुक्त लोक अभियोजकों का प्रशिक्षण आयोजित करने का निर्देश दिया था।
- इसने दिल्ली सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन और लोक अभियोजकों के संबंध में रिक्तियों की नवीनतम स्थिति के संबंध में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
न्यायालय की टिप्पणी क्या थी?
DHC ने आदेश दिया कि निगरानी समिति में दिल्ली सरकार के वित्त व कानून एवं न्याय विभाग सहित विभिन्न सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल होंगे और निर्देश दिया कि निगरानी समिति लोक अभियोजकों की रिक्तियों के संबंध में दिल्ली सरकार को सिफारिशें भी करेगी।
'लोक अभियोजक' क्या होता है?
- अर्थ:
- लोक अभियोजक वह होता है जो राज्य के हित का प्रतिनिधित्व करता है। आपराधिक न्याय प्रणाली में आम लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करने के लिये एक 'लोक अभियोजक' को राज्य का एजेंट माना जाता है।
- लोक अभियोजक की भूमिका:
- यह लोक अभियोजक ही होता है जो राज्य के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। उसकी भूमिका पुलिस द्वारा जाँच करने और न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करने के बाद शुरू होती है।
- जाँच में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है। अभियोजक को राज्य की ओर से अभियोजन चलाना चाहिये।
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 24: लोक अभियोजक-
(1) प्रत्येक उच्च न्यायालय के लिये, केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार उस उच्च न्यायालय से परामर्श के पश्चात यथास्थिति केंद्रीय या राज्य सरकार की ओर से उस उच्च न्यायालय में किसी अभियोजन, अपील या अन्य कार्यवाही के संचालन के लिये एक लोक अभियोजक नियुक्त करेगी और एक या अधिक अपर लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है।
(2) केंद्रीय सरकार किसी ज़िले या स्थानीय क्षेत्र में किसी मामले या किसी वर्ग के संचालन के प्रयोजनों के लिये एक या अधिक लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है।
(3) प्रत्येक ज़िले के लिये, राज्य सरकार एक लोक अभियोजक नियुक्त करेगी और ज़िले के लिये एक या अधिक अपर लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किया जा सकता है।
परंतु एक ज़िले के लिये नियुक्त लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक किसी अन्य ज़िले के लिये भी, यथास्थिति लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किया जा सकता है।
(4) ज़िला मजिस्ट्रेट, सत्र न्यायाधीश के परामर्श से, ऐसे व्यक्तियों के नामें का एक पेनल तैयार करेगा जो, उसकी राय में, उस ज़िले के लिये लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किये जाने के योग्य है।
(5) कोई व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा उस ज़िले के लिये लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसका नाम उपधारा (4) के अधीन ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार किये गए नामों के पैनल में न हो।
(6) उपधारा (5) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ किसी राज्य में अभियोजन अधिकारियों का नियमित काडर है वहाँ राज्य सरकार ऐसा काडर, गठित करने वाले व्यक्तियों में से ही लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त करेगी।
परंतु जहाँ राज्य सरकार की राय में ऐसे काडर में से कोई उपयुक्त व्यक्ति नियुक्ति के लिये उपलबध नहीं है वहां राज्य सरकार उपधारा (4) के अधीन ज़िला मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार किये गए नामों के पैनल में से, यथास्थिति लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक रूप में किसी व्यक्ति को नियुकत कर सकती है।
स्पष्टीकरण- इस उपधारा के प्रयोजन के लिये-
(a) ‘अभियोजन अधिकारियों का नियमित संवर्ग/काडर’ का अर्थ है अभियोजन अधिकारियों का एक ऐसा काडर जिसमें लोक अभियोजक की पदोन्नति का प्रावधान हो, चाहे इस पद का कोई भी नाम हो,
(b) ‘अभियोजन अधिकारी’ का अर्थ है ऐसा व्यक्ति, जिसे चाहे किसी भी नाम से पुकारें, जो इस संहिता के अंतर्गत लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक के कार्यों के निष्पादन के लिये नियुक्त किया गया हो।
(7) कोई व्यक्ति उपधारा (1) या उपधारा (2) या उपधारा (3) या उपधारा (6) के अधीन लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक नियुक्त किये जाने का पात्र तभी होगा जब तक वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसाय करता रहा हो।
(8) केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार किसी मामले या किसी वर्ग के मामलों के प्रयोजनों के लिये किसी अधिवक्ता को, जो कम से कम दस वर्ष तक विधि व्यवसाय करता रहा हो, विशेष लोक अभियोजक नियुक्त कर सकती है।
(परंतु न्यायालय आहत को इस उपधारा के अधीन अभियोजन को सहायता करने अपनी पसंद का अधिवक्ता नियुक्त की अनुमति दे सकता है।)
(9) उपधारा (7) और उपधारा (8) के प्रयोजनों के लिये उस अवधि के बारे में, जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने प्लीडर के रूप में विधि व्यवसाय किया है या लोक अभियोजक या अपर लोक अभियोजक या सहायक लोक अभियोजक या अन्य अभियोजन अधिकारी के रूप में चाहे वह किसी भी नाम से ज्ञात हो, सेवाएँ की हैं यह समझा जाएगा कि वह ऐसी अवधि है जिसके दौरान ऐसे व्यक्ति ने अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसाय किया है।