लोक अभियोजक बनाम सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ): अंतर को समझना
«11-Apr-2025 | दृष्टि लेखक

भारतीय विधिक व्यवस्था एक जटिल संरचना के माध्यम से कार्य करती है, जिसमें न्यायिक अधिकारी (Judicial Officers), अभियोजक (Prosecutors) एवं कानून प्रवर्तन एजेंसियां (Law Enforcement Agencies) प्रमुख भूमिका निभाती हैं। आपराधिक न्याय प्रक्रिया प्रमुख अभिनेताओं में लोक अभियोजक (Public Prosecutor) एवं सहायक अभियोजन अधिकारी (Assistant Prosecution Officer – APO) सम्मिलित हैं। यद्यपि दोनों ही आपराधिक विचारणों (Criminal Trials) में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, तथापि उनके कार्य, अधिकार, भर्ती प्रक्रिया तथा दायित्त्वों के दायरे में महत्त्वपूर्ण भिन्नता पाई जाती है।
इस ब्लॉग में हम लोक अभियोजक एवं सहायक अभियोजन अधिकारी के मध्य अंतरों का विस्तृत विश्लेषण करेंगे, जिसमें उनकी भर्ती प्रक्रिया, न्यायालय की कार्यवाही में भूमिका तथा विधि स्नातकों के लिये इन पदों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को विस्तार से प्रस्तुत किया जाएगा।
यह विश्लेषण विशेष रूप से उन अभ्यर्थियों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है, जो न्यायिक सेवा परीक्षा (Judiciary Exams), सहायक अभियोजन अधिकारी परीक्षा (APO Exams) तथा अन्य विधिक सेवा परीक्षाओं (Legal Services Examinations) की तैयारी कर रहे हैं।
इस ब्लॉग में, हम लोक अभियोजक और सहायक अभियोजन अधिकारी के बीच अंतर, भर्ती प्रक्रिया, अदालती कार्यवाही में भूमिका और इच्छुक कानून स्नातक इन पदों को कैसे प्राप्त कर सकते हैं, इस पर चर्चा करेंगे। यह विश्लेषण न्यायपालिका परीक्षा, एपीओ परीक्षा और अन्य कानूनी सेवाओं की तैयारी करने वालों के लिए आवश्यक है।
लोक अभियोजक कौन है?
- लोक अभियोजक (PP) न्यायालय का एक अधिकारी होता है जिसे आपराधिक मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिये नियुक्त किया जाता है।
- दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की धारा 24 के अधीन, लोक अभियोजक सेशन न्यायालयों और उससे ऊपर के न्यायालयों में अभियोजन का संचालन करता है।
- लोक अभियोजक (PP) की भूमिका हर कीमत पर दोषसिद्धि की मांग करना नहीं है, अपितु न्याय प्रदान करने में न्यायालय की सहायता करना है।
- लोक अभियोजक की मुख्य विशेषताएँ:
- उच्च न्यायालय के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- सेशन न्यायालय, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में पेश होता है।
- कम से कम 7 वर्षों का अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसाय आवश्यक है।
- विचारण के दौरान निष्पक्षता एवं न्यायसंगतता बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
- जटिल अथवा महत्त्वपूर्ण वादों में लोक अभियोजक की सहायता के लिये अतिरिक्त लोक अभियोजक (Additional Public Prosecutor) या सहायक लोक अभियोजक (Assistant Public Prosecutor) नियुक्त किये जा सकते है।
सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) कौन होता है?
- सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) एक सरकार द्वारा नियुक्त विधिक अधिकारी होता है जो मुख्य रूप से मजिस्ट्रेट स्तर पर आपराधिक न्यायालयों में राज्य का प्रतिनिधित्व करता है।
- सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) नियमित अभियोजन की एक बड़ी मात्रा को संभालने और सेशन न्यायालय में वरिष्ठ अभियोजकों की सहायता करने के लिये उत्तरदायी होते हैं।
- सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) की मुख्य विशेषताएँ:
- मुख्य रूप से मजिस्ट्रेट न्यायालयों (प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट और द्वितीय वर्ग) में काम करता है।
- राज्य लोक सेवा आयोगों (जैसे UPPSC, BPSC, UKPSC आदि) के माध्यम से सीधे भर्ती किया जाता है।
- न्यूनतम पात्रता: विधि में स्नातक की डिग्री (LLB)।
- भूमिका में आरोप-पत्र दाखिल करना, प्रतिपरीक्षा करना और विधिक शोध आदि सम्मिलित हैं।
- सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) अक्सर अभियोजन विभाग में प्रवेश स्तर का पद होता है।
सहायक अभियोजन अधिकारी बनाम लोक अभियोजक के बीच अंतर
मानदण्ड |
सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) |
लोक अभियोजक (PP) |
न्यायालय का स्तर |
मजिस्ट्रेट न्यायालय |
सेशन न्यायालय और उससे उच्चतर |
भर्ती प्रक्रिया |
राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के माध्यम से (जैसे, UPPSC APO)। |
राज्य सरकार द्वारा नियुक्त (दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 24)। |
न्यूनतम योग्यता |
विधि स्नातक (LLB) |
न्यूनतम 7 वर्षों के विधिक अभ्यास सहित विधि स्नातक। |
भूमिका की प्रकृति |
सामान्य आपराधिक अभियोजन एवं नियमित विचारण संबंधी मामलों का संचालन। |
उच्च न्यायालयों में जटिल एवं गंभीर आपराधिक मामलों का संचालन। |
पर्यवेक्षण |
जिला अभियोजन अधिकारी या वरिष्ठ अभियोजकों को रिपोर्ट करना। |
स्वतंत्र रूप से कार्य करना अथवा कनिष्ठ अभियोजकों की सहायता से कार्य संपादित करना। |
पदोन्नति |
जिला अभियोजन अधिकारी (District Prosecution Officer - DPO)और फिर लोक अभियोजक (Public Prosecutor - PP) में पदोन्नत किया जा सकता है। |
वरिष्ठ लोक अभियोजक (Senior Public Prosecutor), अतिरिक्त महाधिवक्ता आदि के पद पर नियुक्ति की जा सकती है। |
न्यायालय में उपस्थिति |
दैनिक मामले, यातायात मामले, चोरी, मारपीट के मामले। |
हत्या, बलात्संग, डकैती, आतंकवाद विरोधी मामले, अपील |
अनुभव की आवश्यकता |
कोई पूर्व अनुभव अनिवार्य नहीं है। |
आपराधिक प्रैक्टिस में कम से कम 7 वर्ष का अनुभव। |
कैरियर पथ और पदोन्नति के अवसर
- सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) की पदोन्नति प्रक्रिया:
- सहायक अभियोजन अधिकारी
- अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी
- जिला अभियोजन अधिकारी
- संयुक्त/उप अभियोजन निदेशक
- अभियोजन निदेशक
- लोक अभियोजक की पदोन्नति प्रक्रिया:
- अतिरिक्त लोक अभियोजक
- लोक अभियोजक
- वरिष्ठ लोक अभियोजक
- महाधिवक्ता/अतिरिक्त महाधिवक्ता (सांविधानिक मामलों में)
निष्कर्ष
यद्यपि लोक अभियोजक (Public Prosecutor) एवं सहायक अभियोजन अधिकारी (Assistant Prosecution Officer - APO) दोनों का उद्देश्य एक ही है राज्य का आपराधिक मामलों में प्रतिनिधित्व करना तथापि उनके अधिकार-क्षेत्र, न्यायालय में उपस्थिति एवं नियुक्ति प्रक्रियामें महत्त्वपूर्ण अंतर पाया जाता है।
सहायक अभियोजन अधिकारी (APO) का पद लोक सेवा में विधिक करियर प्रारंभ करने के लिये एक उत्तम विकल्प है, जबकि लोक अभियोजक का पद अधिक अनुभव एवं उत्तरदायित्व की अपेक्षा करता है।
अतः आपराधिक वाद-विवाद के क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक सभी विधि स्नातकों के लिए इस भिन्नता की स्पष्ट समझ अत्यावश्यक है। सही मार्गदर्शन एवं तैयारी के साथ विशेष रूप से दृष्टि ज्यूडिशियरी जैसे विश्वसनीय मंचों के माध्यम से अभियोजक बनने का आपका स्वप्न मात्र एक लक्ष्य नहीं, अपितु एक सुनिश्चित संभावना है।
ब्लॉग कलेक्शन
ज्यूडिशियरी प्रिपरेशन
व्यक्तित्व, जिन्हें हम पसंद करते हैं
अपडेट
विमर्श
मोटिवेशन
कानून और समाज
हाल की पोस्ट
लोक अभियोजक बनाम सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ): अंतर को समझना
न्यायिक परीक्षाओं के लिये तीन वर्ष की न्यायालय प्रैक्टिस: चुनौती या अवसर
राजस्थान अधिसूचना, 2025 का अवलोकन
राजस्थान सहायक अभियोजन अधिकारी मुख्य परीक्षा
उत्तर प्रदेश – सहायक अभियोजन अधिकारी (ए.पी.ओ.) परीक्षा
हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा 2024
आप कितने परिचित हैं, अपने संविधान से?
बीते दशक के 10 ऐतिहासिक फ़ैसले
बुलडोज़र (अ)न्याय और सत्ता का दंड
एससी/एसटी मे उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर
लोकप्रिय पोस्ट
लोक अभियोजक बनाम सहायक अभियोजन अधिकारी (एपीओ): अंतर को समझना
न्यायिक परीक्षाओं के लिये तीन वर्ष की न्यायालय प्रैक्टिस: चुनौती या अवसर
राजस्थान अधिसूचना, 2025 का अवलोकन
राजस्थान सहायक अभियोजन अधिकारी मुख्य परीक्षा
उत्तर प्रदेश – सहायक अभियोजन अधिकारी (ए.पी.ओ.) परीक्षा
हिमाचल प्रदेश न्यायिक सेवा परीक्षा 2024
आप कितने परिचित हैं, अपने संविधान से?
बीते दशक के 10 ऐतिहासिक फ़ैसले
बुलडोज़र (अ)न्याय और सत्ता का दंड
एससी/एसटी मे उप-वर्गीकरण और क्रीमी लेयर