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सांविधानिक विधि
e-DHCR पोर्टल
« »06-Aug-2024
"यह डिजिटल परिवर्तन समावेशिता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है"। मुख्य न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ |
स्रोत: दिल्ली उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
5 अगस्त, 2024 को भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के रिपोर्ट योग्य निर्णयों के लिये एक नया पोर्टल e-DHCR लॉन्च किया।
- इस पोर्टल में वर्ष 2007 से मई 2024 तक दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय शामिल होंगे।
- यह दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णयों की रिपोर्टिंग के लिये एक उपयोगकर्त्ता के अनुकूल मंच है।
- पोर्टल को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की उपस्थिति में लॉन्च किया गया।
- न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा e-DHCR समिति के अध्यक्ष हैं।
CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ की क्या टिप्पणियाँ थीं?
- CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विधिक ज्ञान के लोकतांत्रिक प्रसार को सुनिश्चित करने में एक परिवर्तन को चिह्नित करेगा। पूर्व निर्णय एवं न्यायिक निर्णय अब इंटरनेट किसी भी उपभोगकर्त्ता के लिये उपलब्ध होंगे।
- CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विधिक व्यवसायियों, शोधकर्त्ताओं, शिक्षाविदों एवं छात्रों के लिये एक बहुमूल्य संसाधन होगा।
- उन्होंने कहा कि यह पहल विधिक क्षेत्र में पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं समावेशिता के लिये नए मानक स्थापित करेगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने प्लेटफॉर्म के विषय में क्या कहा?
- न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि शोध की सटीकता में सुधार के लिये इस प्लेटफॉर्म में उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शोध एल्गोरिदम का उपयोग किया गया है, जो उपयोगकर्त्ताओं को विधिक सूचना तक सटीक रूप से पहुँचने में सहायता करेगा।
- उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर की मदद से e-DHCR पोर्टल पर उपलब्ध न्यायिक रिकॉर्ड के 16435 पन्नों का अनुवाद किया गया है। इससे अंग्रेज़ी एवं हिंदी दोनों भाषाओं में भाषा वरीयता सुनिश्चित हुई है।
- इस प्रकार, उन्होंने कहा कि यह पोर्टल न केवल युवा अधिवक्ताओं बल्कि अंग्रेज़ी में पारंगत न होने वाले विधि के छात्रों के लिये भी सहायक सिद्ध होगा।
अन्य समान पहल क्या है?
- e- SCR पोर्टल
- इलेक्ट्रॉनिक उच्चतम न्यायालय रिपोर्ट्स (e- SCR) पोर्टल विभिन्न हितधारकों के लिये समान निर्णयों का पता लगाने के लिये डिज़ाइन किया गया एक पोर्टल है।
- यह उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का डिजिटल संस्करण प्रदान करने की एक पहल है, जिस तरह से उन्हें आधिकारिक विधिक रिपोर्ट, उच्चतम न्यायालय रिपोर्ट्स में रिपोर्ट किया जाता है।
- वर्ष 1950 में उच्चतम न्यायालय की स्थापना से लेकर आज तक के निर्णय इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे।
- e- SCR में शोध सुविधा मुफ्त टेक्स्ट शोध, शोध के संदर्भ में खोज, मामले के प्रकार और मामले के वर्ष की खोज, न्यायाधीश के विषय में पता लगाना, वर्ष एवं वॉल्यूम की खोज बेच स्ट्रेंथ की खोज अदि अन्य विकल्प प्रदान करती है।
- इनबिल्ट इलास्टिक सर्च त्वरित एवं उपयोगकर्त्ता के अनुकूल खोज परिणामों की सुविधा प्रदान करता है।
- ये निर्णय उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट, उसके मोबाइल ऐप एवं राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के निर्णय पोर्टल पर उपलब्ध होंगे।
- डिजिटल न्यायालय 2.0
- यह न्यायालयी कार्यवाही के वास्तविक समय प्रतिलेखन के लिये AI का उपयोग करता है।
- यह कुशल रिकॉर्ड रखने एवं न्यायिक प्रक्रियाओं की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उत्थान का प्रतिनिधित्व करता है।
- FASTER (इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का तेज़ एवं सुरक्षित प्रसारण)
- यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेशों, स्थगन आदेशों, ज़मानत आदेशों आदि को संबंधित अधिकारियों तक सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक संचार चैनल के माध्यम से संप्रेषित करता है।
- ऐसे मामले सामने आए हैं, जहाँ ऐसे आदेशों के संचार में विलंब के कारण उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित ज़मानत आदेशों के बावजूद जेल के कैदियों को रिहा नहीं किया गया है।
- इसलिये, न्यायालय के आदेशों के कुशल प्रसारण के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता थी।
- SUPACE (न्यायालय की दक्षता में सहायता के लिये उच्चतम न्यायालय पोर्टल)
- यह एक AI आधारित पोर्टल है जिसका उद्देश्य न्यायाधीशों को विधिक शोध में सहायता करना है।
- यह एक ऐसा उपकरण है जो प्रासंगिक तथ्यों एवं विधियों को एकत्रित करता है तथा उन्हें न्यायाधीश को उपलब्ध कराता है।
- इसे निर्णय लेने के लिये नहीं बनाया गया है, बल्कि केवल तथ्यों को संसाधित करने एवं निर्णय के लिये इनपुट की तलाश कर रहे न्यायाधीशों को उपलब्ध कराने के लिये बनाया गया है।
- प्रारंभ में इसका प्रयोग बॉम्बे एवं दिल्ली उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों द्वारा प्रायोगिक आधार पर किया जाएगा जो आपराधिक मामलों से निपटते हैं।
- e- कोर्ट्स प्रोजेक्ट्स
- वर्चुअल कोर्ट या ई-कोर्ट एक अवधारणा है जिसका उद्देश्य न्यायालय में वादियों या अधिवक्ताओं की उपस्थिति को समाप्त करना तथा मामले का ऑनलाइन निर्णय करना है।
- e-कोर्ट परियोजना की अवधारणा “भारतीय न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना - 2005” के आधार पर भारत के उच्चतम न्यायालय की e-समिति द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जिसका उद्देश्य न्यायालयों को ICT सक्षमता द्वारा भारतीय न्यायपालिका को सहज बनाना था।
- e-कोर्ट मिशन मोड परियोजना, एक अखिल भारतीय परियोजना है, जिसकी निगरानी एवं वित्तपोषण देश भर के ज़िला न्यायालयों के लिये विधि एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग द्वारा किया जाता है।
- e-कोर्ट की सहायता से भारत में न्यायपालिका प्रणाली चुनौतियों पर नियंत्रण प्राप्त कर सकती है तथा सेवा वितरण तंत्र को पारदर्शी एवं लागत-कुशल बना सकती है।
- न्यायालयी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिये प्रारूप का नियम
- ये नियम न्यायपालिका में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के कार्यान्वयन के लिये राष्ट्रीय नीति एवं कार्य योजना का हिस्सा हैं।
- ये नियम उच्च न्यायालयों, अधीनस्थ न्यायालयों और अधिकरणों में कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीमिंग एवं रिकॉर्डिंग को शामिल करेंगे।
- प्रारूप के नियमों में यह प्रावधान है कि दाम्पत्य विवादों, लिंग आधारित हिंसा, अप्राप्तवय से संबंधित मामलों और “ऐसे मामलों को छोड़कर, जो पीठ की राय में समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा सकते हैं तथा जिसके परिणामस्वरूप विधि एवं व्यवस्था का उल्लंघन हो सकता है” उच्च न्यायालयों में सभी कार्यवाहियों का प्रसारण किया जा सकता है।
- NJDG पोर्टल
- CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने 2023 में घोषणा की कि अब लंबित मामलों एवं निपटान से संबंधित उच्चतम न्यायालय का डेटा NJDG पोर्टल पर उपलब्ध होगा।
- एनजेडीजी एक व्यापक संग्रह प्रदान करता है जिसमें ज़िला एवं अधीनस्थ न्यायालयों, उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालयों के आदेश, निर्णय व मामले के विवरण शामिल हैं।
- यह वेब पोर्टल सभी आगंतुकों के लिये आँकड़ों तक स्वतंत्र एक्सेस को सक्षम बनाता है।
- इसके अतिरिक्त, NJDG एक निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करता है, जो विभिन्न विशेषताओं के आधार पर मामले के विलंब की निगरानी करने में न्यायालयों की सहायता करता है, जैसे कि वर्षवार, फोरमवार लंबित मामले एवं विधि की प्रत्येक शाखा जैसे कि सिविल, आपराधिक आदि में लंबित मामले।