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सांविधानिक विधि
भारत में सरोगेसी कानून
« »07-Dec-2023
स्रोत: द हिंदू
परिचय:
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने सवाल किया है कि क्या एक अविवाहित महिला का सरोगेसी से बच्चा पैदा करना भारतीय समाज में एक स्वीकृत मानदंड है।
- उपर्युक्त प्रश्न एक प्रैक्टिसिंग वकील द्वारा दायर एक रिट याचिका पर उठाया गया था, जिसने तर्क दिया कि उसे विवाह किये बिना भी प्रजनन और मातृत्त्व का अधिकार है।
न्यायालय की टिप्पणियाँ क्या थीं?
- न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयाँ की पीठ ने कहा कि भारतीय समाज में एक अकेली महिला द्वारा बच्चे को जन्म देना एक अपवाद है, यह कोई नियम नहीं है।
- एक अकेली महिला जो विवाह किये बिना बच्चे को जन्म दे रही है, भारतीय समाज का स्वीकृत मानदंड नहीं है।
- आगे यह माना गया कि संसद ने विधवा या तलाकशुदा महिला की सरोगेसी के माध्यम से बच्चा पैदा करने की क्षमता को मान्यता दी थी।
- न्यायालय ने अंततः इस मुद्दे की जाँच करने का निर्णय लिया और मामले में केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया माँगी।
सरोगेसी क्या है?
- सरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक महिला (सरोगेट) किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छित माता-पिता) की ओर से बच्चे को जन्म देने के लिये सहमत होती है।
- सरोगेट, जिसे कभी-कभी गर्भकालीन वाहक (Gestational Carrier) भी कहा जाता है, वह महिला होती है जो किसी अन्य व्यक्ति या जोड़े (इच्छित माता-पिता) के लिये गर्भ धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।
- सरोगेसी, जिसमें गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज के अलावा सरोगेट माँ के लिये कोई मौद्रिक मुआवज़ा शामिल नहीं होता है, उसे अक्सर परोपकारी सरोगेसी कहा जाता है।
- सरोगेसी जो बुनियादी चिकित्सा व्यय और बीमा कवरेज से अधिक मौद्रिक लाभ या इनाम (नकद या वस्तु) प्राप्त करने के लिये की जाती है, उसे वाणिज्यिक सरोगेसी कहा जाता है।
भारत में सरोगेसी के संबंध में कानूनी प्रावधान क्या हैं?
- सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021:
- सरोगेसी (विनियमन) अधिनियम, 2021 के तहत, एक महिला 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच की विधवा या तलाकशुदा है या एक जोड़ा, जो कानूनी रूप से विवाहित महिला और पुरुष के रूप में परिभाषित, सरोगेसी का लाभ उठा सकते हैं यदि उनके पास इस विकल्प की आवश्यकता वाली चिकित्सीय स्थिति है।
- इच्छित जोड़ा कानूनी रूप से विवाहित भारतीय पुरुष और महिला होगा, पुरुष की आयु 26-55 वर्ष के बीच और महिला की आयु 25-50 वर्ष के बीच होगी, और उनका कोई पूर्व जैविक, गोद लिया हुआ या सरोगेट बच्चा नहीं होना चाहिये।
- यह वाणिज्यिक सरोगेसी पर भी प्रतिबंध लगाता है, जिसके लिये 10 वर्ष की जेल की सज़ा और 10 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना हो सकता है।
- कानून केवल परोपकारी सरोगेसी की अनुमति देता है जहाँ पैसे का आदान-प्रदान नहीं होता है और जहाँ सरोगेट माँ आनुवंशिक रूप से बच्चा चाहने वालों से संबंधित होती है।
- सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022:
- सरोगेसी (विनियमन) नियम, 2022 जो एक सरोगेसी क्लिनिक के लिये पंजीकरण और शुल्क हेतु फॉर्म व प्रणाली प्रदान करता है तथा एक पंजीकृत सरोगेसी क्लिनिक में नियोजित व्यक्तियों के लिये आवश्यकता एवं योग्यता प्रदान करता है।
- किसी भी सरोगेसी क्लीनिक में कम-से-कम एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक एनेस्थेटिस्ट, एक भ्रूणविज्ञानी (एम्ब्र्योलॉजिस्ट) और एक परामर्शदाता होना चाहिये।
- इच्छित महिला या जोड़े को किसी बीमा कंपनी या एजेंट से छत्तीस महीने की अवधि के लिये सरोगेट माँ के पक्ष में एक सामान्य स्वास्थ्य बीमा कवरेज खरीदना चाहिये, जो गर्भावस्था से उत्पन्न होने वाली सभी जटिलताओं के सभी खर्चों और प्रसवोत्तर जटिलताओं को भी कवर करने के लिये पर्याप्त हो।
- सरोगेट माँ पर किसी भी सरोगेसी प्रक्रिया के प्रयासों की संख्या तीन बार से अधिक नहीं होगी।
- सरोगेट माँ की सहमति फॉर्म 2 में निर्दिष्ट नियमों के अनुसार होगी।
- सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021:
- यह अधिनियम राष्ट्रीय सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी और सरोगेसी बोर्ड की स्थापना करके सरोगेसी पर कानून के कार्यान्वयन के लिये एक प्रणाली प्रदान करता है।
- इसका उद्देश्य ART क्लीनिकों और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी बैंकों का विनियमन व पर्यवेक्षण, दुरुपयोग की रोकथाम और ART सेवाओं का सुरक्षित एवं नैतिक अभ्यास करना है।
निष्कर्ष:
भारत समावेशिता, नैतिकता और चिकित्सा प्रगति पर ध्यान केंद्रित करके सरोगेसी के लिये एक मज़बूत कानूनी ढाँचा स्थापित कर सकता है, जो व्यक्तियों के अधिकारों का सम्मान करेगा, इसमें शामिल सभी पक्षों की भलाई सुनिश्चित करेगा, तथा सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से परिवार शुरू करने के इच्छुक लोगों का समर्थन करेगा।