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सांविधानिक विधि

उपराष्ट्रपति

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 26-Mar-2024

परिचय:

भारत का उपराष्ट्रपति, देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद है। भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 63 में कहा गया है कि भारत का एक उपराष्ट्रपति होगा।

राज्यों की परिषद के पदेन अध्यक्ष:

  • COI के में अनुच्छेद 64 कहा गया है कि उपराष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होगा और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा।
  • परंतु जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के अधीन राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करता है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्त्तव्यों का पालन नहीं करेगा और वह अनुच्छेद 97 के अधीन राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का भी हकदार नहीं होगा।

उपराष्ट्रपति पद के लिये अर्हताएँ:

  • COI के अनुच्छेद 66 के खंड (3) में कहा गया है कि उपराष्ट्रपति पद के लिये पात्र होने के लिये किसी व्यक्ति के पास निम्नलिखित अर्हताएँ होनी चाहिये:
    • भारत का नागरिक होना चाहिये।
    • 35 वर्ष की आयु पूरी कर लेनी चाहिये।
    • राज्य सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित के लिये अर्हित होना चाहिये।
    • कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उपराष्ट्रपति निर्वाचित निर्वाचित होने का पात्र नहीं होगा।

उपराष्ट्रपति का निर्वाचन:

  • COI के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
  • इलेक्टोरल कॉलेज में शामिल हैं:
    • राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
    • राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
    • लोकसभा के निर्वाचित सदस्य

उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ:

  • COI के अनुच्छेद 69 के अनुसार, प्रत्येक उपराष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति अथवा उसके द्वारा निमित्त नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निम्नलिखित प्रारूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।

उपराष्ट्रपति की पदावधि:

  • COI के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेगा।
  • वह अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी अपने पद पर तब तक बना रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी कार्यालय में प्रवेश नहीं कर लेता।

उपराष्ट्रपति का त्यागपत्र:

  • COI के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।

उपराष्ट्रपति को हटाना:

  • उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोक सभा सहमत है; किंतु इस खंड के प्रयोजन के लिये कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम-से-कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हों।

राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना:

  • COI के अनुच्छेद 65 के अनुसार, राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना या उसके कृत्यों का निर्वहन करना होगा।
  • राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से उसके पद में हुई रिक्ति की दशा में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिये इस अध्याय के उपबंधों के अनुसार निर्वाचित नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
  • जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है, तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्त्तव्यों को फिर से संभालता है।
  • उपराष्ट्रपति को उस अवधि के दौरान और उस अवधि के संबंध में, जब वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तो और विशेषाधिकारो का जो संसद, विधि द्वारा अवधारित करे, और जब तक इस निमित इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तो और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट है, हकदार होगा।