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सांविधानिक विधि

चुनावी बॉण्ड

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 15-Nov-2023

स्रोत -द टाइम्स ऑफ इंडिया

परिचय

हाल ही में, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने सभी राजनीतिक दलों को 15 नवंबर 2023 तक चुनावी बॉण्ड के माध्यम से प्राप्त सभी दान राशियों का विवरण जमा करने का निर्देश दिया है।

  • ECI का यह निर्देश उच्चतम न्यायालय द्वारा चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2023 तक चुनावी बॉण्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त धन के नवीनतम डेटा को सीलबंद कवर के साथ पेश करने का निर्देश देने के बाद आया है।

चुनावी बॉण्ड क्या है?  

  • चुनावी बॉण्ड ब्याज मुक्त वाहक बॉण्ड या धन उपकरण हैं जिन्हें भारत में कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा भारतीय स्टेट बैंक की अधिकृत शाखाओं से खरीदा जा सकता है।
  • ये बॉण्ड 1,000 रुपए, 10,000 रुपए, 1 लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में बेचे जाते हैं।
  • इसे किसी राजनीतिक दल को दान देने के लिये नो योर कस्टमर (KYC)-अनुपालक खाते के माध्यम से खरीदा जा सकता है। राजनीतिक दलों को तय समय के अंदर इन्हें भुनाना होता है।
  • इन बॉण्डों को गुमनाम माना जाता है क्योंकि दानकर्ता का नाम और अन्य जानकारी उपकरणों पर दर्ज नहीं की जाती है।
  • किसी व्यक्ति या कंपनी द्वारा खरीदे जाने वाले चुनावी बॉण्ड की संख्या की कोई ऊपरी सीमा नहीं होती है।
  • चुनावी बॉण्ड के माध्यम से धन प्राप्त करने के लिये पात्रता मानदंड क्या है?  
  • केवल लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल, जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोक सभा या विधानसभा के लिये दिये गए वोटों का कम से कम 1% मत प्राप्त किये, चुनावी बॉण्ड पाने के पात्र हैं।

चुनावी बॉण्ड योजना, 2018 क्या है?  

  • चुनावी बॉण्ड योजना वित्त अधिनियम, 2017 में पेश की गई थी और वर्ष 2018 में लागू की गई थी।
  • वित्त अधिनियम, 2017 ने चुनावी बॉण्ड योजना के कार्यान्वयन के लिये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, आयकर अधिनियम, 1961 और कंपनी अधिनियम, 2013 में संशोधन किया।

चुनावी बॉण्ड योजना में उच्चतम न्यायालय की क्या भूमिका है?

  • एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कॉमन कॉज़ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने उपर्युक्त संशोधनों को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में याचिकाएँ दायर कीं।
  • 16 अक्तूबर, 2023 को याचिकाकर्त्ताओं ने वर्ष 2024 के आम चुनावों से पहले चुनावी बॉण्ड योजना के मामले की सुनवाई के लिये उच्चतम न्यायालय से माँग की।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने मुद्दे के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मामले को पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया।
  • 31 अक्तूबर, 2023 को CJI डी.वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने तीन दिनों तक दलीलें सुनीं।
  • उच्चतम न्यायालय यह तय कर रहा है कि क्या मौजूदा चुनावी बॉण्ड योजना राजनीतिक दलों को गुमनाम कॉर्पोरेट फंडिंग की सुविधा देती है और क्या इसे गलत तरीके से वित्त अधिनियम के रूप में प्रमाणित किया गया था। न्यायालय के निर्णय से चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता पर प्रभाव पड़ेगा।
    • 2 नवंबर, 2023 को संविधान पीठ ने निर्णय सुरक्षित रख लिया।

चुनावी बॉण्ड योजना के क्या लाभ हैं?  

  • राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ी।
  • दान राशि के उपयोग का खुलासा करने में जवाबदेही।
  • नकद लेन-देन को हतोत्साहित करना।
  • दाता अनामिकता का संरक्षण।

चुनावी बॉण्ड योजना की चुनौतियाँ क्या हैं?  

  • यह योजना भारत के संविधान, 1950 (COI) के अनुच्छेद 19 (1) (a) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।
  • सरकार द्वारा दानकर्त्ता के डेटा तक पहुँच अनामिकता को खतरे में डाल सकती है।
  • संरक्षणवादी पूँजीवाद का खतरा और अवैध धन का आगमन।
    • संरक्षणवादी पूँजीवाद एक आर्थिक प्रणाली है जो व्यापारिक नेताओं और सरकारी अधिकारियों के बीच घनिष्ठ, पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंधों की विशेषता है।
  • कॉर्पोरेट संस्थाओं और दान संबंधी सीमा के लिये पारदर्शिता के संबंध में खामियाँ।
  • इस योजना से अमीर कॉरपोरेट्स के प्रति पक्षपात हो सकता है।

आगे की राह

  • चुनावी बॉण्ड योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय लागू करना।
  • राजनीतिक दलों के लिये खुलासा करने के लिये सख्त नियम लागू करना और ECI को दान राशि की जाँच करने और बॉण्ड तथा व्यय दोनों के संबंध में टिप्पणियाँ करने देना।
  • संभावित दुरुपयोग, दान संबंधी सीमा के उल्लंघन और संरक्षणवादी पूँजीवाद तथा काले धन के प्रवाह जैसे जोखिमों को रोकने के लिये चुनावी बॉण्ड में खामियों को पहचानना और उन्हें सुधारना।