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सांविधानिक विधि

अनुच्छेद 370 पर निर्णय

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 13-Dec-2023

स्रोतः इंडियन एक्सप्रेस

परिचय:

हाल ही में भारत के उच्चतम न्यायालय ने संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करते हुए अपना फैसला सुनाया, जिसे उसने 5 सितंबर, 2023 को सुरक्षित रख लिया। भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India- CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और सूर्यकांत की पाँच-न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से इन रे (In Re) [संविधान का अनुच्छेद 370 (2023)] के मामले में अनुच्छेद 370 व अनुच्छेद 35A का निरस्तीकरण बरकरार रखा।

संविधान के अनुच्छेद 370 मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा तय किये गए प्रमुख मुद्दे क्या थे?

  • क्या अनुच्छेद 370 के प्रावधान अस्थायी प्रकृति के थे या उन्हें संविधान में स्थायित्व का दर्जा प्राप्त था?
  • क्या अनुच्छेद 370(1)(d) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए भारत का संपूर्ण संविधान जम्मू और कश्मीर राज्य पर लागू किया जा सकता था?
  • क्या अनुच्छेद 370(3) के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करना जम्मू और कश्मीर राज्य की संविधान सभा की सिफारिश के अभाव में संवैधानिक रूप से अमान्य है, जैसा कि खंड (3) के परंतुक द्वारा अनिवार्य है?
  • क्या राष्ट्रपति द्वारा 19 दिसंबर, 2018 को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत जारी की गई उद्घोषणा और उसके बाद के विस्तार संवैधानिक रूप से वैध हैं?
  • क्या जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (Jammu and Kashmir Reorganization Act) जिसके द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों (केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर व केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख) में विभाजित किया गया था, को भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के रूप में संवैधानिक रूप से वैध माना जाता है?
  • क्या अनुच्छेद 356 के तहत उद्घोषणा के कार्यकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 1(3)(a) के तहत एक राज्य के रूप में जम्मू और कश्मीर की स्थिति तथा अनुच्छेद 1(3)(b) के तहत इसे केंद्रशासित प्रदेश में परिवर्तित करना शक्ति का वैध प्रयोग है?

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के विरुद्ध क्या तर्क थे?

  • जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन की घोषणा को याचिकाकर्त्ताओं ने शून्य बताते हुए चुनौती दी थी।
    • याचिकाकर्त्ताओं का कहना था कि दूसरे दलों को सदन में शक्ति प्रदर्शन का कोई मौका नहीं दिया गया।
  • जैसा कि फैसले में उल्लेख किया गया है, याचिकाकर्त्ताओं ने कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत शक्तियों का एकतरफा प्रयोग एक जोखिमपूर्ण मिसाल कायम करता है और यह आशंका उत्पन्न करता है कि संविधान के तहत आपातकालीन शक्तियों के प्रयोग में इस तरह का व्यवहार देश के किसी अन्य राज्य में भी किया जा सकता है।
    • यह संघीय ढाँचे को सत्ता में बैठे राजनीतिक दल की मनमानी के प्रति अतिसंवेदनशील बना देता है।
  • अनुच्छेद 370 स्थायी प्रकृति का था और इसके द्वारा राज्य को दो संविधानों द्वारा शासित माना जाता था जिनमें एक भारत का संविधान व दूसरा जम्मू और कश्मीर का संविधान था।
    • जम्मू और कश्मीर के संविधान के लागू होने पर, संविधान सभा पदकार्य-निवृत्त (functus officio) बन गई तथा इस तरह, अनुच्छेद 370 स्थायी हो गया।

अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के पक्ष में क्या तर्क थे?

  • भारतीय संघ (UOI) ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 370(1)(d) के तहत अधिकार के प्रयोग का अंतिम निरीक्षण करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है।
  • UOI ने कहा कि अनुच्छेद 370 की परिकल्पना और डिज़ाइन उसी तर्ज़ पर संवैधानिक एकीकरण प्रक्रिया में सहायता के लिये किया गया था जैसा कि अन्य राज्यों के साथ हुआ था।
  • अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण जम्मू-कश्मीर के निवासियों को देश के बाकी भागों में रहने वाले नागरिकों के समकक्ष लाता है और उन्हें पूरे संविधान के साथ-साथ सैकड़ों लाभकारी कानूनों से मिलने वाले सभी अधिकार प्रदान करता है।
    • इसलिये भारत के संविधान को राज्य पर लागू करना कभी भी "मनमाना कार्य" नहीं हो सकता।
  • राज्य संविधान पूरी तरह से सरकार का एक गणतांत्रिक स्वरूप स्थापित नहीं करता है क्योंकि यह वास्तविक प्रभुत्वसंपन्न दस्तावेज़ यानी भारत के संविधान पर निर्भर था।
    • एक मूल दस्तावेज़ बनने के लिये, संविधान में आवश्यक रूप से निर्विवाद संप्रभुता के कई पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिये, जिसमें नए क्षेत्र को हासिल करने की शक्ति तथा अपने क्षेत्र को "सौंपने" की शक्ति भी शामिल है।
  • अनुच्छेद 3 के तहत, संसद के पास एक राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में परिवर्तित करने की शक्ति है।
  • धारा 370 भारत के संविधान के मूल ढाँचे का हिस्सा नहीं है।
  • अनुच्छेद 35A देश के अन्य भागों के नागरिकों के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।

संविधान के अनुच्छेद 370 मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए निष्कर्ष क्या हैं?

  • SC ने स्पष्ट रूप से उद्धृत किया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 असममित संघवाद की विशेषता थी न कि संप्रभुता की।
  • न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक संक्रमणकालीन उपबंध के रूप में लागू किया गया था और इसका स्थायी स्वरूप नहीं था।
  • अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संघीय ढाँचे को नकारना नहीं है, क्योंकि जम्मू और कश्मीर में रहने वाले नागरिकों को वही दर्जा और अधिकार प्राप्त होंगे जो देश के अन्य हिस्सों में रहने वाले नागरिकों को दिये गए हैं।
  • अनुच्छेद 370(3) के संबंध में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इसमें अस्थायी व्यवस्था को समाप्त करने व बदले में राज्य की आंतरिक संप्रभुता को रद्द करने और भारत के संविधान को पूर्ण रूप से लागू करने की व्यवस्था शामिल है।
  • उच्चतम न्यायालय ने अंततः संवैधानिक एकीकरण की दिशा में कदम पर विचार किया।