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आपराधिक कानून
BNSS के अंतर्गत पीड़ित
« »16-Aug-2024
विक्रम मंशानी बनाम प्रवीण शर्मा "यदि शिकायतकर्त्ता अपराध का पीड़ित है, तो उसे BNSS की धारा 413 के प्रावधान के अधीन दोषमुक्त किये जाने, कमतर अपराध के लिये दोषसिद्धि या अपर्याप्त क्षतिपूर्ति लगाए जाने के विरुद्ध अपील करने का अधिकार होगा।" न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार |
स्रोत: राजस्थान उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में राजस्थान उच्च न्यायालय ने विक्रम मंशानी बनाम प्रवीण शर्मा के मामले में माना है कि किसी पीड़ित को आपराधिक मामलों में अपील दायर करने के लिये अनुमति हेतु आवेदन दायर करने की आवश्यकता नहीं है।
विक्रम मंशानी बनाम प्रवीण शर्मा मामले की पृष्ठभूमि क्या थी?
- इस मामले में प्रतिवादी पर परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI अधिनियम) की धारा 138 के अंतर्गत आरोप लगाया गया था।
- आवेदक द्वारा ट्रायल कोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील दायर करने की अनुमति के लिये आवेदन दायर किया गया है।
- आवेदक ने तर्क दिया कि यह विवादित नहीं है कि चेक आवेदक के पक्ष में जारी किया गया था।
- आवेदक ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) की धारा 419 के अनुसार अपील दायर करने की अनुमति प्राप्त करने के लिये आवेदन दायर किया।
- यह आवेदन राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष दायर किया गया था।
न्यायालय की क्या टिप्पणियाँ थीं?
- राजस्थान उच्च न्यायालय ने पाया कि आवेदक ने कहा कि यह विवादित नहीं है कि चेक आवेदक के पक्ष में जारी किया गया था। इसलिये, आवेदक स्वयं BNSS की धारा 2(y) के अनुसार पीड़ित है।
- राजस्थान उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि BNSS की धारा 413 के अनुसार पीड़ित को अपीलीय फोरम के समक्ष अपील करने का अधिकार है तथा अपील करने के लिये किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
- इसलिये, वर्तमान अपील संबंधित ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष दायर की जानी चाहिये थी।
- राजस्थान उच्च न्यायालय ने वर्तमान अपील को खारिज कर दिया तथा आवेदक को नियमित अपील दायर करने का आदेश दिया क्योंकि वर्तमान मामले में न्यायालय की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।
पीड़ितों के लिये BNSS के अंतर्गत क्या प्रावधान हैं?
- धारा 2(y): "पीड़ित" से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जिसे आरोपी व्यक्ति के कार्य या चूक के कारण कोई हानि या चोट पहुँची है तथा इसमें ऐसे पीड़ित का अभिभावक या विधिक उत्तराधिकारी भी शामिल है।
- धारा 413: जब तक अन्यथा प्रावधान न हो, अपील नहीं की जा सकेगी:
- किसी दण्ड न्यायालय के किसी निर्णय या आदेश के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जाएगी, सिवाय इसके कि उसकी संहिता या किसी अन्य समय प्रवृत्त विधि द्वारा ऐसा प्रावधान किया गया हो:
- बशर्ते कि पीड़ित को न्यायालय द्वारा पारित किसी ऐसे आदेश के विरुद्ध अपील करने का अधिकार होगा, जिसमें अभियुक्त को दोषमुक्त किया गया हो या किसी छोटे अपराध के लिये दोषी ठहराया गया हो या अपर्याप्त प्रतिकर अधिरोपित किया गया हो तथा ऐसी अपील उस न्यायालय में की जा सकेगी, जिसमें ऐसे न्यायालय के दोषसिद्धि के आदेश के विरुद्ध सामान्यतः अपील की जाती है।