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सांविधानिक विधि
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
« »12-Dec-2023
श्रीमती सोनाली शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. थ्रू प्रधान सचिव दिब्यांगजन सशक्तीकरण विभाग लखनऊ और दो अन्य "पहले मातृत्व लाभ के दो वर्षों के भीतर दूसरे मातृत्व लाभ का दावा करने पर कोई रोक नहीं है।" न्यायमूर्ति मनीष माथुर |
स्रोत: इलाहाबाद उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने कहा है कि पहले मातृत्व लाभ के दो वर्ष के भीतर दूसरे मातृत्व लाभ का दावा करने पर कोई रोक नहीं है।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रीमती सोनाली शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. थ्रू प्रधान सचिव दिब्यांगजन सशक्तीकरण विभाग लखनऊ और दो अन्य के मामले में यह निर्णय सुनाया।
श्रीमती सोनाली शर्मा बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. थ्रू प्रधान सचिव दिब्यांगजन सशक्तीकरण विभाग लखनऊ और दो अन्य मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
- याचिकाकर्ता ने दूसरे मातृत्व अवकाश के लिये आवेदन दर्ज किया, जिसे खारिज़ कर दिया गया।
- इसलिये, याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया और दिब्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय, उत्तर प्रदेश को उसे पूर्ण वेतन के साथ मातृत्व अवकाश देने का निर्देश देने की मांग की।
- न्यायालय ने दूसरी गर्भावस्था के लिये महिला को अवकाश की स्वीकार्यता से संबंधित प्रावधानों को पढ़ा था क्योंकि यह वित्तीय हैंडबुक द्वारा नहीं बल्कि, मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 द्वारा शासित होगा।
- न्यायालय ने माना कि पहले मातृत्व लाभ के अनुदान से 2 वर्ष के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश लेने पर कोई रोक नहीं है और निदेशक, दिब्यांगजन सशक्तीकरण निदेशालय यू.पी. लखनऊ को याचिकाकर्ता के सभी सेवा लाभों के साथ 14 अगस्त, 2023 से 09 फरवरी, 2024 तक 'मातृत्व अवकाश' स्वीकृत करने का निर्देश दिया।
न्यायालय की टिप्पणी क्या थी?
- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधान एक लाभकारी कानून होने के कारण वित्तीय हैंडबुक के प्रावधानों पर अत्यधिक प्रभाव डालेंगे। यह विशेष रूप से माना जा रहा था कि पहले मातृत्व अवकाश के से दो वर्ष की अवधि के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश स्वीकार्य है।
मामले में उद्धृत ऐतिहासिक निर्णय क्या है?
- अनुपम यादव एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य (2022):
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना कि 'एक बार मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा अपना लिया जाए, जैसा कि इस न्यायालय द्वारा माना गया है, तो 1961 का उक्त अधिनियम वित्तीय हैंडबुक में निहित प्रावधानों के बावजूद पूर्ण रूप से लागू होगा, जो कि केवल एक कार्यकारी निर्देश है और किसी भी मामले में संसद द्वारा बनाए गए कानून का सहायक होगा।
- सताक्षी मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2022):
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने माना कि मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 में मातृत्व लाभ अनुदान के लिये पहले और दूसरे बच्चे के बीच समय के अंतर के संबंध में ऐसी कोई शर्त नहीं है।
मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 क्या है?
- परिचय:
- मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 वह कानून है जो महिलाओं को उनके मातृत्व के दौरान रोज़गार संबंधी लाभ प्रदान करता है।
- यह महिला कर्मचारी को 'मातृत्व लाभ' सुनिश्चित करता है, जिससे कार्य से अनुपस्थिति के दौरान नवजात बच्चे की देखभाल के लिये उन्हें वेतन का भुगतान किया जाता है।
- यह प्रावधान 10 से अधिक कर्मचारियों को रोज़गार देने वाले किसी भी संस्थान पर लागू होता है। इस अधिनियम को मातृत्व संशोधन विधेयक, 2017 के तहत संशोधित किया गया था।
- यह अधिनियम मातृत्व की गरिमा की रक्षा करने वाला एक महत्त्वपूर्ण कानून है।
- इससे यह सुनिश्चित करने में भी सहायता मिलती है कि कामकाजी महिलाएँ अपने बच्चों की उचित देखभाल करने में सक्षम हैं। महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के अलावा, मातृत्व लाभ महिलाओं को उनके वित्त में भी सहायता करते हैं।
- योग्यता:
- अधिनियम के तहत लाभ प्राप्त करने का हकदार होने के लिये, कर्मचारी (महिला) को पिछले बारह महीनों में 80 विषम दिनों की अवधि के लिये संस्थान में कार्यरत होना चाहिये।