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सिविल कानून

सीमा शुल्क से छूट प्राप्त सामान की सूची

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 15-Apr-2025

ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ

"आयातित माल, भले ही मूल सीमा शुल्क से छूट प्राप्त हो, फिर भी संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत अतिरिक्त शुल्क के अधीन हो सकता है तथा वे तब तक इस अधीन रहेंगे जब तक कि उन्हें उन संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत निहित शक्तियों के प्रयोग में सक्षम प्राधिकारी द्वारा ऐसे अतिरिक्त शुल्क से विशेष रूप से छूट नहीं दी जाती है।"

मुख्य न्यायाधीश के.आर. श्रीराम एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक

स्रोत: मद्रास उच्च न्यायालय  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुख्य न्यायाधीश के.आर. श्रीराम एवं न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की पीठ ने कहा कि मूल सीमा शुल्क से छूट स्वचालित रूप से अतिरिक्त शुल्कों पर लागू नहीं होती है, जब तक कि संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत विशेष रूप से छूट न दी गई हो।

ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ (2025) मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • ट्रांसएशिया बायो-मेडिकल्स लिमिटेड, जिसका प्रतिनिधित्व अशोक सुथार (महाप्रबंधक-कर एवं विधि) कर रहे हैं, ने मानक सहायक उपकरणों के साथ हेमेटो विश्लेषक की एक खेप आयात की तथा बिल ऑफ एंट्री दाखिल की।
  • सीमा शुल्क उपायुक्त (समूह-5B) ने बिल ऑफ एंट्री का मूल्यांकन किया तथा अधिसूचना संख्या 19/2005-सीमाशुल्क दिनांक 01.03.2005 के अनुसार 4% की दर से अतिरिक्त शुल्क की मांग की।
  • अतिरिक्त शुल्क की मांग इस आधार पर की गई कि अधिसूचना संख्या 19/2005-सीमाशुल्क के अनुसार, छूट अधिसूचना संख्या 24/2005-सीमाशुल्क के अंतर्गत आने वाले माल पर 4% की दर से अतिरिक्त शुल्क देना होगा।
  • आयातित माल सीमा शुल्क टैरिफ शीर्षक 9027 80 के अंतर्गत आता है, जो कि सीमा शुल्क छूट अधिसूचना संख्या 24/2005-सीमा शुल्क में सूचीबद्ध है, तथा इस उत्पाद के लिये टैरिफ दर को सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 के अंतर्गत "मुक्त" नामित किया गया था। 

  • अधिसूचना संख्या 19/2005 सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 की धारा 3 की उप-धारा (5) के अंतर्गत जारी की गई थी, जबकि अधिसूचना संख्या 24/2005 सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 25 की उप-धारा (1) के अंतर्गत जारी की गई थी। 
  • याचिकाकर्त्ता ने अधिसूचना संख्या 24/2005-सीमा शुल्क की वैधता को चुनौती दी, जिसमें कहा गया कि जब सीमा शुल्क टैरिफ आयातित वस्तुओं को शुल्क से "मुक्त" नामित करता है, तो सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत छूट की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • याचिकाकर्त्ता ने आगे तर्क दिया कि यदि अधिसूचना संख्या 24/2005 अमान्य है, तो अधिसूचना संख्या 19/2005 में उस अधिसूचना का संदर्भ भी अप्रभावी होगा, जिसका अर्थ है कि आयातित माल 4% अतिरिक्त शुल्क के लिये उत्तरदायी नहीं होगा। 
  • याचिकाकर्त्ता ने भारतीय संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 226 के अंतर्गत रिट याचिकाएँ दायर कीं, जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई कि अधिसूचना संख्या 24/2005-सीमा शुल्क सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 25 के प्रावधानों के विपरीत है। 
  • याचिकाकर्त्ता ने प्रविष्टि बिल संख्या 896356 दिनांक 21.10.2005 एवं 940189 दिनांक 05.01.2006 में किये गए आकलन को रद्द करने के लिये उत्प्रेषण रिट की भी मांग की, जिसमें अधिसूचना संख्या 19/2005-सीमा शुल्क के अंतर्गत 4% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • मद्रास उच्च न्यायालय ने पाया कि सीमा शुल्क अधिनियम और सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम दोनों एक दूसरे से स्वतंत्र हैं, तथा एक शुल्क दूसरे के बिना भी लगाया जा सकता है, जैसा कि कोलगेट पामोलिव (इंडिया) लिमिटेड बनाम सीमा शुल्क आयुक्त, पटना में दिये गए निर्णय से प्रमाणित होता है। 
  • न्यायालय ने पाया कि सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम की धारा 3(1) अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रावधान करती है, जो सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 12 और सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम की धारा 2 के अंतर्गत लगाए जाने वाले सीमा शुल्क के अतिरिक्त है। 
  • न्यायालय ने माना कि भले ही सीमा शुल्क अधिनियम के अंतर्गत लगाए जाने वाले शुल्क को "मुक्त" कहा गया हो, फिर भी सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम के अंतर्गत अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सकता है, क्योंकि अतिरिक्त शुल्क के लिये शुल्क लगाने वाली धारा सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम की धारा 3 है, न कि सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 12। 
  • न्यायालय ने इस तथ्य पर बल दिया कि अधिसूचना में आयातित वस्तुओं पर 4% सीमा शुल्क लगाने की बात नहीं कही गई है (जिस स्थिति में 4% "मुफ्त" का अर्थ "शून्य" होता) बल्कि इसमें कहा गया है कि पहचान की गई वस्तुओं को आयात किये जाने पर उन पर 4% मूल्यानुसार की दर से अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
  • न्यायालय ने कहा कि आयातित माल, भले ही मूल सीमा शुल्क से छूट प्राप्त हो, फिर भी संबंधित अधिनियमों के अंतर्गत अतिरिक्त शुल्क लगाने के अधीन हो सकता है, जब तक कि उन अधिनियमों के अंतर्गत शक्तियों का प्रयोग करने वाले सक्षम प्राधिकारी द्वारा विशेष रूप से छूट न दी जाए। 
  • न्यायालय ने सेंचुरी फ्लोर मिल्स लिमिटेड बनाम भारत संघ मामले का संदर्भ देते हुए कहा कि सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत सरकार के पास शुल्क से सशर्त या पूर्ण रूप से छूट देने का अधिकार है, जिससे आयात या तो देयता से मुक्त हो जाता है या उचित समझी जाने वाली शर्तों के अधीन हो जाता है।

किन विधिक प्रावधानों का उल्लेख किया गया है?

  • सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 12:
    • धारा 12 शुल्क योग्य वस्तुओं से संबंधित है। 
    • धारा 12(1) में कहा गया है कि इस अधिनियम या किसी अन्य विधि में अन्यथा प्रावधान के अतिरिक्त, भारत में आयातित या भारत से निर्यातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क टैरिफ अधिनियम, 1975 (1975 का 51) या किसी अन्य विधि के अंतर्गत निर्दिष्ट दरों पर सीमा शुल्क लगाया जाएगा। 
    • धारा 12(2) में प्रावधान है कि उप-धारा (1) के प्रावधान सरकार से संबंधित सभी वस्तुओं के संबंध में उसी तरह लागू होंगे जैसे वे सरकार से संबंधित नहीं वस्तुओं के संबंध में लागू होते हैं।
  • सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 25:
    • यह धारा केन्द्र सरकार को यह अधिकार देती है कि वह जनहित में आवश्यक होने पर वस्तुओं को सीमा शुल्क से छूट दे सकती है।