होम / करेंट अफेयर्स
आपराधिक कानून
लैंगिक अत्युक्त टिप्पणियाँ
« »05-Mar-2024
जनक राम बनाम राज्य "किसी अज्ञात महिला को डार्लिंग कहकर संबोधित करना भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 354A और 509 के तहत एक दाण्डिक अपराध होगा।" न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता |
स्रोत: कलकत्ता उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जनक राम बनाम राज्य के मामले में, माना है कि किसी अज्ञात महिला को डार्लिंग कहकर संबोधित करना भारतीय दण्ड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 354A और 509 के तहत एक दाण्डिक अपराध होगा।
जनक राम बनाम राज्य मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में अभियुक्त ने पीड़ित पुलिस महिला कांस्टेबल से पूछा, ''क्या डार्लिंग चालान करने आई है क्या?''
- इसके बाद IPC की धारा 354A और 509 के तहत मामला दर्ज किया गया।
- ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्त को दोषी ठहराया और उसे दोनों अपराधों में से प्रत्येक के लिये तीन महीने का कारावास तथा 500 रुपए का ज़ुर्माना भरने की सज़ा सुनाई।
- अभियुक्त ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के समक्ष अपील दायर की, जिसे बाद में खारिज़ कर दिया गया और अभियुक्त को एक महीने के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया।
- इसके बाद, कलकत्ता उच्च न्यायालय के समक्ष एक आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन दायर किया गया है।
- आवेदन का निपटारा करते हुए, उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सज़ा को संशोधित किया और तद्नुसार एक महीने की सज़ा दी।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने कहा कि एक पुरुष द्वारा शराब के नशे में सड़क पर किसी अज्ञात महिला को, चाहे वह पुलिस कांस्टेबल हो या नहीं, "डार्लिंग" शब्द के साथ संबोधित करना स्पष्ट रूप से अपमानजनक है और यह शब्द अनिवार्य रूप से एक लैंगिक अत्युक्त टिप्पणी के लिये उपयोग किया गया है।
- आगे यह माना गया कि किसी अज्ञात महिला के लिये इस तरह की अभिव्यक्ति का उपयोग करना संबोधिती की गरिमा का अपमान करने के आशय से किया गया कार्य हो सकता है। कम-से-कम अभी तक, हमारे समाज में प्रचलित मानक ऐसे नहीं हैं कि सड़क पर किसी पुरुष को अज्ञात महिलाओं के संबंध में ऐसी अभिव्यक्ति का उपयोग करने की अनुमति खुशी-खुशी दी जा सके।
इसमें कौन-से प्रासंगिक विधिक प्रावधान शामिल हैं?
IPC की धारा 354A:
- IPC की धारा 354A लैंगिक उत्पीड़न और लैंगिक उत्पीड़न के लिये सज़ा से संबंधित है।
- यह धारा IPC में आपराधिक विधि (संशोधन) अधिनियम, 2013 के माध्यम से पेश की गई थी।
- इसमें कहा गया है कि -
(1) ऐसा कोई निम्नलिखित कार्य, अर्थात्-
(i) शारीरिक संपर्क और अग्रक्रियाएँ करने, जिनमें अवांछनीय एवं लैंगिक संबंध बनाने संबंधी स्पष्ट प्रस्ताव अंतर्वलित हों; या
(ii) लैंगिक स्वीकृति के लिये कोई मांग या अनुरोध करने; या
(iii) किसी स्त्री की इच्छा के विरुद्ध अश्लील साहित्य दिखाने; या
(iv) लैंगिक आभासी टिप्पणियाँ करने,
वाला पुरुष लैंगिक उत्पीड़न के अपराध का दोषी होगा।
(2) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खण्ड (i) या खण्ड (ii) या खण्ड (iii) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह कठोर कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
(3) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) के खण्ड (iv) में विनिर्दिष्ट अपराध करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या ज़ुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा। - कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के बढ़ते सामाजिक संकट के विरुद्ध निर्णायक मोड़ विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य (1997) के मामले में, उच्चतम न्यायालय के अभूतपूर्व निर्णय में देखा जा सकता है।
- इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न को महिला के समानता और प्रतिष्ठा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना।
IPC की धारा 509:
परिचय:
- यह धारा किसी महिला की गरिमा का अपमान करने वाले शब्द, अंगविक्षेप या कृत्य से संबंधित है।
- इसमें कहा गया है कि जो कोई किसी स्त्री की लज्जा का अनादर करने के आशय से कोई शब्द कहेगा, कोई ध्वनि या अंगविक्षेप करेगा, या कोई वस्तु प्रदर्शित करेगा, इस आशय से कि ऐसी स्त्री द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सुनी जाए या ऐसा अंगविक्षेप या वस्तु देखी जाए अथवा ऐसी स्त्री की एकान्तता का अतिक्रमण करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।
निर्णयज विधि:
- अभिजीत जे. के. बनाम केरल राज्य (2020) के मामले में, केरल उच्च न्यायालय ने माना कि IPC की धारा 509 का उद्देश्य एक महिला की गरिमा का अपमान करना है। यह कानून की स्थापित स्थिति है कि केवल एक महिला का अपमान करने के कार्य और एक महिला की गरिमा का अपमान करने के कार्य के बीच अंतर है। IPC की धारा 509 को लागू करने के लिये, केवल एक महिला का अपमान होना पर्याप्त नहीं है और एक महिला की गरिमा का अपमान होना आवश्यक है।