Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है










होम / करेंट अफेयर्स

सिविल कानून

सरोगेसी करार

    «    »
 14-Aug-2024

शैलजा नितिन मिश्रा बनाम नितिन कुमार मिश्रा   

अंडाणु या शुक्राणु दान करने से IVF के माध्यम से उत्पन्न हुए बच्चे पर जैविक माता-पिता के समान अधिकार नहीं मिलते।”

न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव   

स्रोत: बॉम्बे उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि अंडाणु या शुक्राणु दान करने से IVF के माध्यम से उत्पन्न हुए बच्चों पर जैविक माता-पिता के समान अधिकार नहीं मिलता। यह निर्णय तब आया जब एक महिला ने अपनी बहन और बहनोई को अंडाणु दान किये थे, उसने सरोगेसी के माध्यम से उत्पन्न हुए जुड़वाँ बच्चों पर मातृत्व अधिकारों का दावा किया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि माता-पिता के अधिकार मात्र आनुवंशिक योगदान के आधार पर नहीं दिये जाते बल्कि इसमें विधिक एवं करार संबंधी विचार शामिल होते हैं।

  • न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव ने शैलजा नितिन मिश्रा बनाम नितिन कुमार मिश्रा मामले में यह निर्णय दिया।

शैलजा नितिन मिश्रा बनाम नितिन कुमार मिश्रा की पृष्ठभूमि क्या थी?

  • याचिकाकर्त्ता (पत्नी) और प्रतिवादी संख्या 1 (पति) विधिक रूप से विवाहित दंपत्ति हैं, जिनका विवाह अभी भी प्रभावी है।
  • दंपति चिकित्सीय समस्याओं के कारण स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में असमर्थ थे, इसलिये उन्होंने पत्नी की छोटी बहन को अंडाणु दाता बनाकर सरोगेसी का सहारा लिया।
  • 30 नवंबर 2018 को दंपति, एक सरोगेट माँ और बंगलुरु के एक फर्टिलिटी क्लिनिक के डॉक्टर के बीच सरोगेसी करार पर हस्ताक्षर किये गए।
  • 25 अगस्त 2019 को सरोगेसी के माध्यम से जुड़वाँ पुत्रियों का जन्म हुआ।
  • अप्रैल 2019 में, बच्चों के जन्म से पहले, पत्नी की बहन (अंडाणु दाता) एक गंभीर दुर्घटना से ग्रस्त हो गई थी, जिसमें उसके पति और बच्चे की मृत्यु हो गई तथा वह विकलांग हो गई।
  • अगस्त 2019 से मार्च 2021 तक यह दंपति अपनी जुड़वाँ पुत्रियों के साथ रहा।
  • मार्च 2021 में पति, पत्नी को बिना बताए उसकी पुत्रियों को लेकर राँची चला गया।
    • पत्नी की बहन उनके साथ रहने लगी और बच्चों की देखभाल करने लगी।
  • पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और फिर पुत्रियों की संरक्षण के लिये न्यायालय में आवेदन दिया।
  • पत्नी ने मुलाकात के अधिकार की माँग करते हुए एक अंतरिम आवेदन भी दायर किया, जिसे सितंबर 2023 में ट्रायल कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया।
  • पत्नी ने अब अपने अंतरिम मुलाकात अधिकार आवेदन की अस्वीकृति को चुनौती देते हुए यह रिट याचिका दायर की है।
  • जुड़वाँ पुत्रियाँ अब 5 वर्ष की हो गई हैं और कथित तौर पर पत्नी की बहन को अपनी माँ के रूप में पहचानती हैं।
  • पति एवं पत्नी की बहन का तर्क है कि अंडाणु दाता के रूप में पत्नी की बहन को ही बच्चों की जैविक माँ माना जाना चाहिये।

न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?

  • भारत में ART क्लीनिकों के प्रत्यायन, पर्यवेक्षण और विनियमन के लिये 2005 में लागू राष्ट्रीय दिशा-निर्देश इस मामले पर लागू होते हैं।
  • दिशा-निर्देश 3.12.1 के अनुसार, ART के माध्यम से उत्पन्न हुए बच्चे को दंपत्ति की वैध संतान माना जाएगा, जो विवाह के अंतर्गत और दोनों पति-पत्नी की सहमति से उत्पन्न हुआ हो।
  • दिशा-निर्देश 3.16.1 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शुक्राणु/अंडाणु दाता का बच्चे के संबंध में कोई अभिभावकीय अधिकार या कर्त्तव्य नहीं होगा।
  • न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्त्ता की छोटी बहन, जो अंडाणु दाता है, को यह दावा करने का कोई विधिक अधिकार नहीं है कि वह जुड़वाँ पुत्रियों की जैविक माँ है।
  • सरोगेसी करार, इच्छुक माता-पिता (याचिकाकर्त्ता और प्रतिवादी संख्या 1), सरोगेट माँ और डॉक्टर के बीच एक संविदा है।
    • अंडाणु दाता इस करार का पक्ष नहीं है।
  • निचले न्यायालय का विवादित आदेश पूरी तरह से बिना सोचे-समझे पारित किया गया है और यह स्पष्ट रूप से प्रवर्तनीय नहीं है।
  • याचिकाकर्त्ता की छोटी बहन की सीमित भूमिका अंडाणु दाता की है तथा अधिक-से-अधिक वह आनुवंशिक माता के रूप में योग्य हो सकती है, परंतु इससे उसे जैविक माता होने का दावा करने का कोई विधिक अधिकार नहीं मिल जाता।
  • याचिकाकर्त्ता और प्रतिवादी संख्या 1, दिशा-निर्देशों तथा सरोगेसी अधिनियम के तहत परिभाषित इच्छुक दंपत्ति हैं एवं इसलिये वे जुड़वाँ पुत्रियों के जैविक पिता व माता होने के योग्य हैं।

सरोगेसी क्या है?

  • सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य व्यक्ति या दंपत्ति (इच्छुक माता-पिता) की ओर से बच्चे को जन्म देने के लिये सहमत होती है।
  • सरोगेट, जिसे कभी-कभी गर्भावधि वाहक भी कहा जाता है, वह महिला होती है जो किसी अन्य व्यक्ति या दंपत्ति (इच्छुक माता-पिता) के लिये गर्भधारण करती है, बच्चे को जन्म देती है।
  • सरोगेसी, जिसमें गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज के अलावा सरोगेट माँ को कोई मौद्रिक प्रतिफल नहीं दिया जाता है, उसे अक्सर परोपकारी सरोगेसी कहा जाता है।
  • मूल चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज से अधिक मौद्रिक लाभ या पुरस्कार (नकद या वस्तु के रूप में) के लिये की जाने वाली सरोगेसी को वाणिज्यिक सरोगेसी कहा जाता है।

सरोगेसी करार क्या है?

  • सरोगेसी करार, एक विधिक अनुबंध है जो इच्छुक माता-पिता और सरोगेट माँ के बीच नियमों एवं शर्तों को परिभाषित करता है, जो इच्छुक माता-पिता के लिये बच्चे को जन्म देती है।
  • इस करार में चिकित्सा प्रक्रियाओं, माता-पिता के अधिकारों और वित्तीय व्यवस्थाओं के विषय में विवरण शामिल हैं।
  • दोनों पक्ष सरोगेसी करार पर हस्ताक्षर करने की अपनी सहमति की घोषणा करते हैं, जिसमें सरोगेट महिला, इच्छुक माता-पिता के लिये एक बच्चे को जन्म देने के लिये सहमत होती है।
  • यह करार सरोगेसी प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद सरोगेट तथा इच्छुक माता-पिता दोनों के अधिकारों, ज़िम्मेदारियों एवं दायित्वों को निर्धारित करता है।
  • सरोगेट (और पति/पत्नी, यदि लागू हो) इस सरोगेसी व्यवस्था से उत्पन्न किसी भी बच्चे (बच्चों) के लिये इच्छुक माता-पिता के पूर्ण अभिभावकीय अधिकारों की पुष्टि और स्वीकृति करते हैं।
  • इच्छुक माता-पिता इस सरोगेसी व्यवस्था के कारण उत्पन्न हुए किसी भी बच्चे के लिये सभी अभिभावकीय अधिकारों और उत्तरदायित्वों को ग्रहण करने की अपनी स्पष्ट सहमति व्यक्त करते हैं।
  • करार में सरोगेट को प्रदान किये जाने वाले प्रतिफल को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसमें कवर किये गए व्ययों की गणना भी शामिल होगी, जैसे कि जीवन-यापन का व्यय और चिकित्सा व्यय जो अन्यथा बीमाकृत नहीं हैं।
  • यहाँ दी गई शर्तों के अनुसार, इच्छुक माता-पिता से सरोगेट तक भुगतान की सुविधा के लिये एक वित्तीय तंत्र (जैसे- निलंब खाता या ट्रस्ट) स्थापित किया जाएगा।
  • इस करार में सरोगेसी प्रक्रिया और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान सरोगेट, बच्चे (बच्चों) तथा इच्छुक माता-पिता के लिये स्वास्थ्य बीमा कवरेज की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
  • दोनों पक्ष एक संचार प्रोटोकॉल पर सहमत होते हैं, जिसमें संपर्क की आवृत्ति और विधि शामिल होती है, जिसे संपूर्ण गर्भावस्था के दौरान बनाए रखा जाना होता है।
  • गर्भावस्था के दौरान चिकित्सीय निर्णय लेने में इच्छुक माता-पिता की भागीदारी की सीमा को इसमें स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा।
  • सरोगेट माँ, गर्भावस्था के दौरान निर्दिष्ट स्वास्थ्य और जीवनशैली विकल्पों का पालन करने के लिये सहमत होती है, जिसमें आहार संबंधी प्रतिबंध, व्यायाम संबंधी नियम, यात्रा संबंधी सीमाएँ तथा उच्च जोखिम वाली गतिविधियों से दूर रहना शामिल है।
  • इस करार में संभावित आकस्मिकताओं के लिये समाधान प्रदान किया जाएगा, जिसमें एकाधिक गर्भधारण, चयनात्मक कमी, गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएँ और सरोगेट के लिये स्वास्थ्य जोखिम शामिल हैं।
  • दोनों पक्ष पारस्परिक रूप से सहमत गोपनीयता प्रोटोकॉल का पालन करने के लिये सहमत हैं, जिसमें सरोगेसी व्यवस्था से संबंधित सोशल मीडिया प्रकटनों पर सीमाएँ भी शामिल हैं।
  • करार में किसी भी पक्ष द्वारा करार की शर्तों के उल्लंघन के परिणामों को निर्दिष्ट किया जाएगा, जिसमें संभावित उपचार और विवाद समाधान तंत्र भी शामिल होंगे।