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आपराधिक कानून

एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी की गवाही

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 21-Dec-2023

छोटेलाल बनाम रोहताश

"जहाँ अपील्कार्त्ता या शिकायतकर्ता एक इच्छुक एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी होता है, उसकी गवाही की बहुत सावधानी से जाँच की जानी चाहिये।"

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और पंकज मिथल

स्रोत:  उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने छोटे लाल बनाम रोहताश के मामले में कहा है कि ऐसे मामलों में जहाँ अपील्कार्त्ता या शिकायतकर्त्ता एक इच्छुक एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी होता है, उसकी गवाही की जाँच बहुत सावधानी से की जानी चाहिये।

छोटेलाल बनाम रोहताश मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • इस मामले में दोनों प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच वर्ष 1986 से गंभीर दुश्मनी थी।
  • उक्त विवाद लगातार चलता रहा जिसके परिणामस्वरूप राम किशन की हत्या हो गई।
  • ज़ाहिर तौर पर बदला लेने के लिये दूसरे समूह ने किशन सरूप (पीड़ित) की हत्या कर दी।
  • किशन सरूप की उपर्युक्त हत्या के संबंध में 5 मई, 2000 को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई थी।
    • सत्र न्यायालय के समक्ष दस अभियुक्तों में से छह को भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के लिये दोषी ठहराया गया था।
  • उक्त दोषसिद्धि और सज़ा उच्च न्यायालय द्वारा रद्द कर दी गई।
    • इससे व्यथित होकर अपीलकर्त्ता ने उच्चतम न्यायालय में अपील की।
    • उच्चतम न्यायालय ने अपील खारिज़ करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि यह उल्लेख करना संदर्भ से बाहर नहीं होगा कि अपीलकर्त्ता/शिकायतकर्ता, एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी, मृतक का पिता होने के नाते सबसे अधिक इच्छुक प्रत्यक्षदर्शी है और जिस समूह से अभियुक्त संबंधित हैं, उसके साथ उसकी लंबे समय से दुश्मनी रही है, इसलिये, उसकी गवाही की बहुत सावधानी से जाँच की जानी थी और उच्च न्यायालय को ऐसा करने में और उस पर संदेह करने के लिये उचित ठहराया गया ताकि उसके एकांत साक्ष्य पर दोषसिद्धि को बरकरार रखा जा सके।

इसमें कौन से प्रासंगिक कानूनी प्रावधान शामिल हैं?

गवाह कौन होता है?

  • गवाह वह व्यक्ति होता है जो मामले में पक्षों के अधिकारों और देनदारियों को निर्धारित करने में न्यायालय को स्पष्ट करने या सहायता करने के लिये स्वेच्छा से गवाही देता है या सबूत प्रदान करता है।
  • गवाह या तो संबंधित व्यक्ति हो सकते हैं या मामले के लिये मूल्यवान इनपुट वाले विशेषज्ञ हो सकते हैं।
  • एक गवाह को सक्षम तभी कहा जाता है जब कानून में उसे न्यायालय में पेश होने और गवाही देने से रोकने के लिये कोई विकल्प नहीं होता है।
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (IEA) की धारा 118 से 134 इस बारे में बात करती है कि गवाह के रूप में कौन गवाही दे सकता है, कोई कैसे गवाही दे सकता है, किन बयानों को गवाही माना जाएगा।

साक्षी की गवाही:

  • IEA की धारा 118 में कहा गया है कि सभी व्यक्ति साक्ष्य देने के लिये सक्ष्म होंगे, जब तक कि न्यायालय का यह विचार न हो कि कोमल वर्ष, अत्यधिक बुढ़ापा शरीर के या मन के रोग या इसी प्रकार के किसी अन्य कारण से वे उनसे किये गए प्रश्नों को समझने से या उन प्रश्नों के युक्तियुक्त उत्तर देने से निवारित है।
  • स्पष्टीकरण- कोई पागल व्यक्ति साक्ष्य देने के लिये अक्षम नहीं है, जब तक कि वह अपने पागलपन के कारण उससे किये गए प्रश्नों को समझने से या उनके युक्तिसंगत उत्तर देने से निवारित न हो।

एकल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही:

  • एक भी प्रत्यक्षदर्शी की गवाही दोषसिद्धि का आधार बन सकती है, बशर्ते वह उत्तम गुणवत्ता की हो।
  • किसी एक प्रत्यक्षदर्शी की गवाही में विसंगतियों के मामले में, उसके आधार पर दोषसिद्धि को रिकॉर्ड करना या पुष्टि करना सुरक्षित नहीं है।